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ये बाबू इहां केहू नाहीं, सबकर मालिक सिर्फ एक बड़े बाबू

बात ज्यादा पुरानी नहीं बल्कि सप्ताह भर पहले की ही है। जनपद में एक कुश्ती-दंगल में शामिल होने पहुंचे कैबिनेट मंत्री ने लगे हाथ विभागीय दंगल की भी दरियाफ्त करने की योजना बनाई। नागरिक को पता चला कि मंत्री महोदय रोकड़ विभाग का निरीक्षण करने वाले हैं। वह मंत्री जी के पहुंचने से पहले की विभाग में पहुंच गया और आमद का इंतजार करने लगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 08:46 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 10:48 PM (IST)
ये बाबू इहां केहू नाहीं, सबकर मालिक सिर्फ एक बड़े बाबू
ये बाबू इहां केहू नाहीं, सबकर मालिक सिर्फ एक बड़े बाबू

मौजूदा समय कुश्ती-दंगल में नागरिक की रूचि कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। सो वह कुश्ती-दंगल देखने की ताक में लगा रहा। इसी बीच सूबे के एक नवाब भी कुश्ती-दंगल के बहाने सरकारी नूराकुश्ती देखने का भी अपना दौरा तय कर लिए। हो गया न, एक ही तीर से कई निशाने। बात ज्यादा पुरानी नहीं बल्कि सप्ताह भर पहले की ही है। नागरिक को पता चला कि नवाब साहब रोकड़ विभाग का निरीक्षण करने वाले हैं। सो नागरिक भी नवाब के पहुंचने से पहले की महकमे में पहुंच गया और आमद का इंतजार करने लगा। उसके साथ ही हाकिम, वजीर व प्यादे भी इस तरह इंतजार करने लगे मानों कोई प्रियतमा का इंतजार कर रहा हो।

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नागरिक यह सब देख, सुन, समझ रहा था तभी नवाब की गाड़ी हूटर बजाती पहुंची तो वजीर व प्यादे के साथ हाकिम भी दौड़-भाग करने लगे। नवाब साब राजस्व विभाग के भीतर घुसे ही थे कि कई दबी परतें खुलने लगीं। बजबजाते गलियारे में रखी चरमराती आलमारियां मानों कह रहीं हो कि हमें मुक्ति दिलवाइए यहां से। इसी बीच एक आलमारी की दशा देख नवाब उसके पास जा पहुंचे। उन्होंने उसे हल्के से छुआ ही था कि आलमारी साष्टांग दंडवत करने की ओर बढ़ी। नागरिक को लगा कि अब तो वजीर बाबू गया समझो लेकिन यह क्या? मंत्री जी कुछ बोलते, इससे पहले ही हाकिम बोल पड़े और अनुनय-विनय की मुद्रा में आलमारी को खड़ा करने लगे। नवाब साहब मुस्कुराए और आगे की ओर बढ़ गए। तभी उनकी नजर खिड़की के पीछे धंसी गुटखे के पाउचों पर गई जो लहरा-लहराकर हालात को बखूबी बयां कर रही थी। पालीथिन के पाउच और उन पर जमी धूल ने हाकीम, वजीर व प्यादों के मन पर जमी सफाई की परत को मानों उधेड़कर रख दिया हो। नवाब साहब फिर बिफर पड़े, बोले कि जिसकी जिम्मेदारी सफाई की है, अब उसे ही यहां से साफ करने का वक्त आ गया है। इतना सुन डरा-सहमा सफाईकर्मी भी पीछे से बुदबुदा पड़ा- रहने दीजिए साहब, हमको साफ करेंगे तो गंदगी दूर तलक जाएगी और इस आंधी में कइयों का पत्ता साफ हो जाएगा। सफाईकर्मी की बुदबुदाहट भांप हाकिम के साथ नवाब भी सकते में आ गए और मात्र वेतन कटौती कर आगे बढ़ गए। यह सब देख नागरिक की आंखें खुली की खुली रह गईं। इसी बीच दो वरिष्ठ हाकिम हाथों में गुलदस्ता लिए नवाब साब के पास पहुंचने की जुगत लगाते दिखे। उन्हें दूर से ही आता देख नवाब साब के चेहरे पर अविस्मरणीय मुस्कान थिरकने लगी और वे उसे छुपाने की भी भरसक कोशिश करते नजर आए। यह सब देख हैरत में पड़ा नागरिक विचलित होता रहा। तभी पीछे से एक विशालकाय, मजबूत कद-काठी नुमा शरीर प्रकट हुआ जो देखने में चतुर्थ श्रेणी कर्मी सा लग रहा था लेकिन उसने जो उच्च श्रेणी की बात कही उससे सभी सकते में आ गए। सबने उसकी बात अनसुना कर आगे बढ़ने में ही भलाई समझी लेकिन नागरिक के कान गूंजते रह गए। वह बोल रहा था, ये बाबू इहां न कौनो अधिकारी न कर्मचारी, इहां क मालिक सिर्फ बड़े बाबू। अब सबकी नजरें बड़े बाबू की ओर उठीं तो वे कुर्सी से उठक-बैठक करने लगे। सबको उठते-बैठते देख नवाब साब ने चुल्लू भर पानी मंगाया व मुंह धोकर वहां से आगे की नूराकुश्ती देखने के लिए बढ़ गए। हालात देख नागरिक गहरी सांस लेते हुए बोल पड़ा-

मुकदमा हमपे मोहब्बत का चला दो राकिब

शर्त बस इतनी, वकील हमारा व सरकार हमारी हो

- एक नागरिक


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