क्या होता है फतवा, कब और कौन करता है जारी? दारुल उलूम देवबंद के दस लाख फतवों में कई सुर्खियों में भी रहे
दारुल उलूम देवबंद में 1893 में फतवा विभाग की स्थापना हुई थी। कई फतवे चर्चा का विषय भी बनते रहे हैं। एक साल में यहां से औसतन सात से आठ हजार फतवे जारी होते हैं। जिसमें से अधिकांश तलाक दहेज विवाह व जायदाद आदि मसलों पर होते हैं।

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। फतवों को लेकर कई बार खूब बहस मुबाहेसा होता है। खास बात यह है कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक फतवे दारुल उलूम देवबंद से जारी होते है। दारुल उलूम का कहना है कि फतवे शरीयत की रोशनी में मुसलमानों की रहनुमाई करते है। आइए फतवों को लेकर उठने वाले सवालों का जवाब तलाशने का प्रयास करते हैं।
'शरई हुक्म है फतवा'
तंजीम अब्ना-ए-दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी के मुताबिक शरीयत-ए-इस्लामिया के तहत मुफ्ती (जिनके पास इफ्ता की डिग्री हो) कुरान व हदीस की रोशनी में पूछे गए सवाल का जवाब देते हैं, जिसे शरई हुक्म कहते हैं। इस शरई हुक्म को ही फतवा कहा जाता है।
'किसी भी धर्म का व्यक्ति ले सकता है फतवा'
मुफ्ती यादे इलाही बताते हैं शरीयत की रोशनी में फतवा या शरई हुक्म कोई भी ले सकता है। फतवा लेने के लिए यह शर्त नहीं है कि वह किस धर्म से संबंध रखता है। मुफ्तियों से लोग लिखित रूप में अपनी धार्मिक सामाजिक और अन्य समस्याओं का इस्लामिक समाधान और सुझाव मांगते हैं। मुफ्ती शरीयत की रोशनी में इसका हल बताते हैं।
'मुफ्ती नहीं करते फतवे को लागू करने के लिए बाध्य'
मुफ्ती यादे इलाही का कहना है कि मुफ्ती सिर्फ फतवा देते हैं न कि फतवे को लागू करने के लिए बाध्य करते हैं। फतवे पर अमल करना या न करना फतवा लेने वालों की मर्जी पर होता है।
जारी हो चुके हैं 10 लाख फतवे
दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में हुई। इसके करीब 27 साल बाद 1893 में दारुल उलूम देवबंद में फतवा विभाग की स्थापना हुई थी। बताया जाता है कि यहां से अब तक करीब दस लाख फतवे अलग-अलग मसलों को लेकर जारी हो चुके हैं। एक वर्ष में यहां से औसतन सात से आठ हजार फतवे जारी होते है। जिसमें से अधिकांश तलाक, दहेज, विवाह, जायदाद आदि मसलों पर आधारित होते हैं। हालांकि यहां के कई फतवे मीडिया की सुर्खी और देश में चर्चा का विषय भी बनते रहे हैं।
यह फतवे रहे चर्चाओं में
आतंकवाद के खिलाफ दिया गया फतवा, गाय की कुर्बानी हराम बताने वाला फतवा, इमराना प्रकरण, तौसीफ गुड़िया प्रकरण, शेयर मार्किट, प्रोविडेंट फंड आदि से संबधित फतवे बहुत चर्चाओं में रहे हैं।

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