NCR पर वायु प्रदूषण का ग्रहण, देश में मुजफ्फरनगर रहा सबसे अधिक प्रदूषित शहर, मेरठ में भी सांसों पर संकट
एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिससे मुजफ्फरनगर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। मेरठ में भी हवा की गुणवत्ता खराब है, जहां पीएम 2.5 का ...और पढ़ें

मेरठ में कड़ाके की ठंड में कूड़ा जलाकर तापते लोग।
जागरण संवाददाता, मेरठ। एनसीआर को वायु प्रदूषण का ग्रहण लग गया है। हवाओं की गति बेहद कम रहने से प्रदूषक तत्व तैरने के बजाय वायुमंडल में अटक गए हैं। इस कारण हवा में पीएम 2.5 की सांद्रता मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से आठ गुना तक बढ़ गई है। प्रदूषण सेहत के लिए इतना खतरनाक बन रहा कि अस्थमा और सीओपीडी के अटैक से लेकर हार्ट अटैक तक के मरीज बढ़ गए हैं।
शुक्रवार मेरठ देश में तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। मेरठ में एक्यूआइ 384 रहा। नोएडा 386 एक्यूआइ के साथ दूसरे नंबर पर रहा।
रात आठ बजे पल्लवपुरम में एक्यूआइ 400 पर पहुंच गया। गुरुवार को दूसरे स्थान पर थे। वहीं ममुजफ्फरनगर प्रदूषण में प्रथम स्थान पर है। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 400 तक पहुंच गया। पिछले दो दिन से मौसम बदला हुआ है। वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ गई है और हवा लगभग थम गई है।
अति सूक्ष्म कण नमी से चिपक कर वायुमंडल में लटके हुए हैं और कोहरे का आभास करा रहे हैं। गुरुवार की रात नौ बजे से शुक्रवार की आठ बजे तक पीएम 2.5 की मात्रा 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर आंकी गई। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 25.2 और न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस रहा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के मौसम केंद्र के प्रभारी डा. यूपी शाही ने बताया कि एयरलाक स्थिति मेरठ और बागपत में बनी हुई है। उत्तर पश्चिम हवाएं जो प्रदूषण को एक जगह जमाव को नहीं दे रही थी वह अब नहीं चल रही हैं। दो तीन तक स्थिति में परिवर्तन की संभावना नहीं है।
अस्थमा, सीओपीडी के अटैक से लेकर हार्ट अटैक तक के मरीज बढ़े
जागरण संवददाता, मुजफ्फरनगर। एनसीआर में वायु प्रदूषण का कहर ऐसा कि मुजफ्फरनगर जैसे छोटे शहर भी कांप गए हैं। प्रदूषण सेहत के लिए इतना खतरनाक बन रहा कि अस्थमा और सीओपीडी के अटैक से लेकर हार्ट अटैक तक के मरीज बढ़ गए हैं।
शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरनगर में गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ एवं हापुड़ समेत देशभर के सभी शहरों से ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया। मुजफ्फरनगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 400 तक पहुंच गया। पारा गिरने के साथ ही एनसीआर धुंध की चपेट में आ गया।
वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रेप-3 की पाबंदी लागू की, जिसमें आरपीसीबी (क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के अलावा नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग, एनएचएआइ, एमडीए, यातायात, परिवहन और कृषि विभाग भी शामिल हैं। शहरभर में खुले में पड़ी निर्माण सामग्री, निर्माण स्थलों पर ग्रीन जाली के साथ पानी का छिड़काव नहीं होता है।
इसका नतीजा है कि वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर को पार कर गया। शुक्रवार प्रात: मध्यम कोहरे के बीच स्माग घना नजर आया। हवा में पीएम-2.5 की मात्रा 250 से अधिक माइक्रोघन मीटर रही है, वहीं वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसों का मिश्रण भी चिंता बढ़ा रहा है।
वायु प्रदूषण का फेफड़ों पर सीधा प्रभाव स्वामी कल्याण देव राजकीय जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशियन डा. योगेंद्र त्रिखा ने अनुसार सर्दी के मौसम में हवा का दबाव बढ़ता है। जिससे प्रदूषण के कण नीचे जमने लगते हैं। इसका सांस तथा फेफड़ों के रोगियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और सीओपीडी वाले मरीज भी परेशान होते हैं। अस्पताल में आने वाले 60 प्रतिशत रोगी प्रदूषण-प्रभावित क्षेत्रों के हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर प्रदूषण का असर ज्यादा हो रहा है।

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