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    UP Politics: बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी की जुगत लगा रहा रालोद, मिशन 2022 के लिए चली यह चाल

    By Himanshu DwivediEdited By:
    Updated: Mon, 19 Jul 2021 01:53 PM (IST)

    चुनाव अभियान-2022 समिति का गठन कर राष्ट्रीय लोकदल ने चुनावी अभियान का शंखनाद कर दिया है। पार्टी को नैया पार लगाने के लिए इस बार रालोद ने नया पैंतरा अज ...और पढ़ें

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    रालोद बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी की जुगत लगा रही है।

    जागरण संवाददाता, मेरठ। चुनाव अभियान-2022 समिति का गठन कर राष्ट्रीय लोकदल ने चुनावी अभियान का शंखनाद कर दिया है। पार्टी को चुनावी वैतरणी पार कराने का पूरा दारोमदार इस बार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी के कंधों पर है। पहले मोदी लहर और उसके बाद मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पार्टी को खासा नुकसान हुआ था। पार्टी का वर्तमान में न ही विधायक है और न ही सांसद। लोस चुनावों के पहले चौधरी अजित सिंह द्वारा मुसलमानों और जाटों में भाईचारा कायम करने के लिए चलाए गए अभियान का पार्टी को धरातल पर कोई फायदा नहीं मिला था।

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    विधानसभा चुनावों में खाता खोलने के लिए रालोद ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन का एलान किया है। समिति के गठन और उसके बाद की गतिविधियां बता रही हैं कि पार्टी इस बार नए चुनावी समीकरण के इस्तेमाल की तैयारी में है। समिति सदस्यों पर नजर डालें तो इसमें अनुसूचित वर्ग के डा. सुशील कुमार को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ चौधरी चरण सिंह के समय से चले आ रहे चुनावी फामरूले अजगर अर्थात अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूतों को साधा गया है। दिग्गज नेता चौधरी चरण सिंह ने इसी फामरूले से कांग्रेस के सामने न सिर्फ चुनौती खड़ी कर दी थी, बल्कि सत्ता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सात सदस्यीय समिति में अनुसूचित वर्ग प्रतिनिधि के अलावा इन चारों वर्ग और मुस्लिम समुदाय का भी प्रतिनिधित्व है। ब्राह्मण और वैश्य वर्ग की कोई हिस्सेदारी नहीं है। समिति ने 11 जनपदों में जो जिला संयोजक बनाए हैं, उसमें मेरठ से सुनील जाटव, गाजियाबाद में रामभरोसे मौर्य और मथुरा में सुरेश भगत को नामित किया है। ये सभी अनुसूचित वर्ग से हैं।

    जगह-जगह चल रहे सदस्यता अभियान में बहुजन समाज पार्टी से जुड़े दर्जनों लोगों के राष्ट्रीय लोकदल में शामिल होने के संदेश इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे हैं। क्षेत्रीय अध्यक्ष चौधरी यशवीर सिंह ने दावा किया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को रोकने का काम रालोद ही कर सकती है। बसपा को लोग भाजपा की बी-पार्टी मान रहे हैं, इसलिए लोग रालोद में शामिल हो रहे हैं।