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    River Conservation: रागिनी की सरगम से करेंगे काली नदी का कायाकल्प Meerut News

    By Taruna TayalEdited By:
    Updated: Mon, 30 Sep 2019 02:57 PM (IST)

    गायक ब्रह्म्मपाल ने नदी संरक्षण के लिए नई दिल्ली के स्टूडियो में काली नदी पर रागिनी रिकार्ड की। गीत लिखने से पहले उन्‍होंने नदी के तट पर भ्रमण भी किया ...और पढ़ें

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    River Conservation: रागिनी की सरगम से करेंगे काली नदी का कायाकल्प Meerut News

    मेरठ, [संतोष शुक्ल]। जान बूझकर जीवन अपना तुम न नरक बनाओ...जीना है तो जागो यारो काली नदी बचाओ। ये किसी कविता की पंक्ति नहीं। कोई जागरूकता का स्लोगन भी नहीं, बल्कि ये मेरठ से बहने वाली काली नदी ईस्ट की पुकार है जो मशहूर रागिनी गायक ब्रह्मपाल नागर के सुरों में ढलकर लोगों के दिल में उतरने को तैयार है। पश्चिमी उप्र की भाग्यरेखा रही काली नदी के कायाकल्प को लेकर नागर ने रागिनी का एक एल्बम तैयार किया है। ये जल्द केंद्र एवं राज्य के संस्कृत, पर्यटन एवं वन विभाग को भी भेजी जाएगी।

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    ...लहरों में रवानी की आस

    27 देशों में रागिनी का कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके नोएडा में बरोला गांव निवासी ब्रहमपाल नागर ने चार दिन पहले इन गीतों को नई दिल्ली के पटेल स्टूडियो में रिकार्ड दिया। दो गीतों में काली नदी की महिमा, दर्द, अतीत, और लहरों की उमंग भी है। दूसरे गीत का मुखड़ा...जल संरक्षण और जल संचय का गांव-गांव परबंध करो...जौहड़ और तालाबों को मत आ लालच में बंद करो...के जरिए जल संपदा को संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया है। गायक नागर लंबे समय से सामाजिक मुद्दों दहेज, अशिक्षा, पल्स पोलियो, भ्रूण हत्या, अपराध और वृक्षारोपण पर लिखते रहे हैं।

    काली का दर्द जाना...फिर लिखा

    नागर ने बताया कि काली नदी पर रागिनी रिकार्ड करने के लिए मेरठ निवासी व नीर फाउंडेशन के रमन त्यागी ने उन्हें प्रेरित किया। गीत लिखने से पहले नदी के किनारे-किनारे करीब सौ किमी की यात्रा की। उन्हें दुख है कि नमामि गंगे में शामिल होने के बावजूद नदी के कायाकल्प के प्रयास में गति नहीं आई। वो बताते हैं कि जल्द ही इन गीतों को बजाकर स्कूल, गांव व संस्थाओं को जागरूक किया जाएगा। बता दें कि काली नदी ईस्ट मुजफ्फरनगर के अंतेवाड़ा से निकलकर कन्नौज में गंगा नदी से मिल जाती है।

    ...गाकर झूम उठे नागर

    ब्रह्मपाल नागर प्रदेश के जाने माने रागिनी गायक हैं। वो नोएडा में पटेल सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए युवाओं को आल्हा, मल्हार, रसिया, ढोला, होली और रागिनी जैसी लोक विधाओं में प्रशिक्षित कर रहे हैं। नागर बताते हैं कि उन्हें पांच देशों के प्रधानमंत्री और 19 मुख्यमंत्रियों के समक्ष कार्यक्रम पेश करने का अवसर मिला है, लेकिन काली नदी के कायाकल्प के लिए सुर छेड़कर उनके मन का सितार बज उठा। बड़ा सुकून मिला है। करीब दो साल पहले स्वच्छ ङ्क्षहडन कार्यक्रम के अंतर्गत भी ब्रह्मपाल ने रागिनी गाया। तत्कालीन मंडलायुक्त डा. प्रभात कुमार ने उन्हें सम्मानित भी किया था।