मेरठ: बास्केटबाल में बेटियों को आगे बढ़ाने की सोफिया स्कूल की ये है खास तैयारी
स्कूली शिक्षा में खेलकूद को अनिवार्य बनाने के साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने नई शुरुआत कर दी है। स्कूलों में इसे धीरे-धीरे लागू करना भी शुरू कर दिया ...और पढ़ें

मेरठ, अमित तिवारी। दो सत्र स्कूल से दूर रहे बच्चों ने जब इस सत्र में सोफिया स्कूल में कदम रखा तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। स्कूल प्रबंधन ने प्राइमरी, जूनियर व सीनियर विंग की छात्राओं के लिए अलग-अलग बास्केटबॉल सिंथेटिक कोर्ट बनाया है। बुधवार को कड़ाके की धूप में भी छात्राएं अपनी टोली बनाकर गेम पीरियड में बास्केटबाल में गेंद को डालने के रोमांच को महसूस करती नजर आईं। उनका उत्साह गर्मी की तपिश पर भारी पड़ता दिख रहा था।
कोरोना काल में बनी योजना, कोर्ट हुए तैयार
सोफिया गर्ल्स स्कूल में बास्केटबॉल पहले से ही होता आ रहा है। इससे पहले एक ही कोर्ट था जिस पर लंबे समय से छात्राएं प्रशिक्षण व अभ्यास कर रही थी। यह कोर्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित सीनियर खिलाड़ियों के लिए होने के कारण छोटी छात्राएं नहीं खेल पाती थी। इसलिए छोटी छात्राओं के लिए अलग सिंथेटिक कोर्ट बनाया गया है। प्राइमरी सेक्शन के लिए सबसे छोटा कोर्ट बनाया गया है जिसमें बास्केट 7 फिट ऊंचा है। इसमें छात्राएं आराम से बास्केट कर पा रहीं है जिससे उनका उत्साह और भी बढ़ने लगा है।
अन्य खेलो की भी बढ़ रही सुविधाएं
सोफिया गर्ल्स स्कूल में स्पोर्ट्स प्रशिक्षक मिर्जा शाहबाज बेग के अनुसार स्कूल में चार सिंथेटिक बास्केटबॉल कोर्ट लगाने के साथ ही बैडमिंटन कोर्ट भी तैयार किया गया है। इसमें छात्राएं बैडमिंटन का प्रशिक्षण भी ले रही हैं। यह सभी कोर्ट केवल स्कूल की छात्राओं के लिए ही तैयार किया गया है, जिससे एक ही समय में अधिक छात्राएं छात्राओं का गेम पीरियड होने के बाद भी उन्हें अपनी बारी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही छात्राओं को अधिक समय तक खेलने व प्रशिक्षण का मौका मिलेगा जिससे खेल में उनकी रुचि बढ़ेगी। छोटी उम्र में खेल में रुचि बढ़ने पर धीरे धीरे वह सीनियर स्तर तक खेल में जाने को प्रोत्साहित होंगी। मिर्जा बेग के अनुसार छोटी उम्र से यदि बालिकाएं बास्केटबॉल भी खेलती हैं तो सीनियर स्तर तक पहुंचने से पहले ही वह बहुत अच्छी खिलाड़ी बनकर तैयार हो सकेंगी।

खेलकूद है बेहद जरूरी
सोफिया गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर गेल ने कहा कि दो साल बाद बच्चों को स्कूल में जब खेलकूद का माहौल बदला सा दिखा तो उनके चेहरे की चमक देखने लायक थी। बच्चों का रुझान देखकर उन्हें भी प्रोत्साहन मिला और सिंथेटिक कोर्ट बनवाने में हुआ अतिरिक्त खर्च भी अब अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया कि दो साल कोविड के दौरान बच्चे घरों में ही रहे। पढ़ाई की लेकिन खेलकूद से पूरी तरह से दूर है। इसलिए अब बच्चों को धूप में भी खेलने में अलग आनंद आ रहा है। बच्चों में ऊर्जा अधिक होती है इसलिए वह ज्यादा समय तक खेलते भी हैं। सिंथेटिक कोर्ट पर खेलने के दौरान गिरने से भी उन्हें चोट नहीं लगेगी। सिंथेटिक बास्केटबॉल कोर्ट का विधिवत शुभारंभ शुक्रवार को एसपीजी के आलोक शर्मा करेंगे।
हर छात्रा के लिए खेलकूद का एक सत्र अनिवार्य
सोफिया गर्ल्स स्कूल में हर विंग की हर क्लास की छात्रा के लिए खेलकूद का एक सत्र अनिवार्य हो गया है। उसी कड़ी में बने सिंथेटिक कोर्ट का लाभ छात्राएं अधिक से अधिक उठाएं इसलिए स्कूल में अब ड्रेस कोड में स्पोर्ट्स शू लागू कर दिया गया है। सत्र शुरू होने के पहले ही स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को संदेश भेजकर यह जानकारी दे दी थी। जिससे अभिभावक पूर्व की भांति चमड़े का काला जूता न खरीदें और दोहरा खर्च करने से भी बच जाएं और छात्राएं स्पोर्ट्स शूज ही पहन कर स्कूल आती हैं और आराम से खेल पीरियड में खेलने भी चली जाती हैं।

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