Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सपा ने कर्मवीर गूमी को बनाया मेरठ का जिलाध्यक्ष, भाजपा के इस मजबूत समीकरण को भेदने की है रणनीति

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Wed, 15 Oct 2025 04:48 PM (IST)

    Meerut News : समाजवादी पार्टी ने कर्मवीर गूमी को मेरठ का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। यह कदम भाजपा के मजबूत जातीय समीकरण को चुनौती देने की रणनीति का हिस्सा है। सपा, गुर्जर वोटों में बड़ी सेंध लगाकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। कर्मवीर गूमी की नियुक्ति भाजपा और रालोद गठबंधन के जवाब में सपा की रणनीति भी है।

    Hero Image

    कर्मवीर गूमी सपा के मेरठ जिलाध्यक्ष नियुक्त 

    प्रदीप द्विवेदी, जागरण, मेरठ। भाजपा के मजबूत जातीय एवं सामाजिक समीकरण को भेदने के लिए सपा ने पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम (पीडीए) का दांव चला था, जो लोकसभा चुनाव-2024 में काफी हद तक कारगर रहा। अब सपा की नजर प्रवक्ता राजकुमार भाटी की अगुवाई में हस्तिनापुर विधानसभा के बहाने पश्चिम उप्र में गुर्जर वोटों में बड़ी सेंधमारी करने पर है। इसी रणनीति को धार देते हुए सपा ने मेरठ में जाट चेहरा विपिन चौधरी के स्थान पर गुर्जर चेहरा कर्मवीर गूमी को जिलाध्यक्ष बनाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वेस्ट यूपी के कई जिलों में सपा का होमवर्क तेज

    सपा ने मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, बुलंदशहर, शामली, मुजफ्फरनगर और अमरोहा जैसे जिलों में होमवर्क तेज कर दिया है। दो माह पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिल्ली में अपने आवास पर गुर्जर चौपाल कर बड़ा संकेत दिया था। इसके बाद पार्टी ने हस्तिनापुर में गुर्जरों के बीच पकड़ बढ़ाने पर जोर दिया। पिछले दिनों सम्राट मिहिर भोज को लेकर गुर्जरों एवं राजपूतों के बीच वैचारिक तनाव की तपिश पश्चिम उप्र में देखी गई। मेरठ के सरधना विस क्षेत्र के गांव दादरी में गुर्जर पंचायत के दौरान पुलिस पर पथराव समेत स्थिति तनावपूर्ण बन गई।

    गुर्जर समाज को अपना ठोस वोटबैंक मानती रही है भाजपा

    भाजपा 2014 से गुर्जर समाज को अपना ठोस वोटबैंक मानती रही है, जिसमें सपा ने सेंधमारी का व्यूह रचना शुरू कर दिया है। पंचायत चुनाव व विधान परिषद चुनाव से होते हुए विधानसभा चुनाव 2027 में साइकिल को लखनऊ पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। सम्राट मिहिर भोज प्रकरण से ही सपा ने कूटनीतिक रूप से गुर्जर समाज पर डोरे डालने शुरू कर दिए थे। अब उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए पहले मेरठ-सहारनपुर मंडल के लिए स्नातक सीट का प्रत्याशी ग्रेटर नोएडा निवासी परविंदर भाटी को घोषित किया। अब मेरठ का जिलाध्यक्ष भी गुर्जर समाज से कर्मवीर गूमी को बनाया।

    भाजपा ने रालोद से हाथ मिलाया तो सपा ने पुराना दांव आजमाया

    सपा की रणनीति वर्षों पहले गुर्जर, मुस्लिम समीकरण की रही है। इसलिए मेरठ में लंबे समय तक गुर्जर समाज से जिलाध्यक्ष रहे। फिर जाट समाज से बनाए जाने लगे। अब जब भाजपा का रालोद से गठबंधन हो गया तो सपा ने रणनीति बदली। सपा ने गुर्जर समाज पर सधी हुई रणनीति खेलने के लिए पहले ही पार्टी प्रवक्ता राजकुमार भाटी को जिम्मेदारी दी थी, जिसके बाद नए बदलाव शुरू हुए।

    तीन नामों पर हुई चर्चा 

    जिलाध्यक्ष पद इस बार गुर्जर को बनाने का निर्णय हुआ। पहले तीन नामों पर चर्चा हुई। कर्मवीर गूमी, मनोज चपराना और ओमपाल गुर्जर। विभिन्न चर्चाओं के बाद मनोज और कर्मवीर पर निगाहें टिकीं। मनोज चपराना वैसे तो अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के जिलाध्यक्ष होने के नाते भारी पड़ रहे थे लेकिन कर्मवीर के पक्ष में दो बातें अधिक प्रभावी हो गईं। पहली बात यह कि उन पर किसी गुट का ठप्पा नहीं है वहीं दूसरा यह कि कर्मवीर 2022 के विधानसभा चुनाव में दक्षिण सीट से टिकट मांग रहे थे।
    दक्षिण सीट से लगातार तीन बार से गुर्जर समाज का प्रत्याशी जीत रहा है। कर्मवीर इसी विधानसभा के हैं, इसलिए भाजपा का प्रभाव यहां कम करने के लिए भी उनकी भूमिका का उपयोग करना चाहा। गौरतलब है कि हस्तिनापुर में गुर्जर निर्णायक मतदाता हैं तो वहीं किठौर में भी संख्या अधिक है। सिवालखास में भी प्रभाव रखते हैं। सरधना में सपा से गुर्जर समाज से अतुल प्रधान विधायक हैं तो दक्षिण में भाजपा से गुर्जर समाज से सोमेंद्र तोमर विधायक हैं।

    प्रोफाइल कर्मवीर गुर्जर

    गूमी वर्तमान में सपा में प्रदेश सचिव हैं। गूमी गांव निवासी कर्मवीर लंबे समय से पार्टी में सक्रिय हैं। सहकारी समिति में चेयरमैन रहे हैं। ये बसपा के कैडर कार्यकर्ता भी रहे हैं। गुर्जर समाज में अच्छी जानपहचान के कारण उन्हें बसपा ने जिला स्तरीय समिति में भी शामिल किया था।

    जनप्रतिनिधियों से नहीं बैठा पाए तालमेल, हटाए गए विपिन

    विपिन चौधरी को सपा ने जिलाध्यक्ष पद से हटाते हुए प्रदेश सचिव बना दिया है। उनके खिलाफ पार्टी में लामबंदी लंबे समय से थी। दरअसल, विपिन का जनप्रतिनिधियों के साथ तालमेल नहीं बन पाया। एक बैठक का उनका वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कुछ नेताओं को चुभने वाले शब्द कहते सुने गए। बैठकों में कार्यकर्ताओं की संख्या सीमित थी। सपा के ही कुछ लोगों का मानना था कि शिवपाल यादव के अलग से होने पर विपिन उनकी पार्टी में चले गए थे, इसलिए अखिलेश गुट के कार्यकर्ता उन्हें अभी भी स्वीकार नहीं कर पाए थे।