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आओ हस्तिनापुर चलें : अद्भुत है हस्तिनापुर का प्राचीन जयंती माता शक्ति पीठ मंदिर Meerut News

मंदिर के मुख्य गर्भगृह में पहुंचने पर होते हैं मां काली के भव्य स्वरूप के दर्शन।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 02:21 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 12:10 PM (IST)
आओ हस्तिनापुर चलें : अद्भुत है हस्तिनापुर का प्राचीन जयंती माता शक्ति पीठ मंदिर Meerut News
आओ हस्तिनापुर चलें : अद्भुत है हस्तिनापुर का प्राचीन जयंती माता शक्ति पीठ मंदिर Meerut News

मेरठ, [सचिन गोयल]। हस्तिनापुर में महाभारतकालीन मंदिरों में जयंती माता शक्तिपीठ मंदिर भी स्वयं में अद्भुत है। मंदिर में पांडवों की कुलदेवी मां जयंती पिंडी रूप में विराजमान हैं। मां की मूर्ति का प्रतिदिन होता श्रृंगार श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने पर मजबूर करता है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मंदिर का वातावरण भी श्रद्धालुओं को खूब भाता है।

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‘आओ हस्तिनापुर चलें’ अभियान के तहत आज हम पहुंचें पांडव टीला स्थित जयंती माता मंदिर पर। मुख्य मार्ग से पांडव टीले के पास से गुजर रहे रास्ते से होते हुए जयंती माता शक्तिपीठ मंदिर के पास पहुंच सकते हैं। यहां से आपको एक लोहे की सीढ़ियां दिखाई देंगीं, जहां से चढ़कर जयंती माता के दर्शन करने पहुंचा जा सकता। विशाल बरगद की छाया संपूर्ण मंदिर परिसर को अपने आगोश में समेटे हुए है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में पहुंचने पर मां काली के स्वरूप के दर्शन होते हैं। साथ ही ¨पडी रूप में विराजमान मां के दर्शन भी होंगे।

गंगा के वेग से क्षतिग्रस्त हो गया था मंदिर

बताया गया कि पौराणिक समय में जब गंगा नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाते हुए हस्तिनापुर में तबाही की थी, उस समय हस्तिनापुर का साम्राज्य नष्ट हो गया था। तभी से महाभारत के महल, मंदिर, मठ इत्यादि जमीन में दबे हैं। इसके बाद माता के स्वरूप को पिंडी रूप में पुर्नस्थापित किया गया।

मनमोहक है मंदिर का प्रांगण

जयंती माता शक्तिपीठ मंदिर परिसर का दृश्य प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। पांडव टीले के ऊपर जंगल के बीच से संकरी पगडंडी से होते हुए भी मंदिर तक पहुंच सकते है। यह मार्ग आपको किसी पर्वत की चढ़ाई सा अनुभव करा देगा। मंदिर परिसर में दो प्राचीन मठ विराजित हैं। इसके अलावा भगवान शिव की विशाल प्रतिमा, शनि महाराज के भी दर्शन कर सकते हैं।

जयंती माता ने पांडवों को दिए थे अस्त्र-शस्त्र: मनीष

बताते हैं कि जयंती माता पांडवों की कुलदेवी थीं और भगवान कृष्ण के कहने पर पांडवों ने जयंती माता की स्तुति की थी। मां जयंती ने पांडवों की आराधना से प्रसन्न होकर इसी स्थान पर उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्र भी प्रदान किए थे। जिसका प्रयोग उन्होंने महाभारत युद्ध में किया और वे विजयी हुए। मंदिर के पुजारी पंडित मनीष शुक्ला ने मंदिर की महत्ता बताते हुए कहा कि जयंती माता मंदिर बहुत प्राचीन और शक्तिपीठ है। मां सती के शरीर के अंग व आभूषण जिन-जिन स्थानों पर गिरे वहीं शक्तिपीठ कहलाए। बताते हैं कि हस्तिनापुर के इस स्थान पर माता सती का जंघा वाला भाग गिरा और जयंती माता शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हुईं। 


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