गोल्डन ब्वाय को हमेशा रहती है सर्वश्रेष्ठ देने की लालसा, अब लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक
अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सौरभ चौधरी स्वयं हमेशा सर्वश्रेष्ठ करने की लालसा रहती है। इसका परिणाम 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के इस शूटर के अंतरराष्ट्रीय पदकों की बढ़ती संख्या बयां करती है। अब इनका लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है।
मेरठ, (अमित तिवारी)। चैंपियन एक दिन में नहीं बनते। हर दिन अपने भीतर के चैंपियन से दो-दो हाथ करने पड़ते हैं। पिछले कुछ सालों से कुछ ऐसी ही प्रतिस्पर्धा से मेरठ के अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सौरभ चौधरी स्वयं को निकलने नहीं दे रहे हैं। इसका परिणाम 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के इस शूटर के अंतरराष्ट्रीय पदकों की बढ़ती संख्या बयां करती है। अब लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतना है। इसलिए वह हर दिन अपने अभ्यास में ‘थोड़ा और..’ की प्यास को बुझने नहीं देते। शुरुआत से ही सौरभ अपने प्रदर्शन कभी संतुष्ट नहीं होते। बल्कि बेहतर करने में जुटे जाते हैं। स्वयं से ही प्रतिस्पर्धा व लक्ष्य पर निगाहें रखने के इसी गुण की वजह से ही कोच व प्रतिद्वंद्वी उन्हें ओलंपिक में पदक विजेता के तौर पर देख रहे हैं।
देखा, पसंद आया और थाम ली बंदूक
कलीना गांव में 12 मई 2002 को जन्में सौरभ ने 2012 में गांव के पास स्थित बीएसआर रायफल क्लब में दोस्तों को शूटिंग करते हुए देखा। इसके बाद सौरभ ने निशानेबाजी में रुचि दिखाई तो भाई नितिन चौधरी शूटिंग रेंज ले गए। शूटिंग शुरू करने के बाद यही उनका पहला और आखिरी आकर्षण बन गया। माता ब्रजेश देवी के अनुसार सौरभ अधिक समय शूटिंग में देने लगे और रेंज पर ही जाने की जिद करने लगे। पिता जगमोहन सिंह ने पढ़ाई का नुकसान होने की बात कर समझाने की कोशिश की तो सौरभ ने शूटिंग और पढ़ाई में सामंजस्य बनाए रखने का आश्वासन दिया। शूटिंग में रम जाने के बाद पिता ने कर्ज लेकर पौने दो लाख की पिस्टल दिलाई।
कलीना से टोक्यो तक
सौरभ को पता था कि पिता ने उन्हें महंगी पिस्टल कर्ज लेकर दिलाई है। घर में एक कमरे से दूसरे कमरे के छोर को अपना टारगेट बनाकर अभ्यास करते हुए सौरभ ने दोस्ती, रिश्तेदारी, भूख, प्यास और आराम से पहले अपने अभ्यास को रखा। अंतरराष्ट्रीय फलक पर उपलब्धियां मिली तो परिवार का कर्ज उतारने के साथ ही घर में ही आधुनिक टारगेट लगवाया। वह ज्यादातर समय बिना किसी को बताए शूटिंग रेंज पर ही निशाने साधते रहते थे। पूरे लाकडाउन सौरभ के सबसे निकट उनकी पिस्टल और सामने टारगेट रहा।
शूटिंग अभ्यास के लिए सब छोड़ा
गांव में स्थित घर में भी सौरभ ने शूटिंग रेंज बनाई है। घर पर रहने के दौरान भी सोने, खाने व दिनचर्या के बाद का अधिकतर समय सौरभ रेंज पर ही बीतते हैं। परिवार में शादी समारोह हो अथवा किसी रिश्तेदारी में बड़ा कार्यक्रम, सौरभ की नजर हमेशा घड़ी पर ही रहती। अभ्यास का समय होते ही वह हर आयोजन छोड़कर अपनी रेंज पर पहुंच जाते। 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में हिस्सा लेने वाले सौरभ ने रिकार्ड के साथ ओलंपिक कोटा हासिल किया और वर्तमान में भी क्रोएशिया में चल रहे आइएसएसएफ शूटिंग वल्र्ड कप में व्यक्तिगत स्पर्धा में एक कांस्य और युगल टीम में रजत पदक जीत चुके हैं। सौरभ ने अब तक 14 स्वर्ण, पांच रजत और दो कांस्य पदक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते हैं।
प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं होते सौरभ : अमित
आइएसएसएफ शूटिंग वल्र्ड कप सहित शूटिंग की तमाम अंतरराष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदकों की झड़ी लगाने के बाद भी सौरभ अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं होते। उनके इस गुण को उनके कोच अमित शेवरान अच्छा मानते हैं। अमित के अनुसार शुरुआत में भी जब रेंज की छत टिन की थी और गर्मियों के दौरान तापमान 42-43 तक पहुंच जाता, सभी शूटर घर चले जाते, उसके बाद भी सौरभ अभ्यास करते रहते थे। आराम करने को बोलने पर कहते, थोड़ा और अभ्यास कर लूं गुरुजी, और फिर अभ्यास में जुट जाते।
अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां
2017 : एशियाई चैंपियनशिप, वाको, स्वर्ण पदक
2018 : आइएसएसएफ जूनियर विश्व कप, सुल : स्वर्ण पदक
2018 : एशियाई चैंपियनशिप, कुवैत : स्वर्ण पदक
2018 : एशियाई खेल, जकार्ता : स्वर्ण पदक
2018 : युवा ओलंपिक खेल, ब्यूनर्स आयरस : स्वर्ण पदक
2019 : आइएसएसएफ विश्व कप, दिल्ली : स्वर्ण पदक
2019 : आइएसएसएफ विश्व कप, म्यूनिख : स्वर्ण पदक
2019 : आइएसएसएफ विश्व कप, बीजिंग : स्वर्ण पदक
2021 : आइएसएसएफ विश्व कप, दिल्ली : स्वर्ण पदक