पैदल चलिए दूर रहेगी थकावट, दिनचर्या में योग, प्राणायाम और ध्यान को करें शामिल
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एचएस सिंह बताते हैं कि कोविड के बाद से उन्होंने खूब पैदल चलना शुरू किया। सुबह साढ़े चार बजे उनकी नींद खुल जाती है। सुबह उठने के बाद वह कुछ समय योग अभ्यास करते हैं।
मेरठ, जेेएनएन। स्वस्थ रहने के लिए हमें प्रकृति के करीब रहना ही होगा। आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी दिनचर्या को बिगाड़ते चले जा रहे हैं। जबकि प्राकृतिक तरीके से हम खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं। कोविड के समय में लोगों को पता चला कि जिस लाइफ स्टाइल की ओर बढ़ रहे हैं, उससे सेहत खराब हो रही है। जिसके बाद से लोगों ने अपनी दिनचर्या में योग और प्राणायाम व ध्यान को शामिल करना शुरू किया। वहीं बहुत से लोग पहले से ही अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में जंतु विज्ञान के प्रोफेसर एचएस सिंह बताते हैं कि कोविड के बाद से उन्होंने खूब पैदल चलना शुरू किया। उन्होंने अपनी दिनचर्या को साझा भी किया है।
सोने और उठने का नियत है समय
प्रो. एचएस सिंह चौधरी चरण सिंह विवि परिसर में ही रहते हैं। पिछले कई साल से उनके रात में सोने और सुबह उठने का समय निश्चत है। रात में वह हर हाल में आठ से नौ बजे के बीच में खाना खा लेते हैं। दस बजे तक वह बिस्तर पर चले जाते हैं। सुबह साढ़े चार बजे उनकी नींद खुल जाती है। सुबह उठने के बाद वह कुछ समय योग अभ्यास करते हैं। जिसमें अनुलोम विलोम, कपालभाती आदि योग का अभ्यास शामिल है। वह बताते हैं कि पहले दो से तीन किलोमीटर पैदल चलते थे। अब दिन भर में आठ किलोमीटर पैदल चलना हो जाता है। पैदल चलने से दिन में थकावट नहीं आती है। शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। वह धूप में भी कुछ समय बैठते हैं।
पैदल चलने के फायदे बहुत हैं
प्रो. एसएस सिंह का कहना है कि सुबह अगर हल्के कदम से भी टहला जाए तो बीपी, शुगर, तनाव जैसी समस्या नहीं आएगी। सुबह की ताजी हवा से शरीर में आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। वजन को मेंटेन रखने के लिए भी पैदल चलना उपयोगी है। मांसपेशियों और हड्डी की मजबूती के लिए भी पैदल चलना सही है।