मुखर व साहसी व्यक्तित्व की धनी थीं शिवरानी देवी
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी की पुण्यतिथि पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में मेरठ के साथ देश के विभिन्न भागों से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
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मेरठ, जेएनएन। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी की पुण्यतिथि पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में मेरठ के साथ देश के विभिन्न भागों से सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। देश की महिला रचनाकारों को समर्पित फेसबुक पेज स्त्री दर्पण पर शनिवार को कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
हाल में प्रकाशित 'एक विस्मृत रचनाकार- शिवरानी देवी' पुस्तक के लेखक डा. क्षमाशंकर पांडेय ने किताब के विभिन्न अंशों का पाठ किया। उनके बहुमुखी व्यक्तित्व के पहलुओं के बारे में बताया। एनएएस डिग्री कालेज में हिदी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रज्ञा पाठक ने बताया कि शिवरानी देवी न सिर्फ लेखिका थीं, बल्कि स्वाधीनता संग्राम के दौरान उन्होंने 56 महिलाओं के दल का नेतृत्व भी किया था। इसके कारण 1930 में उन्हें जेल की सजा भी हुई थी। कहा उनकी कहानी के पात्र और परिवेश बहुत कुछ प्रेमचंद से मिलता-जुलता है। पर दोनों की रचनाएं पढ़ने पर एक नारी होने के नाते वह पात्रों के साथ जैसा व्यवहार करती हैं वह प्रेमचंद जी से काफी अलग है। निराला नाच कहानी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि यह एक पात्र खलक सिंह की कहानी है जो होली पर गांव की स्त्रियों के साथ बेहद फूहड़ता से पेश आता है। बाद में गांव की कुछ स्त्रियां डाकू के वेश में उसके घर पहुंचती हैं, भांग की पिनक में चूर खलक सिंह को अंत तक इसकी भनक तक नहीं लग पाती है। वह उससे नाचने को कहती हैं। कहानी का यह दृश्य बेहद ही रोचक है जिसमें हाथ-पैर जोड़ते हुए खलक सिंह डाकुओं से माफी मांगता है और भविष्य में कभी गांव की महिलाओं को तंग न करने का वचन देता है। डा. प्रज्ञा ने बताया कि उनकी कहानी 1933-34 के आसपास की है। एक नारी का उस समय ऐसी सोच रखना उनकी मुखरता और साहसी व्यक्तित्व को रेखांकित करता है।
फेसबुक पेज स्त्री दर्पण के संचालक विमल कुमार ने कहा कि पांच कहानी ऐसी हैं जिनके शीर्षक समान हैं। इन पर प्रेमचंद और शिवरानी देवी दोनों ने कहानी लिखी। कहा कि शिवरानी देवी जी के जन्म की तिथि ज्ञात नहीं है। पर उनका निधन पांच दिसंबर 1976 को हुआ था। कहा कि भविष्य में भी महिला रचनाकारों के जन्म और पुण्यतिथि पर कार्यक्रम होंगे।
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