मेरठ में आदेश के बाद भी नहीं की गई बाढ़ से निपटने की तैयारी, 21 विभागों को भेजा गया नोटिस
मेरठ में बाढ़ की तैयारियों में लापरवाही पर जिलाधिकारी सख्त दिखे। उन्होंने 50 से अधिक अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विभागों ने बाढ़ से निपटने की कार्ययोजना में देरी की जिससे जिलाधिकारी नाराज हैं। मुख्य सचिव के निर्देशों के बावजूद विभागों ने गंभीरता नहीं दिखाई। एडीएम वित्त ने चेतावनी दी है कि लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

जागरण संवाददाता, मेरठ। बरसात शुरू होने वाली है। इसी के साथ शहर में जलभराव और गंगा नदी से सटे क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या पैदा होगी। बाढ़ से बचाव के लिए समय रहते तैयारी करने और कार्ययोजना तैयार करने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव ने आदेश दिया था।
जिलाधिकारी ने भी नौ मई को बाढ़ स्टेयरिंग ग्रुप की बैठक करके सभी संबंधित विभागों से बाढ़ और जलभराव से निपटने की कार्ययोजना मांगी थी। लगभग एक महीना बीतने के बाद भी विभागों ने यह कार्ययोजना नहीं दी। विभागों की इस लापरवाही से जिलाधिकारी नाराज हैं।
उनके निर्देश पर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रभारी एडीएम वित्त ने 21 विभागों के 50 से ज्यादा अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही सभी से तुरंत कार्ययोजना की मांग की गई है। उन्होंने बताया है कि मुख्य सचिव द्वारा जारी दिशा निर्देशों में प्रत्येक विभाग की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है।
इनके कंधों पर है बाढ़ से निपटने की जिम्मेदारी
एसपी सिटी, अपर नगर आयुक्त नगर निगम, सीएमओ, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, उप निदेशक कारखाना, जिला विकास अधिकारी, जिला पंचायतराज अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, जिला वन अधिकारी, नोडल एक्सईएन पावर कारपोरेशन, एक्सईएन (बाढ़) ड्रैनेज खंड सिंचाई विभाग, एक्सईएन नगर निगम, एक्सईएन नलकूप पश्चिम, एक्सईएन नलकूप पूर्वी, एक्सीएन मध्य गंगानहर, एसडीएम मेरठ मवाना और सरधना, सेनानायक 44वी बटालियन पीएसी, सभी बीडीओ, सभी अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत, नगर पालिका।
बाढ़ से निपटने की कार्य योजना के प्रमुख बिंदु
जनपद की भोगोलिक स्थिति व बाढ़ की पूर्व प्रवृति का आकलन करते हुए नदी, तटों, तटबंधों और जलभराव वाले क्षेत्रों की पहचान करके पूरी तैयारी।
- बाढ़ कंट्रोल रूम की स्थापना करके उसमें एक फोन स्थापित करके 24 घंटे कर्मचारी की तैनाती।
- बाढ़ से निपटने के लिए विभाग के पास उपलब्ध संसाधन (भौतिक व मानव) तथा उपकरणों की सूची।
- खोज और बचाव दल, नाव और मोटरबोट की व्यवस्था।
- बाढ़ चौकियों, बाढ़ शरणालयों पर अधिकारियों कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना।
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पेट्रोल पंप, फायर स्टेशन, पुलिस स्टेशन का चिह्नांकन।
- संवेदनशील गांवों के बचाव मार्गों तथा प्रमुख लोगों के नाम और संपर्क नंबर की सूची।
- नगर विकास विभाग द्वारा ड्रैनेज क्लीनिंग, कचरा प्रबंधन, महामारी के नियंत्रण की तैयारी।
- सिंचाई विभाग द्वारा तटबंधों की मरम्मत, जल निकासी चैनलों की सफाई, सिल्ट सफाई।
- ग्राम्य विकास विभाग द्वारा बाढ़ पूर्व तथा बाढ़ पश्चात गांवों में आधारभूत सुविधाओं की बहाली।
- पंचायतीराज विभाग द्वारा हैंडपंप की सफाई और क्लोरीनेशन, जलजनित रोगों की रोकथाम हेतु कार्य।
- खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्न की आपूर्ति, संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त राशन का स्टाक।
- पशुपालन विभाग द्वारा बाढ़ प्रभावित पशुओं की चिकित्सा, टीकाकरण, चारा एवं पानी की व्यवस्था। मोबाइल पशु चिकित्सालय और चिकित्सकों की तैनाती।
- जल निगम द्वारा स्वच्छ पेयजल की वैकल्पिक व्यवस्था।
- विद्युत विभाग द्वारा बिजली आपूर्ति की तत्काल बहाली हेतु लाइनों की मरम्मत का कार्य। राहत शिविरों में बिजली आपूर्ति।
- लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों और पुलों की तत्काल मरम्मत, वैकल्पिक मार्गों की पहचान।
बाढ़, जलभराव और उससे फैलने वाली बीमारियों से निपटने की कार्ययोजना तैयार करके उपलब्ध कराने का निर्देश एक महीने पहले जिलाधिकारी ने बाढ़ स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में दिया था लेकिन किसी भी विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई। सभी को नोटिस जारी करके तत्काल कार्ययोजना मांगी गई है। बरसात सर पर है। अब भी लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजी जाएगी।- सूर्यकांत त्रिपाठी, एडीएम वित्त एवं प्रभारी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
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