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    जाने कौन थे चौधरी चरण सिंह, जिनकी याद में मनाया जाता है किसान दिवस

    By Prem Dutt BhattEdited By:
    Updated: Thu, 23 Dec 2021 09:21 AM (IST)

    Chaudhary Charan Singh Jayanti चौधरी साहब ने मेरठ कालेज से एलएलबी के बाद यहीं वकालत की। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने इकोनामिक नाइट मेयर आफ इंडिया समेत कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। मेरठ से आज भी उनकी यादें जुड़ीं हैं।

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    मेरठ के पश्चिमी कचहरी रोड पर उल्फत राय क्वार्टर 237 में था कार्यालय।

    ओम बाजपेयी, मेरठ। Chaudhary Charan Singh Jayantiचौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि रहा है मेरठ। यहां के मेरठ कालेज से उन्होंने एलएलबी के बाद में यहीं वकालत भी की। चौधरी साहब के नेतृत्व वाली जनता पार्टी के 12 वर्षों तक मेरठ के जिला अध्यक्ष रहे पूर्व विधायक जगत सिंह बताते हैं कि पश्चिमी कचहरी रोड, स्थित उल्फत राय क्वार्टर 237 नंबर में उनका निवास हुआ करता था। छोटे से मकान में रह कर उन्होंने वकालत की शुरुआत की थी, तीन-चार साल वह यहां रहे। बाद में उन्होंने यह मकान अपने मुंशी शिवचरण दास को दे दिया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मकान में बिजली का बिल आज भी चौधरी चरण सिंह के नाम से आता है। शिवचरण दास के पोते वरुण शर्मा ने बताया कि चौधरी साहब का कार्यालय नीचे था और ऊपर वह परिवार के साथ रहते थे।

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    धरती से जुड़कर शिखर पर पहुंचे

    पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने इकोनामिक नाइट मेयर आफ इंडिया समेत कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। चौधरी चरण सिंह विवि के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डा. अतरवीर सिंह ने बताया कि चौधरी साहब का मानना था कि ऐसे उद्योग सृजित होने चाहिए, जिनमें श्रम की मांग ज्यादा हो, जिससे अधिक लोगों को रोजगार मिल सके। जगत सिंह बताते हैं कि चौधरी साहब महाभारत से जुड़ी कथाएं लोक शैली में गाते थे और सुनने के भी शौकीन थे। 1977 में पतला इंटर कालेज होली समारोह हुआ था। उसमें उन्होंने लोक गीत गाए और सुने थे।

    चौधरी साहब के पिता मीर सिंह और माता नेत्र कौर।

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    हमेशा किसानों के हित में सोचा

    किसानों के मसीहा कहे जाने चौधरी चरण सिंह की आज जयंती है। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री को पूरा देश नमन कर रहा है। चौधरी साहब का जन्म 23 दिसंबर 1902 को यूपी के हापुड़ में हुआ था। चौधरी चरण सिंह ने हमेशा ही किसानों के हित के लिए संघर्ष किया और कई महत्‍वपूर्ण फैसले लिए। उन्‍होंने जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान किसानों के उत्‍थान और विकास के लिए अनेक अहम नीतियां बनाईं। बाद में उनके यह प्रयास सफल भी हुए और किसानों के हालातों में काफी सुधार भी दिखा। उनकी कई योजनाओं को आज भी याद किया जाता है।

    प्रधानमंत्री संग्रहालय का हिस्सा बनेंगे चौधरी साहब से जुड़े दस्तावेज

    चौधरी चरण सिंह से जुड़ी वस्तुएं राष्ट्र की धरोहर बनेंगी। दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर स्थित संग्रहालय में सभी 15 प्रधानमंत्रियों के जीवन की उपलब्धियों की डिजिटल झांकी दर्शाई जाएगी। चौधरी चरण सिंह अभिलेखागार ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन संस्था नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी पांच दस्तावेज उपलब्ध कराएं गए हैं। जो इस प्रकार हैं।

    - 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान चौधरी चरण सिंह द्वारा बरेली जेल में लिखी दो डायरियां

    - रिपोर्ट आफ युनाइटेड प्रोविंसेस जमींदारी एबोलिशन कमेटी 1948 दो खंडों में मूल कापी

    - चरण सिंह द्वारा लिखित पुस्तक इंडियन पावर्टी एंडस इट्स सल्युशन की मूल कापी

    - सन 1950 का चौधरी चरण सिंह के पिता मीर सिंह और माता नेतार कौर का फोटो

    - 1990 में भारत सरकार द्वारा उनके नाम पर जारी किया गया प्रथम डाक टिकट और ब्रोशर। 

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