Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भगवान भास्कर के अस्त होने के साथ उदित हुई आस्था, छठी मैया के जयघोषों से गुंजायमान रहा जान्हवी तट

    By Gurpreet singh ShammiEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Mon, 27 Oct 2025 06:32 PM (IST)

    चुनार में छठ पूजा के दौरान आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। गंगा तट पर भक्ति और प्रकाश का अनूठा मिलन हुआ। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं ने छठी मईया के गीत गाए और परिवार की मंगल कामना की। सुरक्षा व्यवस्था के साथ घाटों को सजाया गया, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिली।

    Hero Image

    भक्तों ने अपने अर्घ्य से यह सिद्ध किया कि सूर्य केवल आकाश में नहीं, विश्वास के अंतरिक्ष में भी उदित होता है।

    जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर)। सूर्याेपासना के महापर्व छठ की संध्या पर सोमवार को लोक आस्था अपने चरम पर दिखाई दी। जब अस्ताचलगामी भगवान भास्कर बादलों की ओट में छिपे थे, तब भी व्रतधारी भक्तों के श्रद्धाभाव में तनिक भी विचलन नहीं आया। वे करबद्ध हाथों और विनयपूर्ण नेत्रों से अदृश्य सूर्यदेव को छठपूजा का पहला अर्घ्य निवेदित करते रहे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भक्तों ने अपने अर्घ्य से यह सिद्ध किया कि सूर्य केवल आकाश में नहीं, विश्वास के अंतरिक्ष में भी उदित होता है। उस क्षण गंगा की तरंगें, व्रतियों की प्रार्थनाएँ और आकाश की निस्तब्धता, सब मिलकर एक अद्भुत सांध्य-संगीत रच रही थीं। जहां भक्ति, प्रकृति और प्रकाश एक ही भाव में समाहित हो गए थे।

    ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो आस्था स्वयं प्रकृति के पार जाकर उसे पुकार रही हो। यह दृश्य उस अलौकिक संगम का साक्षी बना, जहां प्रकृति की परीक्षा के बीच मानव की भक्ति ने अपनी पूर्णता प्राप्त की। सूर्य की अनुपस्थिति में भी श्रद्धा का प्रकाश आलोकित रहा। गंगा तटों से लेकर पोखरों और सरोवरों तक भक्ति की लहरें उमड़ती रही।

    चुनार के बालूघाट पर सैकड़ों व्रती महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर जब बांस की सूप और टोकरी में पूजा सामग्री लिए जल में उतरीं, तो वातावरण छठी मईया के गीतों और जयघोषों से गूंज उठा। गोधूलि बेला में गंगा की लहरों पर बिखरी आस्था की अरुणिमा और श्रद्धालुओं के समर्पण का दृश्य इतना मोहक था कि मानो प्रकृति स्वयं इस लोकपर्व का हिस्सा बन गई हो।

    व्रतियों ने सूर्य समान तेजस्वी संतान और परिवार के मंगल की कामना के साथ परंपरा अनुसार पहला अर्घ्य अर्पित किया। बालूघाट, बहरामगंज घाट और रामसरोवर पोखरे पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। दोपहर होते-होते नगर की गलियों में ढोल-नगाड़ों की थाप पर गूंजते छठ गीतों के बीच व्रतियों के जत्थे घाटों की ओर बढ़ने लगे।

    “कांच ही बांस के बहंगिया...” और “छठी मईया के ऊँची रे अररिया...” जैसे लोकगीतों की मधुर लहरें गंगा की धारा में घुलकर श्रद्धा का संगीत रच रही थीं। व्रती महिलाओं ने घाटों पर वेदियाँ बनाकर गन्ने, नारियल, केले, नींबू, ठेकुआ, चना और अन्य प्रसाद अर्पित कर छठी मईया की आराधना की।

    पूरी रात छठी मईया के गीत गूंजते रहे, महिलाएं समूह में भक्ति भाव से गीत गातीं और स्वजन श्रद्धापूर्वक सेवा में लगे रहे। देर रात तक नगर की गलियों में श्रद्धालुओं की भीड़ और वाहनों की कतारें थमने का नाम नहीं ले रही थीं।
    सुरक्षा और व्यवस्था के मद्देनजर अपर पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार मिश्र, उपजिलाधिकारी राजेश कुमार वर्मा, क्षेत्राधिकारी मंजरी राव, तहसीलदार इवेंद कुमार तथा कोतवाल विजय शंकर सिंह पुलिस बल और पीएसी जवानों के साथ घाट पर डटे रहे।

    वहीं चेयरमैन मंसूर अहमद, ईओ विजय कुमार यादव, एसआई लालमणि यादव, सभासद किशन मोदनवाल, गौतम जायसवाल, विकास कश्यप, लव श्रीवास्तव, करतार सिंह आदि भी छठ व्रतियों की व्यवस्था में लगे रहे। गंगा में नाव से गोताखोरों संग लगातार निगरानी की जाती रही।

    घाट की मनमोहक साज-सज्जा ने बढ़ाया छठ का आकर्षण
    नगर पालिका परिषद द्वारा बालूघाट पर की गई व्यवस्थाओं ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। पूरी तर साफ सुथरा बालूघाट परिक्षेत्र, विद्युत झालरों की जगमगाहट से सजा घाट दीपोत्सव सा आलोकित दिखा। बेहतरीन पथ प्रकाश व्यवस्था के कारण लोगों को काफी सुविधा रही।

    वहीं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वस्त्र परिवर्तन हेतु अस्थायी टेंट, खोया-पाया शिविर की व्यवस्था की गई थी। सफाईकर्मियों ने लगातार घाट को स्वच्छ बनाए रखा, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। नगर पालिका की इस सक्रिय तैयारी और अनुशासित व्यवस्था ने लोगों ने की भरपूर प्रशंसा बटोरी