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    अंग्रेजों से जंग का गवाह है बसौद, 10 घंटे की लड़ाई में खून से लाल हुआ था तालाब, दो गाजी सहित 180 हुए थे बलिदान

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Sun, 16 Jul 2023 11:57 AM (IST)

    बलिदान दिवसः अंग्रेजों ने बरपाया था बसौद गांव में कहर नहीं झुके थे आजादी के मतवाले। 10 गांव वालों को बरगद पर लटका कर दी फांसी। बसौद गांव में 17 जुलाई को मनाया जाएगा। मस्जिद पर भी किया था हमला। 166वां बलिदान दिवस। मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल करेगे मशहूर सिंगर द्वारा लिखित गांव के इतिहास पर आधारित मशहूर गाने का लोकार्पण।

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    Meerut News: अंग्रेजों ने बरपाया था कहर, 10 क्रातिवीरों को पेड़ से लटकाकर लगाइ थी आग

    संवाद सूत्र पिलाना मेरठ। भारत माता को अंग्रेजी शासन से आजादी दिलाने में बागपत के वीर सपूतों का अतुल्य योगदान रहा है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से बौखलाई अंग्रेजी फौज ने तो 17 जुलाई 1857 को बसौद गांव पर अचानक हमला कर दिया था लेकिन यहां के ग्रामीणों ने डटकर मुकाबला किया। इस जंग में बसौद गांव के 180 ग्रामीण बलिदान हो गए थे। कल बलिदानों की पुण्य स्मृति में बलिदान दिवस मनाया जाएगा।

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    बलिदान दिवस मनाया जाएगा

    1857 की क्रांति में अदम्य साहस एवं शौर्य का परिचय देने वाले जनपद बागपत के महाक्रांतिकारी ग्राम बसौद के महान बलिदानियों की पुण्य स्मृति में गांव में 166वां बलिदान दिवस मनाया जाएगा। दरअसल 10 मई 1857 की मेरठ क्रांति से अंग्रेज सरकार की जड़े हिल गई थी। इस क्रांति की कमान बागपत में बिजरोल गांव के बाबा साहब मिलने संभाल रखी थी जिसका मुख्य ठिकाना बसौद गांव हुआ करता था। इससे अंग्रेज बुरी तरह बौखला गए थे।

    बसौद गांव की मस्जिद पर किया था हमला

    युवा चेतना मंच के संस्थापक मास्टर सत्तार अहमद ने बताया कि अंग्रेजी फौज में 17 जुलाई 1857 को बसौद गांव की जामा मस्जिद पर हमला कर दिया। 10 घंटे अंग्रेजी फौज के साथ ग्रामीणों ने सीधा मुकाबला किया था जिसमें 180 लोग बलिदान हो गए थे। इसी जामा मस्जिद से क्रांतिकारियों को गोला बारूद आदि सप्लाई किया जाता था। जब अंग्रेजों ने जामा मस्जिद पर हमला किया तब वहां दो गाजी भी ठहरे हुए थे, वह भी अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। मस्जिद के अंदर 10 टन अनाज को अंग्रेजों ने आग लगा दी थी। उस दिन बारिश हो रही थी और इतना खून बहा था कि मस्जिद के समीप तालाब के पानी का रंग लाल हो गया था। इसे आज खूनी तालाब के नाम से जाना जाता है।

    बरगद के पेड़ पर लटकाए थे 10 गांव वाले

    मस्जिद पर हमले के बाद अंग्रेजी फौजी ने बरगद के पेड से 10 लोगों को फांसी पर लटकाकर गांव को आग के हवाले कर गये थे। ग्रामीणों ने भी अंग्रेजी फौज का डटकर मुकाबला किया । 180 ग्रामीण इस क्रांति में बलिदानी हो गए थे। ग्रामीणों ने कुछ महिलाओं व बच्चों को खेतों में छुपा दिया था उन्हीं से यह गांव फिर से आबाद हुआ।

    युवा चेतना मंच हर साल 17 जुलाई को बलिदानों को श्रद्धांजलि अर्पित कर गांव के गौरवशाली इतिहास के प्रति जागरूक कर आपसी भाईचारे, देशभक्ति की भावना के लिए प्रेरित करता है। मेधावी बच्चों, शिक्षको, समाजसेवियों को सम्मानित करता हैं। इतना बड़ा बलिदान देने के बावजूद भी गांव में उम्मीद के मुताबिक विकास नहीं हुआ।

    बलिदान दिवस पर होगा कार्यक्रम

    इस बार अब 17 जुलाई को गांव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में मशहूर सिगंर वाहिद राजपूत द्वारा लिखित व गाये गये बसौद के इतिहास पर आधारित गीत का लोकार्पण किया जायेगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मेरठ से भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल तथा अध्यक्षता प्रोफेसर के. डी. शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि नवाब अहमद हमीद, डा. कुलदीप उज्ज्वल, कुंवर अय्यूब अली, सांसद प्रतिनिधि ठाकुर प्रदीप सिंह, शोकेन्द्र पहलवान, सोमेन्द्र ढाका, सूरजपाल सिहं,वरिष्ठ इतिहासकार शहजाद राय शौध संस्थान बड़ौत के निदेशक डा. अमित राय जैन, डा. के के शर्मा, डा. अमित पाठक होंगे। ग्रामीण इस आयोजन को कराने की तैयारी में जुटे हुए हैं।