Majhawan By-Election: मझवां में भाजपा-सपा के बीच राजनीतिक विरासत को बचाने की जंग, बसपा का रहा है जलवा
मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला है। भाजपा की सुचिस्मिता मौर्य के सामने सपा की डॉ. ज्योति बिंद चुनौती पेश कर रही हैं। बसपा ने भी दीपक तिवारी को मैदान में उतारा है। वैसे इस सीट पर बसपा का दबदबा रहा है। इस सीट पर किसका कब्जा होगा यह देखना दिलचस्प होगा।

अरुण मिश्र, जागरण मिर्जापुर। मां विंध्यवासिनी के मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली मझवां विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में टक्कर दो देवियां के बीच है। भाजपा की पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्य के सामने अपना पहला चुनाव लड़ रहीं सपा की 27 वर्षीय डा. ज्योति बिंद चुनौती पेश करेंगी।
पारंपरिक रूप से बसपा की सीट माने जाने वाले मझवां में हालांकि सपा को कभी सफलता नहीं मिली है, लेकिन इस बार बसपा के टिकट पर यहां से तीन बार विधायक और भाजपा से भदोही के सांसद रहे रमेश बिंद की बेटी डा. ज्योति को प्रत्याशी बनाकर पूरे दमखम से चुनाव लड़ने का दावा कर रही हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर से सपा प्रत्याशी रहे रमेश बिंद भले ही हार गए लेकिन उन्होंने अपना दल-एस प्रमुख अनुप्रिया पटेल को जोरदार टक्कर दी थी। भाजपा अपने विकास कार्यों की बदौलत कामयाबी हासिल करने का दावा कर रही है। उसके पास अपना दल-एस और निषाद पार्टी का साथ भी है।
सुचिस्मिता खुद 2017 में यहां से विधायक बनी थीं, वह भी तीन बार से जीतते आ रहे रमेश बिंद को हराकर। 2022 में डा. विनोद बिंद को भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी से जीत मिली थी। विनोद बिंद अभी भाजपा से भदोही के सांसद हैं और उनके इस्तीफे के कारण यहां उपचुनाव हो रहे हैं।
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यानी 2017 से भाजपा को लगातार यहां पर सफलता मिली है। बसपा ने ब्राह्मण, दलित, बिंद बहुल इस सीट पर दीपक तिवारी उर्फ दीपू तिवारी पर भरोसा जताया है। मझवां का अधिकांश क्षेत्र ग्रामीण परिवेश का है।
यहां एक नगर पंचायत और तीन विकासखंड हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़े मुद्दों की बात किया जाए तो किसानों के लिए खेतों तक सिंचाई के लिए पानी गंगा से लिफ्ट करके पहुंचाने की चुनौती है। इसके अलावा ओवरब्रिज न होने से कई रेलवे क्रासिंगों पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। हर चुनाव में नेताओं से ओवरब्रिज का आश्वासन तो मिलता है, लेकिन पूरा नहीं होता।
राजनीतिक समीकरणों से दिलचस्प मुकाबला
सुचिस्मिता के सामने अपने श्वसुर रामचंद्र मौर्या की विरासत को बचाने की चुनौती भी है। मझवां की जनता ने 1996 में पहली बार रामचंद्र मौर्य को विधानसभा भेजकर यहां कमल खिलाया था। 2017 में भाजपी की सुचिस्मिता मौर्य के हाथों मझवां विस सीट गंवाने के बाद रमेश बिंद ने 2019 में भाजपा के टिकट पर भदोही लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी।
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2014 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर अंतिम समय में साइकिल पर सवार होकर मिर्जापुर से चुनाव लड़ा। अब बेटी ज्योति बिंद सपा से मझवां उपचुनाव में खड़ी हैं। डा. ज्योति के सामने पिता की राजनीतिक प्रतिष्ठा को बहाल करने की चुनौती है। बसपा अपने कोर वोटरों के साथ ब्राह्मण मतदाताओं को लुभा पाई तो दीपक तिवारी भी भाजपा-सपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। बसपा ने वैसे भी सबसे पहले यहां अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था।
बसपा को पांच बार मिली जीत
मझवां विधानसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई। लंबे समय तक आरक्षित रही यह सीट 1974 में सामान्य सीट हो गई। 1952 से 1960 तक कांग्रेस के बेचन राम, 1962 में भारतीय जनसंघ के राम किशुन, 1967 व 1969 में कांग्रेस के बेचन राम, 1974 में कांग्रेस के रुद्र प्रसाद सिंह, 1977 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिवदास, 1980 व 1985 में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी चुनाव जीते थे।
1989 में जनता दल के रुद्र प्रसाद, 1991 व 1993 में बसपा के भागवत पाल, 1996 में भाजपा के रामचंद्र मौर्या, 2002 से 2017 तक बसपा के डा. रमेश चंद बिंद, 2017 में भाजपा के टिकट पर सुचिस्मिता मौर्या ने चुनाव जीता। 2022 में निषाद पार्टी के विनोद बिंद यहां से विधायक बने।
- मतदाताओं का गणित- 385548
- पुरुष मतदाता-203281
- महिला मतदाता-182236
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