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    World Mental Health Day: डिप्रेशन को उदासी समझकर न करें नजरअंदाज, इसे अलविदा कहने को तत्काल कराएं उपचार

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Fri, 10 Oct 2025 03:21 PM (IST)

    World Mental Health Day : इन दिनों मानसिक रोगों की चपेट में आने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इसके कई कारण है। मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज की मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों में तीस प्रतिशत मरीज डिप्रेशन के होते हैं। समय पर काउंसिलिंग और इलाज से डिप्रेशन से बचा जा सकता है। 

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    डिप्रेशन को उदासी समझकर न करें नजरअंदाज, तत्काल कराएं इलाज


    जागरण संवाददाता,मेरठ। डिप्रेशन को अक्सर लोग हल्के में ले लेते हैं। इसे उदासी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह गंभीर स्थिति होती है। इसमें व्यक्ति लगातार दुखी, नकारात्मक सोच में डूबा रहता है। ऊर्जा की कमी महसूस करता है। सुस्त हो जाता है। यदि समय पर इलाज न मिले तो आत्महत्या तक का कारण बन जाता है।
    हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक करना है। इस बार इस दिवस की थीम सेवाओं तक पहुंच-आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य या आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता की रक्षा और विस्तार है। आपदाओं के चलते ज्यादातर मामलों में डिप्रेशन बढ़ता है।
    मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विभाग में आने वालों में 30 प्रतिशत मरीज डिप्रेशन के

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    लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. तरुण पाल ने बताया कि प्रतिदिन 100 मरीजों में 30 मरीज डिप्रेशन के होते हैं। इसमें युवाओं की संख्या 60 प्रतिशत तक होती है। गौर करने वाली बात ये है कि खुदकुशी के विचार के साथ केस आ रहे हैं। जिनको मानसिक रोग विभाग में भर्ती कर साइको थेरेपी दी जाती है। मानसिक बीमारियों में डिप्रेशन की बीमारी पहले नंबर पर है। इसके बाद एंजायटी के मामले करीब 19 प्रतिशत आते हैं। डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति की समय रहते काउंसिलिंग अति आवश्यक होती है। मरीज की स्थिति पर निर्भर होता है। यदि शुरुआती दौर में है तो घर पर अभिभावकों को काउंसिलिंग के लिए सलाह दी जाती है। यदि खुदकुशी के विचार के साथ व्यक्ति आ रहा है तो भर्ती करना जरूरी होता है।
    मोबाइल की स्क्रीन से भी बढ़ रही समस्या
    मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. रवि राणा ने बताया कि मोबाइल की स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल से भी डिप्रेशन बढ़ रहा है। देर रात तक स्क्रीन का उपयोग मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित करता है। जो नींद को प्रभावित करता है। तनाव बढ़ाता है। इससे चिंता और अवसाद बढ़ता है। नींद की कमी मुख्य वजह है। बचाव के लिए स्क्रीन टाइम को कम करें
    डिप्रेशन की कई वजहें
    -तनावपूर्ण जीवनशैली से डिप्रेशन होता है। रिश्ता टूटना, नौकरी छूटना, आर्थिक तंगी सहित कई वजहें होती हैं। जिनकी वजह से लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं।

    -जो लोग अत्यधिक शराब या अन्य नशीली दवाओं का सेवन करते हैं। वह भी डिप्रेशन में आ जाते हैं।

    -जो लोग शारीरिक व्यायाम नहीं करते। खानपान ठीक नहीं होता है। मोटापा से परेशान होते हैं। वह भी डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।

    -यदि परिवार में किसी सदस्य को डिप्रेशन रहा हो तो अन्य सदस्य को डिप्रेशन हो सकता है। यह आनुवांशिक भी है।

    ऐसे पहचानें लक्षण

    -डिप्रेशन में व्यक्ति का व्यवहार बदल जाता है।

    -ठीक से नींद नहीं आना, कम भूख लगना।

    -अपराध बोध होना, आत्मविश्वास में कमी आना।

    -थकान महसूस करना, उदासी बनी रहना।

    -खुदकुशी करने का विचार आना, अकेले रहने को सोच।