Sharad Purnima 2022: सर्वार्थ सिद्धि के शुभ योग में आज मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा, इस समय करें लक्ष्मी पूजन
Lakshmi Puja Time शरद पूर्णिमा पर दूध की खीर में घी और सफेद खांड मिला कर अर्ध रात्रि में ऐसे रखना चाहिए जिससे उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ें। चंद्र देव के मध्याकाश में आते ही उनका पूजन करना चाहिए। दूसरे दिन सुबह खीर का सेवन करना चाहिए।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Sharad Purnima 2022 शरद पूर्णिमा का पर्व रविवार को मनाया जा रहा है। बंगाली समाज इस दिन देवी लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करता है। बिल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डा. भारत भूषण चौबे ने बताया कि रविवार को सर्वार्थ सिद्ध् योग है। इस दिन दान पुण्य का बड़ा महत्व है।
चंद्रमा की किरणों का महत्व
दूध की खीर में घी और सफेद खांड मिला कर अर्ध रात्रि में ऐसे रखना चाहिए जिससे उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ें। चंद्र देव के मध्याकाश में आते ही उनका पूजन करना चाहिए। दूसरे दिन सुबह खीर का सेवन करना चाहिए। सदर दुर्गा बाड़ी में रविवार को शाम 7.30 बजे लक्ष्मी पूजन होगा। मुकुंदी देवी धर्म शाला में भी देवी का पूजन किया जाएगा।
धन धान्य एवं सुख समृद्धि
वहीं बुलंदशहर में यमुनापुरम स्थित पथवारी माता मंदिर के पुजारी ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश भट्ट ने बताया कि शरद पूर्णिमा में गाय का दूध, मिठाई और मखाने का विशेष महत्व है। इन सबको मिलाकर चंद्रमा के प्रकाश में खीर बनाई जाती है। जिसके सेवन से अनेक रोग दूर होते हैं। इस दिन नवविवाहितों के सुखमय जीवन, मां लक्ष्मी की कृपा, धन धान्य एवं सुख समृद्धि से परिपूर्णता की कामना के साथ कोजागिरी पर्व मनाया जाता है। देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है। माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अत: शरद पूर्णिमा, कोजागरी वृत, रास पूर्णिमा, खीर भोग अर्पण करना शास्त्रत्त् सम्मत और सही है।
अन्न धन की प्राप्ति की कामना
उन्होंने बताया कि इस रात माता महालक्ष्मी कमल आसन पर विराजमान होकर धरती पर आती हैं। इस दिन कई स्थानों पर लोग माता लक्ष्मी के नाम से व्रत करते हैं। उनसे अन्न धन की प्राप्ति की कामना करते हैं। वहीं देश के कई भागों में इस रात काली पूजा भी होती है। मान्यता है, कि माता लक्ष्मी इस रात लोगों के घरों पर घूमती हैं। देखती हैं कि किस व्यक्ति ने मेरी पूजा की है। माता जिस व्यक्ति से संतुष्ट होती है, उसे अपना आशीर्वाद भी देती है। रविवार को कार्तिक स्नान पूर्णिमा और भगवान वाल्मीकि जयंती भी होगी।
स्नान और दान का भी महत्व
शरद पूर्णिमा को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत रखें। एक साफ सुथरी जगह में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रख दें। इसके बाद फूल, अक्षत, चंदन, धूप, नैवेद्य, सुपारी, पान, लौंग, बाताशा, भोग आदि चढ़ा दें। इसके बाद आरती कर लें।
पूर्णिमा तिथि का आरंभ
रविवार की सुबह तीन बजकर 41 मिनट से होगा। रविवार की रात दो बजकर 24 मिनट तक पूर्णिमा रहेगी। रविवार सुबह 04:40 से 05:29 तक ब्रह्म मुहुर्त है। सुबह 11:45 से दोपहर 12:31 तक अभिजित मुहूर्त है। दोपहर 02:05 से 02:51 तक विजय मुहूर्त है। शाम 05:46 से शाम 06:10 गोधूलि मुहूर्त है। सुबह 06:18 से शाम 04:21 तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
शाम को करें गणपति व लक्ष्मी पूजा
इस दिन व्रत रखने वालों को संध्या के समय गणपति और माता लक्ष्मी की पूजा करके अन्न ग्रहण कर सकते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चांद अति सुंदर दिखाई देता हैं।
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