लेखक चेतन भगत ने कहा, अब लव स्टोरी नहीं, लोग पढ़ रहे हैं क्राइम, सस्पेंस व मिस्ट्री
चेतन ने साफ किया कि साहित्य में भी बदलाव स्वाभाविक है। कोरोना काल में चीजें और तेजी से बदली हैं। पहले लव स्टोरीज लिखी जा रही थीं अब क्राइम और सस्पेंस के प्रति रोमांच बढ़ा है। बातचीत के दौरान उन्होंने कई राज की बात बताई।

जागरण संवाददाता, मेरठ। चेतन भगत ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने सरल शब्दों की बुनावट से भी कहानियों को रोमांच के शिखर पर पहुंचाया है। युवाओं की नब्ज भांपने में माहिर चेतन दर्जनभर सफल कहानियों के शिल्पकार हैं, जिसकी पटकथा पर बेहद सफल फिल्में बन चुकी हैं। वो हिंदी के पारंपरिक साहित्य से अलग अपनी दुनिया में सफर करते हैं। गुरुवार को वे प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित अहसास वुमन के कलम कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण रहा। चेतन ने डिजिटल युग में लेखन के समक्ष नई चुनौतियों को उकेरा, साथ ही उम्र के हर पड़ाव पर अहसासों की बदलती दुनिया को भी उकेरा।
कोरोना ने तेजी से सब कुछ बदला : साहित्य और कला को समर्पित प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से आनलाइन आयोजित कलम कार्यक्रम की संचालिका अपरा ने सहज संवाद के जरिए सत्र को आगे बढ़ाया। चेतन ने साफ किया कि साहित्य में भी बदलाव स्वाभाविक है। कोरोना काल में चीजें और तेजी से बदली हैं। पहले लव स्टोरीज लिखी जा रही थीं, अब क्राइम और सस्पेंस के प्रति रोमांच बढ़ा है। जिसने बदलाव को स्वीकार नहीं किया, वो कहीं ठहर जाता है।
ट्रोल होने का मजा ही कुछ और.. : चेतन भगत अपनी टिप्पणियों की वजह से कई बार ट्रोल हो चुके हैं। वो कहते हैं कि अगर सभी तारीफ करने लगे तो फिर क्या मजा। 29 साल में लेखन में आया, और अब उम्र 47 में ट्रोल होना हमें परिपक्व बनाता है। उम्र के साथ तेवर भी बदले। कहा कि उनकी कहानियों एवं भाषा की खूब आलोचनाएं हुई हैं, जो उन्हें अच्छी लगती हैं।
हिंदी भाषा पीछे नहीं.. मेरठ के निशांत जैन को देखिए
सरल भाषा में लिखने वाले चेतन कहते हैं कि कारपोरेट एवं मल्टीनेशनल संस्कृति में हिंदी के लिए दरवाजे बंद हैं, जो ठीक नहीं। डिजिटल प्लेटफार्म ने लेखन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। अंग्रेजी भाषा के लेखकों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है, जबकि इटली, फ्रांस व चीन में ऐसा नहीं। चेतन ने मेरठ निवासी व राजस्थान कैडर के आइएएस अधिकारी निशांत जैन की तारीफ की, जिन्होंने हिन्दी माध्यम में प्रशासनिक सेवा पास की। चेतन कहते हैं कि लेखन की उम्र खिलाड़ियों की तुलना में लंबी होती है, इसीलिए लिखते रहना चाहिए। इसमें फिटनेस की ज्यादा भूमिका नहीं है।
हर नावेल में दिल्ली क्यों..
चेतन ने माना कि उनकी तकरीबन सभी किताबों में दिल्ली ने स्थान बनाया है। मुंबई, सिंगापुर और हांगकांग में रहने के बावजूद दिल्ली का स्थान अलग है, क्योंकि यहां बचपन से लेकर शुरुआत के 22 साल बीते। बचपन के अहसास मन से दूर नहीं हो सकते।
बालीवुड ने मुङो बहुत दिया
चेतन की कहानियों पर हिंदी फिल्में बनाई गईं, जिसमें कई ब्लाकबस्टर भी रहीं। वो मानते हैं कि स्ट्रगल तो है, लेकिन बालीवुड ने उनकी पहचान का दायरा बहुत बड़ा कर दिया। फिलहाल हालीवुड के लिए कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। कहा कि उनकी ज्यादातर कहानियों में भगवान कृष्ण के नाम का कोई न कोई पात्र जरूर है।
17 साल के बेटे को अच्छी परवरिश
चेतन ने संवाद के दौरान बताया कि उनका बेटा 17 साल का है, जिसे मां की अच्छी परवरिश मिली है। बेटे के करियर को लेकर उस पर कोई दबाव नहीं है। सभी टीनएजर बच्चों को मां-बाप की निगरानी में आजाद खयाली का मौका मिलना चाहिए।
मोटीवेशनल स्पीकर हूं तो क्या..मैं भी परेशान होता हूं
आइआइटी व आइआइएम जैसे सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों से पढ़े चेतन भगत साफगोई के लिए भी जाने जाते हैं। कलम कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि वो दूसरों को प्रेरित कर सकते हैं, लेकिन घर में बच्चों को नहीं। खुद भी परेशान होते हैं। बच्चे कहते हैं कि पापा..अपनी मोटीवेशनल वीडियो मत चलाना। प्रेरित करने का मतलब सिर्फ यह है कि किसी बुङो या थकते दीये को फिर से जला देना, बस..।
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