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    मिर्जापुर में पशुओं में लंपी बीमारी, खुरपका-मुंहपका तेजी से फैल रहा, चिकित्सक नदारद

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 03:15 PM (IST)

    मीरजापुर में लंपी और खंगवा रोग तेजी से फैल रहा है जिससे पशु चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। चार गौशालाओं में लगभग 1993 गोवंश संरक्षित हैं जिनकी हालत उपेक्षा के कारण बिगड़ रही है। सीमित संसाधनों में दो पशुधन प्रसार अधिकारी गाँव-गाँव जाकर सहायता कर रहे हैं लेकिन खंगवा रोग के कारण पशुपालक भयभीत हैं।

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    पशुओं में लंपी बीमारी, खंगवा रोग (खुरपका-मुंहपका) तेजी से फैल रहा, चिकित्सक नदारद।

    जागरण संवाददाता लालगंज (मीरजापुर)। क्षेत्र में चार गौशालाओं समेत पालतू पशुओं में लंपी बीमारी और खंगवा रोग (खुरपका-मुंहपका) तेजी से फैल रहा है।उनका इलाज का सहारा सिर्फ पैरावेट और दो पशुधन प्रसार अधिकारियों तक सिमट कर रह गया है।

    करीब 63 हजार गोवंश व भैंस पालतू पशुओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आठ पैरावेट और दो प्रसार अधिकारियों के कंधों पर है।जबकि तैनात प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी चिकित्सालय पर नदारद दिखाई देते हैं।

    लालगंज तहसील मुख्यालय स्थित पशु चिकित्सालय में स्थायी पशु डॉक्टर की नियुक्ति न होने से उपचार व्यवस्था चरमराई हुई है। ऐसे में गांवों के पशुपालक अपने बीमार मवेशियों का इलाज कराने के लिए भटकने को मजबूर हैं।

    पैरावेट कभी औषधि तो कभी साधारण जांच कर राहत देने की कोशिश कर रहे है। वहीं संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। लालगंज विकास खंड में चार अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल में बरकछ, उसरी खम्हरिया, बामी और सोनबरसा में करीब 1993 गोवंश संरक्षित हैं। उपेक्षा से जिनकी हालत लगातार बिगड़ रही है।

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    बरकछ में 600, उसरी खमरिया में 360, बामी में 430 और सोनबरसा में 603 गोवंश रखे गए हैं। बीमारी फैलने और चिकित्सा न मिलने से कई गोवंश कमजोर होकर जमीन पर पड़ गए जिन्हें कौआ कुत्ते नोचते हैं।जहां गोधन को पूजनीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता है।

    वहीं चिकित्सा सेवाओं की यह दुर्दशा चिंता का विषय है। खुरपका-मुंहपका और खंगवा जैसी बीमारियों के फैलाव से ग्रामीण पशुपालक भयभीत हैं।वर्तमान में क्षेत्र में दो पशुधन प्रसार अधिकारी जगदंबा पटेल और कमाल अहमद काम देख रहे हैं जो सीमित संसाधनों में गांव-गांव जाकर औषधि वितरण और प्राथमिक उपचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दवा और जनशक्ति की कमी के बावजूद वे पशुपालकों को हरसंभव सहायता देने की कोशिश कर रहे हैं।