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    देश ने होनहार सपूत और सैनिक खो दिया : योगेंद्र यादव

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 10 Dec 2021 08:50 AM (IST)

    कारगिल युद्ध में अदम्य साहस और वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित आनरेरी क

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    देश ने होनहार सपूत और सैनिक खो दिया : योगेंद्र यादव

    अमित तिवारी, मेरठ । कारगिल युद्ध में अदम्य साहस और वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित आनरेरी कैप्टन योगेंद्र यादव की सीडीएस जनरल बिपिन रावत से अंतिम मुलाकात कारगिल के ही द्रास में हुई थी। कारगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में जनरल रावत स्वयं द्रास पहुंचे थे। योगेंद्र यादव बताते हैं कि इसी साल 26 जुलाई को वहीं पर उनसे मिलने का मौका मिला। पूरे समय सीडीएस के साथ रहे। सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने और सोने तक वह सभी सैनिकों से मिलते रहे। वरिष्ठतम अफसर होने के बावजूद हमारे जैसे सैनिकों को आगे बढ़कर गले लगा लेते थे। सेना और देश एक परिवार है और इस परिवार ने सबसे होनहार सपूत और सैनिक खो दिया है।

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    2017 में हुई थी पहली मुलाकात

    आनरेरी कैप्टन योगेंद्र यादव ने बताया कि जनरल रावत से उनकी पहली मुलाकात 15 जनवरी 2017 को उनके थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद हुई थी। गुजरात में हुई कम्बाइंड कमांडर्स कांफ्रेंस में भी जनरल रावत से मुलाकात हुई। कारगिल के आपरेशन विजय के दौरान वह भी उसी क्षेत्र में कार्यरत रहे थे इसलिए उस युद्ध के बारे में भी अक्सर चर्चा होती। वह 11 गोरखा रेजिमेंट के थे और उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 19 डिवीजन की कमान भी संभाली। उनकी सोच और योजना दूर की दृष्टि रखती थी। भविष्य की स्थितियों को ही देखते हुए जनरल रावत तीनों सेनाओं को आधुनिक बनाने के पक्षधर थे।

    जनरल रावत ने की थी ब्रिगेडियर तोमर के किताब की तारीफ

    शास्त्रीनगर के रहने वाले वीर चक्र से सम्मानित रि.ब्रिगेडियर जेके तोमर ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 'बैटल आफ बलनोई' में साहस व वीरता का परिचय दिया था। उन्होंने उस युद्ध पर 'ब्रेविंग द आड्स' नामक किताब लिखी थी जिसका विमोचन सेनाध्यक्ष रहते हुए जनरल बिपिन रावत ने 28 मार्च 2019 को किया था। उन्होंने किताब पर लिखा कि 'ब्रिगेडियर जैसे अफसरों की सेना में सेवा पर गर्व है'। साथ ही उन्होंने ब्रिगेडियर तोमर को स्वस्थ रहने और युवा अफसरों का मार्गदर्शन करते रहने के लिए आभार प्रकट किया था।

    तीन बार मिला मिलने का मौका

    ब्रिगेडियर जेके तोमर बताते हैं कि उन्हें तीन बार जनरल रावत से मिलने का मौका मिला था। पहली बार वह किताब का उनके हाथों विमोचन कराने व किताब भेंट करने के लिए मिले थे। दूसरी बार मई 2019 में मेरठ छावनी आगमन पर मुलाकात हुई। तीसरी मुलाकात पिछले महीने 27 नवंबर को वेटरंस डे के मौके पर दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में हुई थी। उन्होंने कहा कि यह हृदय विदारक घटना ने झकझोर कर रख दिया।

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