रिक्शहवा कोहड़ा का मुंबई, गुजरात,पंजाब व एमपी में जलवा
जागरण संवाददाता चील्ह (मीरजापुर) पेठा का नाम सुनते ही लोगों की प्यास बढ़ जाती है यह पे

जागरण संवाददाता, चील्ह (मीरजापुर) : पेठा का नाम सुनते ही लोगों की प्यास बढ़ जाती है, यह पेठा कोन ब्लाक के गांवों के रिक्शहवा कोहड़ा से बनती है। रिक्शहवा कोहड़ा की खरीदारी करने प्रदेश ही नहीं अन्य प्रांतों के व्यापारी आते है, लेकिन इन दिनों चीनी के दाम बढ़ने के कारण कोहड़े का भाव गिर गया है। इससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है और उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। खरीदारी को भी व्यापारी कम आ रहे हैं। इससे खेतों में रिक्शहवा कोहड़ा फेंके पड़े हैं। सरकार से कोई सहायता भी नहीं मिलती। कोन क्षेत्र में सोनकर बिरादरी से जुड़े दर्जनों किसान बड़े किसानों को रुपया देकर रिक्शहवा कोहड़े की खेती वर्षों से करते चले आ रहे हैं। सुल्तानपुर, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, जौनपुर के अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र के व्यापारी क्षेत्र में बोई गई रिक्शहवा कोहड़ा ले जाकर पेठा बनाया करते हैं। इस वर्ष चीनी महंगी होने के कारण लगभग एक हजार बीघा रिक्शहवा कोहड़ा खेतों में पड़ी हुई है। खराब कोहड़े की छटनी कर किसान फेंकने को मजबूर हैं। दाम कम होने के कारण किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है। क्या कहते हैं किसान..
लागत के हिसाब से 500 रुपया प्रति क्विटल के हिसाब से रिक्शहवा कोहड़ा की बिक्री होनी थी, कितु चीनी महंगा होने के कारण व्यापारी रिक्शहवा कोहड़ा का उचित मूल्य नहीं दे पा रहे हैं।
- मिट्ठू लाल सोनकर, किसान।
पहले एक बीघे में 70 क्विटल कोहड़ा का उत्पादन होना था, लेकिन इस बार 50 क्विटल तक रिक्शहवा कोहड़े की उत्पादन हुई। व्यापारी भी कोहड़े की उचित मूल्य नहीं दे पा रहे हैं।
- दिलीप सोनकर, किसान। मांग कम होने से खेतों में कोहड़ा की फसल सड़ रही है। महंगाई के कारण बिक्री भी कम हो गई है। इससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार से भी कोई सहायता नहीं मिलती।
- सोती सोनकर, किसान। उचित रख-रखाव न होने के कारण रिक्शहवा कोहड़ा सस्ते दरों में बेचना पड़ रहा है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- अजय सोनकर, किसान।
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