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    पिंकी हत्याकांड : चार साल में भी मुकदमा ट्रायल पर नहीं... यह था मामला

    By Sushil Kumar Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Tue, 25 Nov 2025 12:38 PM (IST)

    पिंकी हत्याकांड में घटना के चार साल बाद भी मुकदमा ट्रायल पर नहीं आ सका है। पिंकी नामक महिला की हत्या की जांच अभी भी जारी है, और पीड़ित परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है। ट्रायल में देरी के कारण न्याय मिलने में विलंब हो रहा है।

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    अमित बंसल और पिंकी। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, मेरठ। हर कोई चार अक्टूबर 2021 की घटना को याद कर सिहर उठता है। शास्त्रीनगर सेक्टर एक में घर के बाहरी हिस्से में बने अपने आफिस में इंटीरियर डिजाइनर अमित बंसल को फांसी पर लटका देखकर पिता रामकिशन गुस्से में बौखला गया। पुत्रवधू पिंकी को उसने थप्पड़ और लात-घूसों से पीटा। पिंकी ने मेज पर रखे कटर से हाथ की नस काट ली। इसके बाद रामकिशन ने मेज पर रखे उसी कटर से पिंकी की गर्दन रेत डाली।

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    खून से लथपथ पिंकी फर्श पर पड़ी रही। पुलिस ने उसे मेडिकल कालेज के अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन पिंकी को डाक्टर बचा नहीं सके। हालांकि परिवार इसे हादसे का नाम दे रहा था। पुलिस ने घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज कब्जे में ली। तब सच्चाई उजागर हुई और पुलिस ने पुत्रवधू की हत्या में आरोपित ससुर को जेल भेज दिया।

    रामकिशन फिलहाल जमानत पर है। साथ ही मुकदमे की सुनवाई पर भी हाई कोर्ट से स्टे ले लिया है। तर्क दिया कि पीड़ित पक्ष की तरफ से उन्हें कोई साक्ष्य मुहैया नहीं कराया गया है। साथ ही दिखाया कि वह अपने परिवार में अकेले हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। रामकिशन के अधिवक्ता की दलील पर हाई कोर्ट ने वर्ष 2024 में यथा स्थिति का स्टे दे दिया। पिंकी की एक बेटी है जो अपने दादा के साथ रहती है। पिंकी का परिवार इंसाफ के लिए लगातार अदालत के चक्कर काट रहा है। एसएसपी डा. विपिन ताडा का कहना है कि मुकदमे की स्थिति को देखकर नौचंदी पुलिस को पैरवी के आदेश दिए गए हैं।

    सीसीटीवी ने खोला था राज
    अमित ने आफिस में फांसी लगाकर जान दे दी थी। अंदर घर से पत्नी पिंकी लगातार उसे काल कर रही थी। अमित ने फोन फ्लाइट मोड पर कर रखा था, इसलिए काल नहीं लगी। पिंकी आफिस पहुंची तो पति को फांसी पर लटका देखकर आपा खो बैठी। उसने अपने दुपट्टे से फांसी लगाने की कोशिश की। संयोग से फांसी लग नहीं पाई। सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा था कि अमित के माता-पिता भी कुछ समय बाद आफिस में पहुंचे। उनके सामने ही पिंकी आत्महत्या का प्रयास कर रही थी।

    बेटे को फांसी पर लटका देखकर रामकिशन आपा खो बैठे। उन्होंने पिंकी को पीटना शुरू कर दिया। पिंकी ने मेज पर रखे कटर से हाथ की नस काट ली और दोबारा से फांसी लगाने का प्रयास किया। रामकिशन ने फिर पिंकी के साथ मारपीट की। रामकिशन ने कटर उठाकर पिंकी की गर्दन रेत दी। पिंकी पर कटर से कई वार किए थे। नौचंदी पुलिस मौके पर पहुंची तो रामकिशन ने घायल पिंकी को पहले उठाने का विरोध किया। वह चाहते थे कि अमित को अस्पताल ले जाया जाए। पुलिस ने कहा कि अमित की मौत हो चुकी है, तब रामकिशन ने कहा कि यह पुलिस कैसे तय कर सकती है। रामकिशन की बातों को दरकिनार कर पुलिस पिंकी को अस्पताल ले गई। यहां से मायके पक्ष के लोग उसे दिल्ली ले गए, वहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया था।
    अमित और पिंकी l फाइल फोटो

    अदालत से है न्याय की उम्मीद : पिंकी के भाई मोहित गुप्ता ने कहा कि चार साल तक मुकदमे की पैरवी कर थक चुके हैं। आरोपित पक्ष मामले में कुछ भी कर सकते हैं। रामकिशन का दामाद आइपीएस अधिकारी है। गतवर्ष से मुकदमा कोर्ट में यथा स्थिति पर है। मोहित का कहना है कि बहन को इंसाफ दिलाने के लिए अंत तक लड़ेंगे। अदालत से उन्हें न्याय की उम्मीद है।