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    मुखर होकर अपने अधिकारों की आवाज उठाना सीख लिया है हमने

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 11 Oct 2021 07:55 AM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। जिसे मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

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    मुखर होकर अपने अधिकारों की आवाज उठाना सीख लिया है हमने

    मेरठ, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। जिसे मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। क्योंकि समाज में बालिकाएं बाल विवाह समेत कई प्रकार के शोषण का शिकार होती रही हैं। इस बार 9वां अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस सोमवार को यानी आज मनाया जा रहा है। अब बालिकाएं न सिर्फ अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही है, बल्कि स्वयं आगे आकर बाल विवाह तक रुकवाकर सामाज के लिए मिसाल भी कायम कर रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है मुंडाली की 17 वर्ष की वह लड़की, जिसने बाल विवाह की सूचना स्वयं चाइल्डलाइन के सदस्यों को दी। परिवार के सामने अपने अधिकार के लिए डटकर खड़ी हो गई। पिछले एक वर्ष में फलावदा थाना क्षेत्र से भी ऐसे कई मामले सामने आए, जब नाबालिक लड़कियों ने अपना विवाह रुकवाया।

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    चुप्पी तोड़कर बालिकाएं कर रहीं मन की बात : चाइल्डलाइन की निदेशक अनिता राणा का कहना है कि बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए चुप्पी तोड़ो खुलकर बोलो अभियान शुरू किया गया है। जिसके अंतर्गत अभी तक पांच गावों में जागरूकता शिविर लगाए गए हैं, अभी तक सूचना के अभाव में बाल विवाह के मामलों में उचित कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। लेकिन अब बालिकाएं जागरूक हो रही हैं और अपने अधिकारों के लिए स्वयं खड़ी हो रही हैं। पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए जहां लड़कियों ने स्वयं कानून का सहारा लेकर अपना बाल विवाह रुकवाया।

    मिशन शक्ति अभियान भी बना रहा सशक्त : महिला एवं बाल कल्याण विभाग जिला समन्वयक अधिकारी नेहा त्यागी कहा कि मिशन शक्ति अभियान आज तृतीय चरण में पहुंच गया है। हम बालिकाओं को उनके अधिकारों की जानकारी देने के साथ विधिक जानकारी और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कालेज और स्कूल में रोजगारपरक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

    बालिकाओं को उनका अधिकार दिलाने और आत्मनिर्भर बनाने में सबसे ज्यादा प्रभाव बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का पड़ा है। जिसने तेजी से सामाज की मानसिकता को बदला है। बालिकाएं आज मुखर होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही हैं। वह न सिर्फ जागरूक हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भी हैं।-अजित कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी।

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