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    हैरान करने वाला उपचार! बच्चे की चोट पर टांका नहीं लगाया... फेवीक्विक से चिपकाया

    By Dileep Patel Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 09:27 PM (IST)

    एक चौंकाने वाली घटना में, एक बच्चे की चोट को टांके लगाने के बजाय फेवीक्विक से चिपका दिया गया। इस लापरवाही भरे उपचार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। चिकित्सकों द्वारा फेवीक्विक का उपयोग करना जोखिम भरा है और इससे संक्रमण हो सकता है।  

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    मनराज सिंह। सौ.स्वजन

    जागरण संवाददाता, मेरठ। गढ़ रोड स्थित भाग्यश्री अस्पताल में एक दो साल के बच्चे के उपचार के दौरान हैरान करने वाली लापरवाही सामने आई है। स्वजन ने बच्चे की आंख के पास लगी चोट पर टांके लगाने के बजाए पांच रुपये की फेवीक्विक से चिपकाने का आरोप लगाया है। मामले की शिकायत पर सीएमओ ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस मामले में अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की मांग की गई है। सीएमओ डा. अशोक कटारिया का कहना है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

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    यह है मामला
    जागृति विहार एक्सटेंशन के पास महपल हाइट्स में रहने वाले सरदार जसपिंदर सिंह ने बताया कि उनका दो साल का बेटा मनराज सिंह मंगलवार की रात खेलते-खेलते गिर गया था। जिससे उसकी बांयी आंख के ऊपर कट लग गया था। उसे तुरंत भाग्यश्री अस्पताल ले गए। स्वजन के अनुसार, अस्पताल में स्टाफ मौजूद था। उन्होंने बच्चे की चोट देखी और फेवीक्विक लाने को कहा। सेंट्रल मार्केट से फेवीक्विक ले गए।

    आरोप है कि घाव की ड्रेसिंग किए बिना कटे हुए हिस्से में फेवीक्विक लगा दिया। स्वजन ने टिटनेस का इंजेक्शन लगाने के लिए कहा तो मना कर दिया। दर्द से परेशान बच्चे को देखकर पिता जसपिंदर सिंह उसे हापुड़ अड्डे स्थित एक निजी चिकित्सक के पास ले गए। उन्होंने बताया कि चिकित्सक ने फेवीक्विक देखकर हैरानी जताई। अनुरोध पर टिटनेस का इंजेक्शन लगाया। बुधवार सुबह लोकप्रिय अस्पताल लेकर गए। जहां डा. सिद्धार्थ ने हैरानी जताई और घाव से फेवीक्विक की सफाई की। इसके बाद ड्रेसिंग कर चार टांके लगाए। पिता जसपिंदर इससे परेशान होकर फिर भाग्यश्री अस्पताल पहुंचे। दूसरे दिन उनको यहां एक डाक्टर मिले। जिनसे फेवीक्विक लगाने के बारे में बताया, लेकिन उन्होंने कोई तवज्जो नहीं दी। जिसके बाद सीएमओ कार्यालय में शिकायत की है।

    दो सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
    पीड़ित बच्चे के पिता ने आक्रोश जताते हुए कहा कि यदि बच्चे की आंख में फेवीक्विक का गोंद चला जाता तो रोशनी जाने का खतरा हो सकता था। भाग्यश्री अस्पताल में किसी दूसरे मरीज के साथ ऐसा न हो। इसे ध्यान में रखते हुए सीएमओ कार्यालय में जांच के लिए शिकायत की है। सीएमओ डा. अशोक कटारिया ने डिप्टी सीएमओ डा. महेश चंद्रा और पीएल शर्मा जिला अस्पताल के एक सर्जन की टीम गठित की है। टीम ने गुरुवार को पीड़ित बच्चे के पिता से फोन पर बात कर पूरी जानकारी ली। सीएमओ का कहना है कि शुक्रवार को भाग्यश्री अस्पताल के चिकित्सकों के बयान लिए जाएंगे। रिपोर्ट आने पर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

    अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की मांग
    इस मामले में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के छात्र नेता विनीत चपराना ने भी सीएमओ से भाग्यश्री अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने की मांग की है। फेवीक्विक से घाव चिपकाने का मामला गंभीर है। चेतावनी दी है कि यदि 48 घंटे में कोई कार्रवाई न हुई तो सीएमओ कार्यालय का घेराव किया जाएगा। उधर, अस्पताल प्रबंधन से जब इस मामले में संपर्क साधा गया तो फोन ही रिसीव नहीं किया गया।