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    पश्चिमी यूपी में रालोद के लिए बेहद अहम हैं ये दो सीटें, परिणाम तय करेंगे जयंत चौधरी का भविष्य

    Updated: Mon, 03 Jun 2024 03:58 PM (IST)

    पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के ग्रह गोचर सुधर सकते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की विरासत पर खड़े जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने वर्ष 2009 के 15 साल बाद एक बार फिर भाग्यशाली मानी जाने वाली भाजपा से हाथ मिलाकर अपने लिए संभावनाओं की नई खिड़की खोली है।

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    पश्चिमी यूपी में बदलेगी रालोद की चाल या खत्म होगा राजनीतिक सूखा?

    संतोष शुक्ल, मेरठ। (Lok Sabha Election Result 2024) पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय लोकदल के ग्रह गोचर सुधर सकते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की विरासत पर खड़े जयंतचौधरी (Jayant Chaudhary) ने वर्ष 2009 के 15 साल बाद एक बार फिर भाग्यशाली मानी जाने वाली भाजपा से हाथ मिलाकर अपने लिए संभावनाओं की नई खिड़की खोली है।

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    जयंत ने जहां योगी सरकार में अपने दलित विधायक अनिल कुमार को कैबिनेट मंत्री बनवाने में सफलता प्राप्त की, वहीं एक एमएलसी सीट भी मिल गई। अगर रालोद ने बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट जीत ली तो 2014 से चल रहा राजनीतिक सूखा खत्म हो जाएगा, वहीं जयंत चौधरी को केंद्र में मंत्री बनाए जाने की चर्चा तेज होने के साथ ही जाट राजनीति पर उनकी चौधराहट भी बनी रहेगी।

    राजस्थान और हरियाणा में सियासी पटकथा लिखने की कवायद

    पश्चिम उत्तर प्रदेश में रालोद मुखिया जयंत (Jayant Chaudhary) ने भाजपा का साथ पकड़कर अपने वोटों की पूंजी को बचाकर रखने का प्रयास किया, वहीं राजस्थान और हरियाणा तक सियासी जमीन बनाने की पटकथा लिखी

    पश्चिम उत्तर प्रदेश में रालोद मुखिया जयंत ने भाजपा का साथ पकड़कर अपने वोटों की पूंजी को बचाकर रखने का प्रयास किया, वहीं राजस्थान और हरियाणा तक सियासी जमीन बनाने की पटकथा लिखी।

    रालोद को रिकार्ड सफलता तभी मिली जब भाजपा से हाथ मिलाया। पार्टी ने 2002 में भाजपा के साथ विधानसभा चुनाव लड़कर जहां 14 विधायकों को सदन में पहुंचाया, वहीं 2009 में पार्टी के पांच लोकसभा प्रत्याशी जीत गए। इस दौरान पश्चिम से

    भाजपा के सिर्फ चार सांसद जीते थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर दोनों दलों के साथ आने से अखिलेश-राहुल की चुनौतियां बढ़ीं। उधर, भाजपा ने जाट वोटों को साधने के लिए जयंतको विशेष तवज्जो दी। रालोद को दो लोकसभा टिकट, एक कैबिनेट मंत्री व एक एमएलसी सीट मिली।

    मजबूत जमीन पर कमजोर रही पकड़

    राष्ट्रीय लोकदल बनाने के बाद तत्कालीन अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह राजग एवं संप्रग सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे। उन्होंने कांग्रेस, भाजपा और सपा के साथ गठबंधन आजमाया, लेकिन जमीन पर संगठन कमजोर होता रहा।

    वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में सिर्फ दस सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें पश्चिम क्षेत्र की चार सीटें थीं, जबकि भाजपा से हाथ मिलाने वाले रालोद ने पांच सीटें जीत लीं जो अब तक सर्वाधिक हैं।

    तत्कालीन रालोद मुखिया अजित चौधरी ने बागपत, उनके पुत्र जयंतचौधरी ने मथुरा, देवेंद्र नागपाल ने अमरोहा, संजय चौहान ने बिजनौर, जबकि सारिका सिंह ने हाथरस की सुरक्षित सीट जीती थी। हालांकि, बाद में अजित सिंह कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार में शामिल होकर कैबिनेट मंत्री बन गए थे।

    चौधरी को भारत रत्न देने से पिघल गए समीकरण

    भाजपा ने 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव मजबूती से जीता, लेकिन पार्टी को जाटों को साधने में पूरी सफलता नहीं मिली थी। 2024 के मिशन में जुटी नरेन्द्र मोदी की टीम ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर किसानों का मन जीता, वहीं रालोद को साध भी लिया।

    31 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेरठ में आयोजित पहली रैली का नाम ‘चौ. चरण सिंह गौरव समारोह’ रखा गया, जहां पहली पंक्ति में जयंतभी नजर आए। जयंतने एक गुर्जर और एक जाट को लोकसभा टिकट दिलाया, वहीं दलित चेहरे को योगी सरकार के कैबिनेट में शामिल करवाकर जातीय गुणा गणित का बेहतर माडल खड़ा किया।

    मोदी लहर में टूट गया चौधराहट का किला

    वर्ष 2014 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद का पश्चिम क्षेत्र से पूरी तरह सफाया कर दिया। रालोद अध्यक्ष अजित चौधरी बागपत से भाजपा प्रत्याशी सत्यपाल सिंह से हार गए। दोनों दलों की दूरी बनी रही और इसका बड़ा नुकसान 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद को उठाना पड़ा।

    रालोद को सिर्फ बागपत की छपरौली सीट पर जीत मिली जबकि भाजपा ने पश्चिम क्षेत्र की 71 में से 51 सीटें जीत लीं। रालोद के एकमात्र विधायक भी बाद में भाजपा में शामिल हो गए। 2019 लोकसभा चुनाव में रालोद ने सपा और बसपा के साथ समझौता किया, लेकिन मुजफ्फरनगर से अजित चौधरी भाजपा के संजीव बालियान से हार गए।

    2022 में विधानसभा चुनाव में जयंतचौधरी ने अखिलेश यादव से हाथ मिलाकर भाजपा को घेरने का प्रयास किया, लेकिन आठ विधायक ही जिता सके।

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