अलविदा राजेश्वरी देवी : दुष्यंत जब भी नई गजल लिखते, सबसे पहले अपनी पत्नी को ही सुनाते थे, बिजनौर से जुड़ी यादें
Rajeshwari Devi Died गजल सम्राट दुष्यंत कुमार की पत्नी राजेश्वरी देवी अब इस दुनिया में नहीं रहीं। बिजनौर जिले में हर कोई उन यादों को अपने जहन में समेटे है दशकों पहले दुष्यंत कुमार और राजेश्वरी का गांव में अपनों से मिलना-जुलना हुआ करता था।

बिजनौर, जागरण संवाददाता। Rajeshwari Devi Died न जाने कितने सावन जी लिए अब तो चलना है, ये जिंदगी मुट्ठी में रेत की तरह फिसल जाती है...। जी हां, यही विधि का विधान है और यही प्रकृति का नियम है। महान गजल सम्राट दुष्यंत कुमार की पत्नी राजेश्वरी देवी भी अपनों को अलविदा कह गईं। नजीबाबाद से मीलों दूर भोपाल में रह रहीं राजेश्वरी के निधन की सूचना से दुष्यंत कुमार के पैतृक गांव राजपुर नवादा में शोक छा गया है। हर कोई उन यादों को अपने जहन में समेटे है, जब दशकों पहले दुष्यंत कुमार और उनकी पत्नी राजेश्वरी का गांव में अपनों से मिलना-जुलना हुआ करता था।
चार-पांच बार ही गांव आईं
यहां नजीबाबाद में मनोज त्यागी बताते हैं कि राजेश्वरी देवी भी गजल की समझ रखती थीं। दुष्यंत कुमार जब भी नई गजल लिखते थे तो सबसे पहले अपनी पत्नी को ही सुनाते थे। दुष्यंत ने अनगिनत रचनाएं लिखीं, तो राजेश्वरी ने अनगिनत रचनाएं सुनीं। वहीं राकेश त्यागी का कहना है कि स्वर्गीय राजेश्वरी देवी शादी के बाद मात्र चार-पांच बार ही गांव आईं, लेकिन जब भी आईं लोगों से मिलना-जुलना, हर किसी अपनापन रखना उनके स्वभाव में था।
यादें आज भी जहन में
दूसरी ओर कुलदीप त्यागी ने बताया कि दुष्यंत कुमार के बाद आज उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी भी अब हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनकी पुरानी हवेली, उनका साहित्य और उनकी यादें आज भी हमारे जहन में हैं। साहित्यकार प्रदीप डेजी कहते हैं पुरुष की सफलता के पीछे स्त्री का हाथ होता है। राजेश्वरी देवी ने परिवार की समूची जिम्मेदारियों अपने कंधों पर ले रखी थीं। जिससे दुष्यंत कुमार को महान गजल सम्राट के रूप में पहचान मिली।
परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर
नजीबाबाद क्षेत्र के गांव राजपुर नवादा में जन्मे महान गजलकार दुष्यंत कुमार का विवाह 30 नवंबर 1949 को सहारनपुर जनपद के गांव डंगहेड़ा निवासी राजेश्वरी देवी से हुआ था। दुष्यंत कुमार 30 दिसंबर 1975 को अलविदा कह गए थे। तब उनकी पत्नी राजेश्वरी ने न केवल परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली, बल्कि पुत्र आलोक त्यागी एवं अपूर्व त्यागी को सफल नागरिक भी बनाया। उनके बड़े पुत्र आलोक त्यागी बैंक सेवा से सेवानिवृत्त हुए और छोटे बेटे अपूर्व त्यागी ने सेना में सेवाएं दीं।
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