सहारनपुर में लाखों लोगों को रोजगार देता है पौने दो सौ साल पुराना वुड कार्विंग उद्योग, निर्यात हुआ बेपटरी
सहारनपुर में वुड कार्विंग उद्योग की नींव 1857 में गरीब बढ़ई अतर हुसैन ने डाली थी। इस काम में शीशम की लकड़ी का प्रयोग होता है। उद्योग को सबसे बड़ा झटका वर्ष 2006 में डालर की कीमत गिरने से लगा था। छोटे निर्यातक तो अब तक संभल नहीं सके हैं।

सहारनपुर, बृजमोहन मोगा। सहारनपुर का नाम लकड़ी पर नक्काशी (वुड कार्विंग) के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां वुड कार्विग उद्योग से प्रतिवर्ष करीब एक हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित होती थी, जो अब घटकर 500 करोड़ रुपये से भी कम हो गई है। आम निर्यात की भी यही स्थिति है। वुड कार्विंग और आम निर्यात को अपेक्षित रफ्तार नहीं मिलने का सबसे बड़ा कारण संसाधनों का अभाव है। इस दिशा में सरकार पहल करे तो यहां निर्यात की अपार संभावनाएं हैं।
घटती जा रही विदेशों से मांग
सहारनपुर में वुड कार्विंग उद्योग की नींव 1857 में मुगलकाल में पंजाब प्रांत के मुल्तान (अब पाकिस्तान में है) के गरीब बढ़ई अतर हुसैन ने डाली थी। इस काम में शीशम की लकड़ी का प्रयोग होता है। 175 वर्ष पुराने इस उद्योग से डेढ़-दो लाख लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। उद्योग को सबसे बड़ा झटका वर्ष 2006 में डालर की कीमत गिरने से लगा था। इससे निर्यातकों को 15-20 प्रतिशत तक नुकसान हुआ। छोटे निर्यातक तो अब तक नहीं संभल पाए हैं।
कोरोना के कारण आम का निर्यात भी घटा
यहां से हर साल सीजन में बड़ी मात्रा में दशहरी, लंगड़ा व चौसा आम का निर्यात निर्यातकों के माध्यम से किया जाता है। दो वर्षों में कोरोना के कारण आम का निर्यात भी काफी घटा है। इस साल अभी तक 500 किलो दशहरी आम ही स्विट्जरलैंड जा सका है।
वुडकार्विंग उद्योग पर पड़ा यूक्रेन युद्ध का असर
कुल माल का 40 प्रतिशत यूएसए व 60 प्रतिशत माल अन्य देशों में निर्यात होता है। फिलहाल यूक्रेन युद्ध का असर भी उद्योग पर पड़ा है। इरफानुलहक, अध्यक्ष सहारनपुर वुडकार्विंग मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन वुड कार्विंग निर्यात पर सबसे ज्यादा असर अंतरराष्ट्रीय मंदी का है। यदि सरकार निर्यातकों को बढ़ावा दे और नए-नए बाजार तलाशने में उद्यमियों की सहायता करे तो इस उद्योग के लिए बेहतर होगा। मो. ओसाफ गुड्डू, निर्यातक व सचिव सहारनपुर वुड कार्विंग मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन सहारनपुर से घरेलू विमान सेवा शुरू हो जाए तो निर्यात बढ़ जाए सहारनपुर से आम आदि का अपेक्षित निर्यात नहीं हो पा रहा है। इसका मुख्य कारण संसाधनों का अभाव है।
इन्होंने कहा
मुंबई और दिल्ली में एयरपोर्ट होने के कारण वहां से अच्छा निर्यात होता है। मुंबई से तो समुद्र के रास्ते भी कंटेनर चले जाते हैं। सहारनपुर से घरेलू विमान सेवा शुरू हो जाए तो आम और वुड कार्विंग की आइटम का निर्यात भी बढ़ जाएगा।
अशोक कुमार सचिव, मंडी परिषद सहारनपुर
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