'मुगल-अंग्रेजों के बाद अब राज्य सरकारें कर रहीं मंदिरों के पैसे का दुरुपयोग', केंद्रीय प्रन्यासी मंडल बैठक में विहिप ने उठाई ये मांग
विहिप की पांच दिवसीय केंद्रीय प्रन्यासी मंडल बैठक के तीसरे दिन गुरुवार को मंदिरों के धन के दुरुपयोग को रोकने पर चर्चा हुई। केंद्रीय महामंत्री ब ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मेरठ। विहिप की पांच दिवसीय केंद्रीय प्रन्यासी मंडल बैठक के तीसरे दिन गुरुवार को मंदिरों के धन के दुरुपयोग को रोकने पर चर्चा हुई। केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने कहा कि मुगल शासनकाल में मंदिरों को नष्ट-भ्रष्ट करने का प्रयत्न लंबे समय तक चला। अंग्रेजों ने कानून बनाकर मंदिरों के धन का दुरुपयोग करने का मार्ग खोला था।
अब राज्य सरकारें भी मंदिरों के धन का दुरुपयोग कर रही हैं, यह उचित नहीं है। बांगड़ा ने कहा कि जब तक मंदिर अपनी मूल भूमिका के साथ सक्रिय थे तब तक देश, समाज और परिवार संस्था भी सुरक्षित और संस्कारित थे। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि मंदिरों का चढ़ावा और धन भगवान की संपत्ति है। इसे केवल मंदिर के हित में ही उपयोग किया जाए।
मंदिरों के लिए एक समान कानून होना आवश्यक
देशभर में मंदिरों के लिए एक समान कानून होना आवश्यक है, मंदिर सरकार के नियंत्रण से मुक्त होना भी आवश्यक है। बैठक में धर्मांतरण को रोकने और घर वापसी को व्यापक रूप से प्रोत्साहित करने के लिए भी एक कार्ययोजना बनाई गई। इन विषयों पर एक पुस्तक घर वापसी -क्यों और कैसे के हिंदी व अंग्रेजी संस्करण का भी विमोचन किया गया गया।
गोरक्षा व गऊ संवर्धन के लिए मासिक पत्रिका गऊ संपदा का भी विमोचन हुआ। कांग्रेस के अधिवेशन में मुस्लिम नेताओं ने किया था वंदे मातरम् का विरोध बैठक में राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष होने पर उसके रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्य वक्ता बांगड़ा ने कहा कि 1907 तक के सभी आंदोलनों का मूल मंत्र वंदे मातरम् ही था।
बंग-भंग आंदोलन की प्रेरणा वंदे मातरम् ही था। कांग्रेस अधिवेशन में कुछ मुस्लिम नेताओं के एक समूह ने 1908 में वंदे मातरम् के गायन का विरोध किया था। तब से वंदे मातरम् के विरोध के नाम पर पृथकतावादी राजनीति प्रारंभ हो गई।

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