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    मेरठ: महिला ने न्‍यूटिमा अस्‍पताल के डॉक्‍टर और साथियों पर लगाया था दुष्‍कर्म का आरोप, अदालत में बोली- सब झूठ था साहब

    By Himanshu DwivediEdited By:
    Updated: Tue, 16 Feb 2021 10:15 AM (IST)

    न्यूटिमा अस्पताल के कर्मचारी और उनके दो साथियों पर सामूहिक दुष्कर्म की घटना फर्जी साबित हुई। सोमवार को कोर्ट में पीड़िता अपने बयानों से मुकर कई। उसने बताया कि बेटी के उपचार में कर्मचारी द्वारा अधिक फीस मांगने पर सामूहिक दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाया था।

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    न्‍यूट्रिमा अस्‍पताल के डाक्‍टर और साथियों पर दुष्‍कर्म का आरोप लगया था।

    मेरठ, जेएनएन। न्यूटिमा अस्पताल के कर्मचारी और उनके दो साथियों पर सामूहिक दुष्कर्म की घटना फर्जी साबित हुई। सोमवार को कोर्ट में पीड़िता अपने बयानों से मुकर कई। उसने बताया कि बेटी के उपचार में कर्मचारी द्वारा अधिक फीस मांगने पर सामूहिक दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाया था। बयानों का अवलोकन करने के बाद पुलिस मुकदमा खत्म करने जा रही है। पुलिस ने दावा किया है कि पीड़िता के खिलाफ भी झूठा मुकदमा लिखाने पर कार्रवाई होगी।

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    मोदीनगर निवासी महिला का आरोप था कि गत 31 जनवरी को चार साल की बेटी के इलाज के लिए पड़ोसी महिला के साथ गढ़ रोड स्थित अस्पताल आई थी। आरोप था कि अस्पताल कर्मचारी रामचंद्र यादव उसे धोखे से नशीला पदार्थ पिलाकर राजेंद्र की गाड़ी से आवास विकास स्थित शिव कुमार के फ्लैट में ले गया, जहां तीनों ने दुष्कर्म किया। महिला ने पांच दिन बाद मुकदमा दर्ज कराया था।

    पुलिस ने घटना को संदिग्ध मानते हुए आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं की थी। एक सप्ताह से पीड़िता बीमारी का बहाना बनाकर कोर्ट में बयान देने नहीं आ रही थी। सोमवार को महिला कोर्ट में बयान देने पहुंची। इंस्पेक्टर प्रमोद गौतम ने बताया कि शाम के समय महिला के कोर्ट में दिए बयानों को अवलोकन किया। जिसमें महिला ने बताया कि रामचंद्र यादव ने बच्ची के उपचार के लिए अधिक फीस मांगी थी। उसी से क्षुब्ध होकर उसने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था।

    इंस्पेक्टर ने बताया कि मुकदमा खत्म करने के बाद सामूहिक दुष्कर्म की पटकथा रचने वाली महिला पर भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि सामूहिक दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला के खिलाफ 182 आइपीसी में कार्रवाई की जाएगी। उधर, न्यूटिमा के निदेशक डा.संदीप गर्ग का कहना है कि सीसीटीवी से जब स्पष्ट हो गया है कि महिला अस्पताल में आई ही नहीं तो फिर ज्यादा फीस मांगने का सवाल कहां से उठता है।