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    UP का वो इकलौता गांव जो तंबाकू के नशे से हुआ मुक्त, दुकानों में नहीं मिलनता बीड़ी-गुटखा और पान मसाला

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 05:57 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश का एक गांव तंबाकू के नशे से मुक्त हो गया है। गांव की दुकानों में गुटखा, बीड़ी और पान मसाला नहीं मिलते। ग्रामीणों ने मिलकर तंबाकू के खिलाफ पहल की और दुकानों में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी। नशामुक्ति के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया, जिससे गांव में खुशहाली आई है।

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    नंगली किठौर गांव नशामुक्त होने के बाद ग्राम प्रधान के बेटे को सर्टिफिकेट देते सांसद अरुण गोविल और अन्य जन प्रतिनिधि। फाइल फोटो

    सर्वेंद्र पुंडीर, मेरठ। नशा शरीर और समाज को खोखला कर देता है, जिसका इलाज सिर्फ जागरूकता और इच्छाशक्ति है। इसकी एक जीवंत तस्वीर मेरठ मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर छह हजार की आबादी वाले गांव नंगली किठौर ने खींची है। ग्राम प्रधान समेत सभी ने ऐसा संकल्प लिया कि पूरा गांव तंबाकू के नशे के अंधकार से मुक्त उजाला के पिंड पर खड़ा हो गया।
     
    गां वालों क चेहरे पर इस नशे से जीतने की चमक है। यहां तंबाकू का नशा पूर्णत: प्रतिबंधित है। उल्लंघन करने वालों पर जुर्माने का प्रविधान है। गांव में किसी दुकान पर गुटखा, बीड़ी, सिगरेट व पान मसाला नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य विभाग के रजिस्टर में गांव नशामुक्त के रूप में दर्ज है। डीएम, सीडीओ, सीएमओ भी प्रमाणपत्र दे चुके हैं।

    गांव के एक चौराहे पर लियाकत अली की परचून है। उनसे गुटखा मांगा तो उन्होंने साफ कर दिया कि यहां किसी भी दुकान पर नशे से संबंधित कोई वस्तु नहीं मिलेगी। ऐसे ही आठ दुकानों पर पहुंचकर तंबाकूयुक्त उत्पाद मांगा, लेकिन सभी ने मना कर दिया। गांव वाले बताते हैं कि प्रधान ब्रजबाला ने गांव को नशामुक्त करने के लिए एक वातावरण बनाया।

    मंत्रियों एवं जनप्रतिनिधियों ने किया सम्मानित 

    गांव को हाल में राज्य सरकार के मंत्रियों एवं जनप्रतिनिधियों ने सम्मानित कर इसे एक उदाहरण के रूप में पेश किया। इस गांव में वर्ष 2021 में प्रधान बनीं ब्रजबाला ने स्वास्थ्य विभाग के आयुष्मान आरोग्य मंदिर, आशा कार्यकर्ता, ग्राम पंचायत सदस्य की टीम गठित की। घर-घर जाकर जागरूक किया। सीडीओ, सीएमओ, डीपीआरओ ने पंचायत कर प्रधान को तंबाकू युक्त उत्पाद बेचने पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया।
     
    अब कोई भी दुकानदार चोरी छिपे तंबाकू युक्त सामान बेचता है तो उससे 200 से 500 रुपये तक जुर्माना वसूला जाता है। ग्रामीण जयपाल बताते हैं कि मैंने तीन साल पहले बीड़ी छोड़ी। अब सांस फूलने से निजात मिल गई है। भगवान सिंह दावा करते हैं कि तीन साल पहले गांव के 35 प्रतिशत युवा तंबाकू से बने उत्पाद का प्रयोग करते थे।
     
    अब सब इस नशाखोरी से मुक्त हैं। दुकानदार राकेश उर्फ पिंटू ने बताया कि मैंने 4500 रुपये जुर्माना दिया। स्वास्थ्य विभाग की टीम तो कभी ग्राम सचिव प्रधान के साथ आकर जुर्माना लगाते थे। अब नहीं बेचता। ग्राम सचिव अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि साढ़े तीन साल में 39 हजार रुपये जुर्माना वसूलकर पंचायत के खाते में जमा किया, जिससे विकास होगा।  

    जुर्माना न देने पर मुकदमे का प्रविधान : डीपीआरओ

    जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने बताया कि यदि कोई दुकानदार जुर्माना नहीं देगा तो उसके खिलाफ ग्राम प्रधान सीएमओ को एक रिपोर्ट देंगी। सीएमओ की टीम गांव में जुर्माना वसूलने के जाएगी। यदि दुकानदार तब भी जुर्माना नहीं देगा तो उसके खिलाफ सीएमओ की तरफ से थाने में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। हालांकि अभी तक ऐसी नौबत नहीं आई है।
     
    नंगली किठौर गांव तंबाकू के नशे से मुक्त गांव है। यह प्रदेश का ऐसा पहला गांव है। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी यहां समय-समय पर पहुंचकर दुकानदारों की चेकिंग करती है। यह सब ग्राम प्रधान के सहयोग से हो पाया।
    - डा. अशोक कटारिया, सीएमओ
     
    नंगली किठौर गांव में हम कई बार पंचायत करके ग्रामीणों को जागरूक कर चुके है। यहां तंबाकू का नशा बेचने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। 2024-25 में यह गांव तंबाकू के नशे से मुक्त घोषित किया गया है।
    - नूपुर गोयल, मुख्य विकास अधिकारी
     
    मेरी शादी को करीब 38 साल हो गए। तब से लेकर अब तक गांव में आठ लोगों की कैंसर से मौत हो चुकी। जिसका कारण तंबाकू था। इसलिए मैंने प्रधान बनते ही डीपीआरओ के सामने अपने गांव को तंबाकू मुक्त बनाने का प्रपोजल रखा, जो कामयाब हुआ। अब मेरा गांव तंबाकू मुक्त है। मुझे दुख इस बात का है कि अभी तक मैं अपने गांव में शराब पर पाबंदी नहीं लगा पाई हूं। जिला प्रशासन की मदद मिली तो यह भी जल्दी ही करूंगी।
    -ब्रजबाला, ग्राम प्रधान नंगली किठौर
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