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    अधूरी रह गई थी उपन्यासकार ओपी शर्मा की आत्मकथा

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 14 Oct 2021 09:35 AM (IST)

    देश के कोने- कोने में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा के लिखे उपन्यासों का पाठक इंतजार करते थे। ऐसे लेखक की आत्मकथा पिछले 23 साल से अधूरी है। अपने जीवनकाल ...और पढ़ें

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    अधूरी रह गई थी उपन्यासकार ओपी शर्मा की आत्मकथा

    मेरठ, जेएनएन। देश के कोने- कोने में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा के लिखे उपन्यासों का पाठक इंतजार करते थे। ऐसे लेखक की आत्मकथा पिछले 23 साल से अधूरी है। अपने जीवनकाल में उन्होंने 400 से अधिक उपन्यास लिखे। इतने सालों के बाद उनके उपन्यास का दोबारा से प्रकाशन शुरू हो रहा है। लोगों की मांग पर डिजिटल प्लेटफार्म पर भी उनके कई उपन्यास का शुभारंभ हो चुका है।

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    उपन्यासकार ओमप्रकाश शर्मा आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके लिखे उपन्यास आज भी लोग खूब पसंद करते हैं। 25 दिसंबर 1924 को जन्मे ओमप्रकाश शर्मा पहले छीपी टैंक के पास किराए के मकान मेंरहते थे। फिर सूरजकुंड के पास रहने लगे। 14 अक्टूबर 1998 में उनका निधन हुआ था। 14 अक्टूबर को उनकी 23वीं पुण्यतिथि है। आज उनके पुत्र वीरेंद्र कुमार शर्मा पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने पिता की आत्मकथा के अधूरे पन्नों को अपने संस्मरण से पूरा करने की भी बात की।

    समसामयिक विषयों को बनाया आधार

    ओमप्रकाश शर्मा ने अपने उपन्यास में समसामयिक विषयों को आधार बनाया। जासूसी उपन्यासों में उन्होंने भ्रष्ट नेताओं, अधिकारियों, ठेकेदारों और गुंडों के गठजोड़ पर प्रहार किया। उनके खिलाफ भी खूब लिखा। समाज के कलंक, होटल में एक रात, रंगकोट का रेस्ट हाउस आदि प्रमुख उपन्यास रहे। उन्होंने नवोदित उपन्यासकारों का मार्गदर्शन किया।

    पापी धर्मात्मा का दोबारा से प्रकाशन

    लोगों की मांग को देखते हुए ही उनके कई उपन्यासों का दोबारा प्रकाशन भी किया जा रहा है। वीरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि इसी माह औरंगजेब के जीवन पर लिखे उपन्यास पापी धर्मात्मा का फिर से प्रकाशन होने जा रहा है।

    उपन्यास पर बनी है फिल्म

    ओमप्रकाश शर्मा के उपन्यास धड़कनें पर एक फिल्म भी बनी थी। अनिल कपूर की यह फिल्म चमेली की शादी के नाम से आई थी। उनके जीवन काल में कई फिल्म निर्माता भी उनसे संपर्क में रहे।

    ओपी शर्मा के लिखे कुछ उपन्यास

    औरतों का शिकार, नीलम जासूस कार्यालय, कब्रिस्तान की चीख, कुलदेवी का रहस्य, केसरी गढ़ की काली रात, जगत अफ्रीका में, जगत की वियतनाम यात्रा, जगत की जादूगरनी, ट्रांसमीटर की खोज, देशद्रोही वैज्ञानिक, नूरजहां का नेकलेस, पिशाच सुंदरी, पिशाच सुंदरी की वापसी, पी कहां, प्रिया, भयंकर जाल, भाभी, रुक जाओ निशा, राजगुरु, विद्रोही जागीरदार, विषकन्या, शंघाई की सुंदरी, शैतान की घाटी, सांझ का सूरज जैसे कुछ उपन्यास सबसे अधिक पसंद किए गए।