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    मेरठः वक्त के साथ तेजी से बढ़ी शहर में मेडिकल सुविधाएं

    जिले में 12 सीएचसी, 35 पीएचसी और 315 हेल्थ पोस्ट हैं, जिस पर करीब 35 लाख आबादी के इलाज का जिम्मा है। वैक्सीनेशन के कार्यक्रम में तेजी आई है। अगर दवाओं और वैक्सीन की नियमित उपलब्धता बनी रहे तो परिदृश्य बदल सकता है।

    By Nandlal SharmaEdited By: Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:06 PM (IST)

    मेरठ यूं ही मेडिकल हब नहीं कहलाया। वक्त के साथ चलते हुए शहर ने तेजी से सीखा। दुनियाभर में तेजी से बदलती तकनीकों को अपनाया। मौजूदा समय में लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के छात्र जहां देश-विदेश में सेहत की गारंटी माने जाते हैं, वहीं निजी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता मुंबई और दिल्ली के बराबर आंकी गई है।

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    मेरठ में 1967 में मेडिकल कॉलेज की नींव पड़ी। चिकित्सा के आसमान में छिटकी रोशनी दुनियाभर में पहुंचने लगी। अब इस कैंपस में 650 एमबीबीएस छात्र पढ़ते हैं। पीजी में छात्रों को डीएम एवं एमसीएच डिग्री भी दी जा रही है। प्रदेश का पहला बीएससी, नर्सिंग कॉलेज खोला गया है। 1060 बेडों की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज में औसतन 70 फीसद आक्यूपेंसी दर्ज है। सेंट्रल लैब में 24 घंटे जांच उपलब्ध है।

    माइक्रोबॉयोलोजी लैब में स्वाइन फ्लू, डेंगू, एमडीआर टीबी और अन्य कई जांचें की जा रही हैं, जिसके लिए पहले सैंपल दिल्ली भेजा जाता था। 30 बेडों की इमरजेंसी में ट्रामाकेयर की सभी सुविधाएं हैं। कैंपस में ही ऑक्सीजन प्लांट लगा है।

    प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 150 करोड़ की लागत से सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक बन चुका है, जिसमें अक्टूबर से न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, कैंसर, कार्डियक सर्जरी और स्टेंट, डायलसिस समेत सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। फिलहाल सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा उपलब्ध होने से हालत बेहतर हैं।

     

    हालांकि 18 क्लीनिकल विभागों में कोई भी एमडी और एमसीएच डिग्रीधारक चिकित्सक नहीं है। सालभर में दवाओं का बजट महज सात से दस करोड़ है, जबकि इस दौरान करीब छह लाख मरीजों का इलाज किया जाता है। कई बार दवाओं का संकट गहरा जाता है। मेरठ में दो एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज और एक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज है।

    उधर, प्यारेलाल शर्मा जिला अस्पताल मंडलीय चिकित्सालय को प्रदेश सरकार पुरस्कृत कर चुकी है। 250 बेडों वाले इस अस्पताल में 12 बेडों की डायलसिस यूनिट भी संचालित है। महिला जिला चिकित्सालय 100 बेडों का सुपरस्पेशियलिटी सेंटर है। इसे एनएबीएच प्रमाण पत्र मिलने जा रहा है। अस्पताल में 150 से ज्यादा जांचें फ्री की जा रही हैं।

    जिले में 12 सीएचसी, 35 पीएचसी और 315 हेल्थ पोस्ट हैं, जिस पर करीब 35 लाख आबादी के इलाज का जिम्मा है। वैक्सीनेशन के कार्यक्रम में तेजी आई है। अगर दवाओं और वैक्सीन की नियमित उपलब्धता बनी रहे तो परिदृश्य बदल सकता है।

     

    निजी क्षेत्रों की बड़ी छलांग
    - जिले में करीब 225 अस्पताल और नर्सिंग होम हैं। 1500 के करीब एलोपैथिक चिकित्सक हैं।
    - 125 पैथालोजी और 175 से ज्यादा अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं। 13 ब्लड बैंकों में पर्याप्त स्टॉक मिलता है।
    - दर्जनों सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल हैं, जहां पर किडनी, कैंसर, हार्ट, न्यूरो और स्किन समेत तमाम बीमारियों का विशेषज्ञता के साथ इलाज किया जाता है।
    - दिल्ली की तुलना में मेरठ में हार्ट स्टेंट, घुटना प्रत्यारोपण, पेसमेकर, टेस्ट टयूब बेबी, इक्सी विधि से इलाज और बाइपास सर्जरी पर खर्च करीब एक तिहाई तक आता है।
    - मेरठ के चिकित्सकों में कई एसजीपीजीआई, केजीएमसी, एम्स दिल्ली, जीबी पंत, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और कई अन्य शीर्ष संस्थानों के छात्र रहे हैं।
    - शहर में स्त्री रोग विशेषज्ञों की भी काफी संख्या में हैं। अगर आसपास के मरीजों के मेरठ से आवागमन की स्थिति सुधर जाए तो यकीनन यह प्रदेश में मेडिकल का बड़ा हब बनेगा।