खौफनाक था भूस्खलन का भयावह मंजर... वैष्णो देवी से लौटे अमित ने बताया- दस कदम की दूरी में ही छूट गया पत्नी का साथ
माता वैष्णो देवी धाम जाते समय भूस्खलन में मवाना के अमित की पत्नी की मौत हो गई। अमित अपनी बेटी और रिश्तेदारों के साथ यात्रा कर रहे थे। अर्द्धकुवारी के पास हुए हादसे में उनकी पत्नी और साली मलबे में दब गईं। अमित ने बताया कि घटना से पहले उनकी पत्नी ने उन्हें लड्डू गोपाल दिया था। नायब तहसीलदार ने परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
जागरण संवाददाता, मवाना। माता वैष्णो देवी धाम के दर्शन को जाते हुए अर्द्धकुवारी से करीब पांच सौ मीटर पहले ही हुए भूस्खलन का भयावह आंखों देखा मंजर देखकर याद कर सर्राफ अमित और दस वर्षीय बेटी विधि कपकंपा जाते हैं। पत्नी नीरा वर्मा की मौत से गमजदा अौर 48 घंटे से झेल रहे दुश्वारियों के बीच वह पूरी तरह टूटे हुए हैं।
सिर्फ हिम्मत दस वर्षीय बेटी और स्वजन बांधे हुए थे। भारी मन और आंखों में आंसू के बीच बताते हैं कि बस दस कदम की दूरी के फासले ने जिंदगी भर का साथ देने वाली पत्नी का साथ छूट गया। काश वह भी कुछ हिम्मत दिखाती तो साथ होती।
अमित बताते हैं कि 26अगस्त की सुबह करीब छह बजे ट्रेन से जम्मू के कटरा उतरे। यहां से वह बस अड्डे पहुंचे और साइन बोर्ड कार्यालय पर रजिस्ट्रेशन कराया। यहां से टेंपो द्वारा बाणगंगा पहुंचे और कमरे लिए। सामान रखा और फिर करीब दस बजे वह पत्नी नीरा वर्मा, बेटी विधि और साली चांदनी निवासी खेखड़ा बागपत, उसके पति मयंक और उसकी सास गीता गाेयल के साथ पैदल ही माता के भवन के लिए चढ़ाई शुरू कर दी।
दोपहर करीब पौन तीन बजे अर्द्धकुवारी से करीब पांच सौ मीटर दूरी पर पहले सभी चाय पी और फिर मंजिल तय करने लगे। वह बेटी विधि के साथ साढू मयंक और पत्नी नीरा और साली से करीब दस कदम आगे चल रहे थे। अचानक आसमां में काले बादल छा गए और पहाड़ को भी ढक लिया।
इस बीच तेज आकाशीय बिजली कड़की और पानी का तेज बहाव के साथ पहाड़ दरककर टिन शेड को तोड़ते हुए मार्ग पर गिरने लगा। वह बेटी का हाथ पकड़कर बचाव के लिए भाग लिया और साढू भी उसके पीछे आ गया। जबकि पत्नी और साली दिखाई नहीं दिए। जब कुछ पल बाद मंजर थमा तो वह उक्त स्थान पर वापस पहुंचे लेकिन दूर तक पत्थर का मलबा और पानी ही दिखाई दे रहा था।
उसने हिम्मत कर उन्हें खोजा तो कहीं पता नहीं चला। जबकि उसके जैसे बहुत से लोग अपनों को खोज रहे थे। जबकि उनसे भी आगे चल रही चांदनी की सास भी सकुशल मिल गई। वह चारों लोग थकहारकर नीचे कमरे पर पहुंच गए। उसके बाद वह फिर वापस पहुंचे लेकिन तब मलबा हटाने का कार्य चल रहा था लेकिन पत्नी व साली का पता नहीं चला।
आखिर वहां पर यात्रा में फंसे काफी लोगों का जमवाड़ा लग गया था जिन्हें वापस भेज दिया। आखिर दूसरे दिन साइन बोर्ड के माध्यम से पता चला की पत्नी और साली की मौत हो चुकी है। तब वह अस्पताल पहुंचे और दोनों के शवों की पहचान की। काश पत्नी उनकी तरह बचने की हिम्मत दिखाती तो वह उनके साथ होती।
हाथ में लड्डू गोपाल और जुबां पर माता रानी था नाम ने उन्हें बचाया
अमित बताते हैं कि हादसे से पहले उन्होंने साइन बोर्ड द्वारा लगाए गए टी- स्टाल से चाय पी थी। यहां पर नीरा ने लड्डू गोपाल उनके हाथ में दे दिया था। जबकि वह बेटी और लड्डू गोपाल के साथ आगे चल दिए। जबकि चांदनी की सास गीता गोयल उनसे भी आगे चली गई। जबकि उनकी जुबां पर माता रानी के जयकारे थे।
वह अर्द्धकुवारी पर जाकर रुकते लेकिन इससे पहले ही जिंदगी उजड़ गई। टिन शेड पर गिर रहा मलवा और पानी के बीच आवाज लगाई लेकिन पत्थर पानी का शोर इतना था कि आवाज दब गई।
मोबाइल नेटवर्क दे गया जवाब, संपर्क भी कट गया
अमित बताते हैं कि हादसे के बाद जहां एक तरफ अपनों को खोज रहे थे वहीं पर दूसरी तरफ मोबाइल नेटवर्क नहीं था। इसके लिए साइन बोर्ड और कार्ड पर लिखे नंबरों को कई बार मिलाया लेकिन नहीं मिला। वह रात में कई बार भूस्खलन स्थल पर पहुंचे लेकिन वहां भी कोई जवाब देने वाला नहीं था। दूसरे दिन करीब पंद्रह किलोमीटर दूर नारायण हास्पिटल पहुंचे और तब दोनों शवों की पहचान की।
साली साढू का था माता के दर्शन का प्रोग्राम वह भी शामिल हो गए
अमित बताते हैं कि साली-साढू का माता के दर्शन का प्रोग्राम था। उन्होंने भी साथ जाने का मन बना लिया। नीरा पहली बार गई थी लेकिन होने की कुछ ओर ही मंजूर था और अर्द्धकुवारी से चंद कदम दूरी पहुंचने से पहले ही उन्हें रोक लिया। वह बिना दर्शन किए शव को लेकर पहुंचे।
शोकाकुल परिवार के बीच पहुंचे नायब तहीलदार
नायब तहसीलदार रितिक सैनी मुहल्ला तिहाई में शोकाकुल परिवार के बीच पहुंचे और सैनी भी शोकाकुल स्वजन के बीच पहुंचे और नीरा वर्मा व उनकी बहन की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि देवीय आपदा के तहत हर संभव मदद दिलाई जाएगी।
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