टोल कंपनियों ने DM की भी नहीं सुनी, 8 महीने से छुपा रहे थे करोड़ों का 'खेल', अब RTI से सामने आएगी सच्चाई?
मेरठ में एनएचएआइ द्वारा टोल टैक्स वसूली में एजेंसियों के साथ अनुबंध में स्टांप शुल्क की चोरी का आरोप है जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। शासन ने वसूली का आदेश दिया है लेकिन कंपनियां अनुबंध की प्रति नहीं दे रही हैं। स्टांप अधिकारियों ने आरटीआई के माध्यम से जानकारी जुटाने की तैयारी की है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। एनएचएआइ द्वारा टोल टैक्स वसूली के लिए एजेंसियों के साथ किए गए अनुबंध में अनुबंध राशि के चार प्रतिशत स्टांप शुल्क की चोरी का आरोप है। यह राशि करोड़ों में है। शासन ने इस स्टांप शुल्क वसूली का आदेश दिया है। इसके लिए टोल कंपनियों से अनुबंध की प्रति मांगी जा रही है लेकिन आठ महीने से भी अधिक समय से उन्होंने प्रति नहीं दी है।
अब स्टांप अधिकारियों ने सूचना का अधिकार के तहत अनुबंध की प्रति प्राप्त करने की तैयारी की है। जनपद में कुल मार्गों पर टोल प्लाजा हैं। इनमें से दो का वाद विचाराधीन है। लिहाजा दो टोल कंपनियों के पास आरटीआइ का आवेदन भेजा जा रहा है।
मेरठ जनपद में मेरठ-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर मवाना के पास भैंसा गांव में टोल प्लाजा है। मेरठ करनाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांव भूनी चौराहा पर टोल प्लाजा बनाया है। मेरठ देहरादून मार्ग पर सिवाया गांव में जबकि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर काशी गांव में टोल प्लाजा संचालित है।
एनएचएआइ द्वारा टोल टैक्स की वसूली का काम निजी टोल कंपनियों को दिया जाता है। एएचएआइ द्वारा अनुबंध किया जाता है। इस अनुबंध को विधिमान्य करने के लिए अनुबंध की राशि की चार प्रतिशत धनराशि का स्टांप अदा करना होता है लेकिन किसी अनुबंध में स्टांप शुल्क अदा नहीं किया गया।
शासन ने पूरे प्रदेश में टोल अनुबंधों की जांच कर स्टांप शुल्क की वसूली का आदेश दिया है। इस आदेश के विरुद्ध अपील की गई लेकिन उसका निर्णय भी विभाग के पक्ष में आया है। इसके बाद से सभी टोल कंपनियों को पत्र भेजकर उनके अनुबंध की प्रति मांगी जा रही है।
आठ महीने बाद भी किसी टोल एजेंसी ने अनुबंध की प्रति उपलब्ध नहीं कराई जबकि इसके लिए अधिकतर पत्र डीएम के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं।
दो कंपनियों को भेजे जा रहे पत्र
मेरठ जनपद में सिवाया टोल प्लाजा के अनुबंध में स्टांप शुल्क की चोरी का केस एडीएम वित्त के न्यायालय में लंबित हैं। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे के अनुबंध को हापुड़ के अधिकारियों से प्राप्त करके उनपर स्टांप शुल्क का मुकदमा भी दर्ज करा दिया लेकिन मुकदमा भी कानूनी दांव पेंच में फंसा है।
एआइजी निबंधन शर्मा नवीन कुमार एस ने बताया कि मवाना रोड के भैंसा और करनाल रोड के भूनी टोल प्लाजा को सूचना के अधिकार के तहत पत्र भेजे जा रहे हैं। उनसे अनुबंध की प्रति की मांग की गई है। टोल प्लाजा और टोल कंपनियां इस नियम में आती हैं। अन्य जनपदों में भी इसी प्रकार अनुबंध प्राप्त किए गए हैं।
टोल प्लाजा को पत्र हमसे पूर्व अधिकारी द्वारा जारी किए गए हैं। इस संबंध में स्टांप अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करके टोल कंपनियों से बात की जाएगी। उन्हें अनुबंध की प्रति देनी ही होगी। -डा. वी के सिंह, डीएम
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