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बहुत कुछ कहता है यह संविधान, मूल प्रति देखने से मिलेगी भारतीय धर्म और संस्कृति की झलक

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। मेरठ कॉलेज के विधि विभाग की लाइब्रेरी में संविधान की कापी रखी गई।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 03:49 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 03:49 PM (IST)
बहुत कुछ कहता है यह संविधान, मूल प्रति देखने से मिलेगी भारतीय धर्म और संस्कृति की झलक
बहुत कुछ कहता है यह संविधान, मूल प्रति देखने से मिलेगी भारतीय धर्म और संस्कृति की झलक

मेरठ, [विवेक राव]। हमारा राष्ट्रीय पर्व है गणतंत्र दिवस। यह दिवस स्वयं में खास है। 26 जनवरी 1950 ही वह दिन है, जब भारत का संविधान लागू किया गया था। जिस संविधान को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने अपनाया था। आज जिस संविधान से देश चलता है, उस संविधान की मूल प्रति को देखना अपने आप में दिलचस्प है। भारतीय संविधान की मूल प्रति वैसे तो भारतीय संसद में संरक्षित है, जिसे भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हीलियम से भरे केस में रखी गई है। उस मूल प्रति की एक प्रति मेरठ कॉलेज के विधि विभाग की लाइब्रेरी में भी है। इस प्रति को देख आप उसके लिखावट और स्वरूप को महसूस करते हैं। मेरठ कॉलेज में रखे संविधान की मूल प्रति में संविधान सभा के सदस्यों के वास्तविक हस्ताक्षरों को देखा जा सकता है।

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पेन से लिखी गई थी मूल प्रति

संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हाथ से लिखी गई है। टाइपिंग या प्रिंट नहीं है। मेरठ कॉलेज की लाइब्रेरी में अंग्रेजी में लिखी गई मूल प्रति की फोटो कॉपी है। जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था। रायजादा ने पेन होल्डर निब से संविधान के हर पन्‍ने को बहुत ही खूबसूरत इटैलिक अक्षर में लिखा है। संविधान को बनाने में दो साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे, लेकिन छह महीने में इसे लिखा गया।

46 लोगों के हस्ताक्षर हिंदी में

संविधान सभा के 284 सदस्यों में 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए। मूल संविधान में दस पेज पर सभी के हस्ताक्षर हैं। मूल प्रति में 14 भाषाएं और आठ अनुसूची के बाद सबसे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को हस्ताक्षर करना था, लेकिन मूल प्रति में अनुसूची के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के हस्ताक्षर हैं। मूल प्रति में करीब 46 लोगों के हिंदी में हस्ताक्षर हैं। पहला हिंदी में हस्ताक्षर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का है। संविधान लिखने के लिए रायजादा ने कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था। हर पेज पर नाम लिखने की शर्त रखी थी, जो सभी पेजों पर दिखता है। संविधान की मूल प्रति देखने से छात्र भारतीय परंपरा, धर्म और संस्कृति को भी महसूस कर सकेंगे। मूल प्रति छात्रों में उत्सुकता भी पैदा करेगी।

हर पन्ने पर चित्र

मेरठ कॉलेज में रखे संविधान की प्रति में प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस और विश्व भारती शांति निकेतन के कलाकारों की बनाई तस्वीरों को भी देख सकते हैं। संविधान में मोहनजोदड़ो, वैदिक काल, रामायण, महाभारत, बुद्ध के उपदेश, महावीर के जीवन, मौर्य, गुप्त व मुगल काल, इसके अलावा गांधी, सुभाष, हिमालय से लेकर सागर आदि के चित्रों को भी आप देख सकते हैं।


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