1857 की क्रांति : अंग्रेज लेखक ने भी माना था धनसिंह की ही देन थी क्रांति
वर्ष 1857 की क्रांति के नायक रहे शहीद धनसिंह कोतवाल को इतिहास में भुलाने का प्रयास किया गया। लेकिन अंग्रेज लेखक ने भी माना था क्रांति धनसिंह की ही देन थी।
By Ashu SinghEdited By: Updated: Fri, 10 May 2019 09:50 AM (IST)
मेरठ,जेएनएन। वर्ष 1857 की क्रांति के नायक रहे शहीद धनसिंह कोतवाल को इतिहास में भुलाने का प्रयास किया गया। अंग्रेज लेखक मेजर विलियम ने गोपनीय रिपोर्ट में माना था कि 1857 की क्रांति धनसिंह की देन थी,पर इस तथ्य को पन्नों से उड़ाया गया। अब ऐसे विषयों पर गंभीर शोध की जरूरत है। कई नई प्रतिभाओं ने इसका बीड़ा भी उठाया है। उधर,सहारनपुर से आए मुकेश चौधरी ने अपने क्षेत्र में शहीद धनसिंह कोतवाल की मूर्ति लगवाने की बात कही।
कई प्रबुद्धजनों ने भाग लिया
उक्त बातें गुरुवार को बाईपास स्थित एक संस्थान में शोध संस्थान पांचली खुर्द द्वारा शहीद धनंिसह कोतवाल की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहीं। मुख्य अतिथि व पुलिस अधीक्षक डॉ. अखिलेश नारायण सिंह, प्रोफेसर केके शर्मा ने दीप प्रज्जवलन किया। मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मण्डल के 12 जनपदों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड के कई प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
कई गांवों का भी क्रांति में योगदान
मुख्य वक्ता प्रोफेसर केके शर्मा ने कहा कि ‘1857 के क्रांतिनायक शहीद धनसिंह कोतवाल की स्मृतियों को सहेजने की दिशा में तस्वीर सिंह चपराना ने बड़ा काम किया है। मुख्य अतिथि डा.अखिलेश नारायण सिंह ने कहा कि हम इतिहास से बहुत दूर हो गये हैं, जिसे ऐसे ही प्रयासों से जिंदा किया जा सकता है। डा.यतेन्द्र कटारिया ने कहा कि दस मई 1857 की शाम को साढ़े पांच बजे आक्रमण हुआ। अंग्रेज अधिकारी आदेश देते रहे लेकिन धनसिंह ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया। प्रोफेसर डॉ.राकेश राणा ने कहा कि गुर्जर जाति बाहुल्य कई गांवों का भी 1857 क्रांति में योगदान रहा।
क्रांति दिवस पर धूमधाम से निकलेगी प्रभातफेरी
क्रांति दिवस 10 मई शुक्रवार को शहर में गांधी आश्रम से प्रभातफेरी धूमधाम से निकाली जाएगी। इसके साथ ही अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। प्रभातफेरी सुबह छह बजे गांधी आश्रम से शुरू होगी तथा शहीद स्मारक पर जाकर समाप्त होगी। इसके साथ सुबह साढ़े छह बजे से मॉल रोड से कौमी एकता दौड़ का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सीनियर एवं जूनियर दो ग्रुप बनाएं गए हैं। सुबह सवा सात बजे से आठ बजे तक जिले के प्रमुख स्थानों पर राष्ट्रीय गीतों का प्रसारण किया जाएगा। पौने आठ बजे शहीद स्मारक पर ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। सुबह साढ़े दस बजे से बाबा औघड़नाथ मंदिर में स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया जाएगा।
जिला जज बोले,जन आंदोलन थी 1857 की क्रांति
ऑल इंडिया लायर्स यूनियन एवं मेरठ बार एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को क्रांति दिवस के उपलक्ष्य में कचहरी स्थित पंडित नानक चंद सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मुख्य वक्ता डा. जीएस मलिक ने कहा कि इस क्रांति में अंग्रेजों का हर स्तर पर विरोध किया गया मगर अंग्रेज इसको सिपाही जंग ही बताते रहे। अंग्रेजों ने हमारे परंपरागत उद्योगों को तबाह कर दिया।
यह जन आंदोलन था
जिला जज एके पुंडीर ने कहा कि यह गरिमामयी धरती है। यह जन आंदोलन था,जिसमें किसानों,मजदूरों और जनता के तमाम सबकों ने भाग लिया था। इस लड़ाई में जनमानस में आजादी की सोच पैदा की थी,जिससे हम आजाद हुए। उन्होंने बताया कि आपसी मतभेदों के कारण एवं अन्य कमजोरियों के कारण यह आंदोलन असफल रहा और अपने शहीदों की वजह से ही आज हमारा वजूद है।
यह देश को आजाद करने की जंग थी
एआइएलयू के जिलाध्यक्ष अब्दुल जब्बार खान ने कहा कि यह क्रांति 90 सालों तक चलीं,जिसमें 33 लाख लोग शहीद हुए। यह हिंदू-मुस्लिम एकता की मिली जुली क्रांति थी। यह देश को आजाद करने की जंग थी। मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मांगेराम ने कहा कि हमारी धरती सेनानियों के खून से रंगी हुई है। संयोजक मुनेश त्यागी ने कहा कि 1857 की क्रांति की सबसे बड़ी विशेषता हिंदू मुस्लिम एकता की विरासत है। यह क्रांति मिले-जुले संग्राम का परिणाम थी। उसका निर्णय एक संयुक्त समिति ले रही थी,जिसमें 50-50 फीसद हिंदू एवं मुस्लिम शामिल थे। गोष्ठी में संगीता सिंह ने क्रांति में महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान पर चर्चा की।
कई प्रबुद्धजनों ने भाग लिया
उक्त बातें गुरुवार को बाईपास स्थित एक संस्थान में शोध संस्थान पांचली खुर्द द्वारा शहीद धनंिसह कोतवाल की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहीं। मुख्य अतिथि व पुलिस अधीक्षक डॉ. अखिलेश नारायण सिंह, प्रोफेसर केके शर्मा ने दीप प्रज्जवलन किया। मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मण्डल के 12 जनपदों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड के कई प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
कई गांवों का भी क्रांति में योगदान
मुख्य वक्ता प्रोफेसर केके शर्मा ने कहा कि ‘1857 के क्रांतिनायक शहीद धनसिंह कोतवाल की स्मृतियों को सहेजने की दिशा में तस्वीर सिंह चपराना ने बड़ा काम किया है। मुख्य अतिथि डा.अखिलेश नारायण सिंह ने कहा कि हम इतिहास से बहुत दूर हो गये हैं, जिसे ऐसे ही प्रयासों से जिंदा किया जा सकता है। डा.यतेन्द्र कटारिया ने कहा कि दस मई 1857 की शाम को साढ़े पांच बजे आक्रमण हुआ। अंग्रेज अधिकारी आदेश देते रहे लेकिन धनसिंह ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया। प्रोफेसर डॉ.राकेश राणा ने कहा कि गुर्जर जाति बाहुल्य कई गांवों का भी 1857 क्रांति में योगदान रहा।
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क्रांति दिवस पर धूमधाम से निकलेगी प्रभातफेरी
क्रांति दिवस 10 मई शुक्रवार को शहर में गांधी आश्रम से प्रभातफेरी धूमधाम से निकाली जाएगी। इसके साथ ही अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। प्रभातफेरी सुबह छह बजे गांधी आश्रम से शुरू होगी तथा शहीद स्मारक पर जाकर समाप्त होगी। इसके साथ सुबह साढ़े छह बजे से मॉल रोड से कौमी एकता दौड़ का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सीनियर एवं जूनियर दो ग्रुप बनाएं गए हैं। सुबह सवा सात बजे से आठ बजे तक जिले के प्रमुख स्थानों पर राष्ट्रीय गीतों का प्रसारण किया जाएगा। पौने आठ बजे शहीद स्मारक पर ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। सुबह साढ़े दस बजे से बाबा औघड़नाथ मंदिर में स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया जाएगा।
जिला जज बोले,जन आंदोलन थी 1857 की क्रांति
ऑल इंडिया लायर्स यूनियन एवं मेरठ बार एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को क्रांति दिवस के उपलक्ष्य में कचहरी स्थित पंडित नानक चंद सभागार में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मुख्य वक्ता डा. जीएस मलिक ने कहा कि इस क्रांति में अंग्रेजों का हर स्तर पर विरोध किया गया मगर अंग्रेज इसको सिपाही जंग ही बताते रहे। अंग्रेजों ने हमारे परंपरागत उद्योगों को तबाह कर दिया।
यह जन आंदोलन था
जिला जज एके पुंडीर ने कहा कि यह गरिमामयी धरती है। यह जन आंदोलन था,जिसमें किसानों,मजदूरों और जनता के तमाम सबकों ने भाग लिया था। इस लड़ाई में जनमानस में आजादी की सोच पैदा की थी,जिससे हम आजाद हुए। उन्होंने बताया कि आपसी मतभेदों के कारण एवं अन्य कमजोरियों के कारण यह आंदोलन असफल रहा और अपने शहीदों की वजह से ही आज हमारा वजूद है।
यह देश को आजाद करने की जंग थी
एआइएलयू के जिलाध्यक्ष अब्दुल जब्बार खान ने कहा कि यह क्रांति 90 सालों तक चलीं,जिसमें 33 लाख लोग शहीद हुए। यह हिंदू-मुस्लिम एकता की मिली जुली क्रांति थी। यह देश को आजाद करने की जंग थी। मेरठ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मांगेराम ने कहा कि हमारी धरती सेनानियों के खून से रंगी हुई है। संयोजक मुनेश त्यागी ने कहा कि 1857 की क्रांति की सबसे बड़ी विशेषता हिंदू मुस्लिम एकता की विरासत है। यह क्रांति मिले-जुले संग्राम का परिणाम थी। उसका निर्णय एक संयुक्त समिति ले रही थी,जिसमें 50-50 फीसद हिंदू एवं मुस्लिम शामिल थे। गोष्ठी में संगीता सिंह ने क्रांति में महिलाओं की भूमिका और उनके योगदान पर चर्चा की।
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