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    मीरजापुर जिले के पटेहरा रेंज में खोजे नहीं मिल रहे 50 हजार पौधे, वनरक्षक निलंबित

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 13 Aug 2021 08:33 PM (IST)

    वनरक्षकों को पौधों के रोपण के लिए टेंच और गड्ढे खोदाई के लिए पर्याप्त धन भी आए थे वन कर्मियों द्वारा रोपण न कराकर बल्कि धन का बंदरबांट कर लिया गया। इसके पहले भी तत्कालीन डीएफओ संजीव कुमार द्वारा निरीक्षण के दौरान काफी खामियां पाई गई थी।

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    तत्कालीन डीएफओ संजीव कुमार द्वारा निरीक्षण के दौरान काफी खामियां पाई गई थी।

    जागरण संवाददाता, मड़िहान (मीरजापुर)। पटेहरा रेंज में वन विभाग द्वारा कराए गए पौधारोपण के बाद 50 हजार पौधे खोजे नहीं मिल रहे हैं। पौधारोपण में भारी मात्रा में खेल करने का मामला प्रकाश में आया है। इसको संज्ञान में लेते हुए प्रभागीय वनाधिकारी पीएस त्रिपाठी द्वारा वनरक्षक देवी प्रसाद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। पटेहरा रेंज में कुल छह लाख पौधे लगाने के लिए तैयार किए गए थे।

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    वनरक्षकों को पौधों के रोपण के लिए टेंच और गड्ढे खोदाई के लिए पर्याप्त धन भी आए थे, लेकिन वन कर्मियों द्वारा रोपण न कराकर बल्कि धन का बंदरबांट कर लिया गया। इसके पहले भी तत्कालीन डीएफओ संजीव कुमार द्वारा निरीक्षण के दौरान काफी खामियां पाई गई थी और चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन कर्मचारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। डीएफओ पीएस त्रिपाठी ने बताया कि वनरक्षक देवी प्रसाद तीन महीने से लापता था। बार-बार नोटिस भेजने के बाद आया तो निर्धारित ड्यूटी स्थान पर नहीं जाता था। इसकी वजह से पौधे पनपने से पहले ही नष्‍ट हो गए। 

    बाहरी व्यक्तियों को हो रहा भुगतान : वन विभाग द्वारा पौधारोपण करने वाले कर्मियों को नहीं, बल्कि बाहरी व्यक्तियों को भुगतान भी किया जाता है। जबकि नियम यह है कि जो श्रमिक पर रोपण करेंगे, उन्हीं को खाते में भुगतान किया जाएगा, लेकिन ऐसा न करके बल्कि उन लोगों को भुगतान किया जाता है जिनका पौधारोपण से कोई नाता नहीं है। बाद में इन्हीं लोगों से धन वसूल कर लिए जाते हैं। पटेहरा रेंज में लालगंज और मीरजापुर के लोगों के नाम तथा वन कर्मियों के परिजनों के नाम भी भुगतान करने का मामला प्रकाश में आया है। इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी पप्पू राम ने बताया कि निलंबित करने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। जबकि श्रमिकों के भुगतान को लेकर वन क्षेत्राधिकारी और वनरक्षक में आपसी कहासुनी भी हुई थी।