Sanskarshala 2022: 'नेटाचार' अपनापन इंटरनेट मीडिया पर दिखाएं शिष्टाचार, मेरठ में प्रिंसिपल सुधांशु शेखर ने दिए टिप्स
Sanskarshala 2022 इंटरनेट मीडिया जहां सकारात्मक भूमिका अदा करता है तो वहीं दूसरी ओर इसका दुरुपयोग भी अक्सर देखा गया है। आज रहन-सहन खानपान कामकाज यहां तक कि दुखी होना भी इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्त कर देते हैं। इंटरनेट का युवाओं पर असर पड़ रहा है।

मेरठ, जेएनएन। Sanskarshala 2022 21वीं शताब्दी इंटरनेट और वेब मीडिया के युग की शताब्दी है। 20वीं सदी की समाप्ति तक दुनिया में सक्षम मीडिया माध्यमों का विस्तार तीव्र गति से हुआ है। इंटरनेट मीडिया जहां सकारात्मक भूमिका अदा करता है तो वहीं दूसरी ओर इसका दुरुपयोग भी अक्सर देखा गया है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भ्रामक व नकारात्मक जानकारी साझा की जाती है, जिससे जनमानस तथा मुख्य रूप से युवा वर्ग के मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार हो रहा दुरुपयोग
यही कारण है कि आज मीडिया की शक्ति आम आदमी के हाथों में आ गई है। मसलन आज रहन-सहन, खानपान, कामकाज, यहां तक कि दुखी होना भी, इंटरनेट के माध्यम से अभिव्यक्त कर देते हैं। इंटरनेट मीडिया के द्वारा अनैतिक सामग्री तथा अमर्यादित भाषा लोगों तक प्रसारित की जा रही है, जिसके कारण लोग वास्तविक जीवन से हटकर आभासी व दिखावटी जीवन शैली को अपनाना अपनी प्रतिष्ठा समझने लगे हैं।
युवा सबसे ज्यादा प्रभावित
यह एक ऐसा खेल बन चुका है जहां एक दूसरे के सुख दुख लाइक व शेयर के साथ बांटे जाते हैं और अगले ही क्षण रिश्तों को ब्लाक कर देते हैं। युवा इंटरनेट मीडिया से सर्वाधिक प्रभावित है। वह इसका अधिकाधिक उपयोग नए-नए मित्र बनाने, देश दुनिया की जानकारी पाने व अपने सीमित ज्ञान का विस्तार करने में करता है। इंटरनेट मीडिया ने लोगों की सोच को बदल दिया है।
अभिव्यक्ति का माध्यम
जो लोग इसका प्रयोग करना जानते हैं, वे अपनी तरक्की के लिए कर रहे हैं लेकिन वहीं अधिकांश लोग ऐसे हैं, जिनके लिए इंटरनेट मीडिया केवल मनोरंजन और अपने मानसिक विकारों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन चुका है। इससे साइबर क्राइम, बुलिंग जैसी आपराधिक प्रवृत्तियां युवाओं में पनप रही हैं। यह देश और समाज के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं।
दिग्भ्रमित होते हैं युवा
आज हर एक व्यक्ति अपने नैतिक अनैतिक विचारों के अनुरूप इन विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया इंटरनेट के माध्यम से व्यक्त करता है और यही अभिव्यक्ति की आजादी एक नई बहस को जन्म देती है जिसका कोई दावेदार नहीं रह जाता। कई बार अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाले लोगों की भाषा अमर्यादित तथा नैतिक मूल्यों के विपरीत होती है, जिसका प्रभाव देश के युवा वर्ग पर पड़ने के कारण वह दिग्भ्रमित होते हैं। यहां तक कि अकादमिक बहस का विस्तार भी अब इंटरनेट मीडिया पर होने लगा है।
बहस एक विकराल रूप धारण कर रही
विचारों की दुनिया में क्रांति लाने वाला इंटरनेट मीडिया एक ऐसा माध्यम बन चुका है, जिसकी न तो कोई सीमा है न कोई बंधन। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि इंटरनेट मीडिया से आरंभ हुई बहस एक विकराल रूप धारण कर लेती है जो कि देश-दुनिया के माहौल पर प्रभाव डालते हुए सामाजिक अशांति को जन्म देती है। इन सभी प्रभावों को देखते हुए आज इंटरनेट मीडिया को अनुशासित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
इसे कहते हैं नेटाचार
इसी आवश्यकता को देखते हुए इंटरनेट पर भी उचित आचरण के लिए कुछ नियमों दिशा निर्देशों का पालन किया जाता है, जिसे "नेटाचार'''' कहते हैं, क्योंकि इस नेट पर अनुशासन बनाए रखना हम सभी का सामूहिक दायित्व है। इसलिए हमें इंटरनेट पर भी अनुशासित भाषा, संयमित आचरण, दूसरे के प्रति कृतज्ञता का भाव रखते हुए इसका उपयोग करना चाहिए।
नैतिक मूल्य सीखना जरूरी
हमारा एक-एक शब्द सभी आयु वर्ग के मनुष्य व उनकी जीवन शैली पर प्रभाव डालता है। अतः जिस तरह हम अपने बच्चों को नैतिक मूल्यों के साथ जीवन जीना सिखाते हैं और समय-समय पर सही-गलत की पहचान कराते हैं। ठीक उसी तरह हमें यह सीखने की आवश्यकता है कि इंटरनेट मीडिया को कैसे संचालित करें और सही कदम उठाएं।
- सुधांशु शेखर, प्रिंसिपल, केएल इंटरनेशनल स्कूल, मेरठ

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