पांच साल की बच्ची को पालतू कुत्ते ने नोच डाला, चेहरे पर लगे 12 टांके...तीसरी बार काटा इसी कुत्ते ने
मेरठ में एक पालतू कुत्ते ने पांच साल की बच्ची पर हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। बच्ची के चेहरे और सिर पर गंभीर चोटें आई हैं और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। परिवार ने कुत्ते के मालिक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें पहले भी कुत्ते द्वारा काटने की घटनाओं का उल्लेख है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पांच साल की बच्ची को पालतू कुत्ते ने नोच डाला। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, मेरठ। छत पर खेल रही पांच साल की बच्ची को मकान मालिक के पालतू कुत्ते ने नोच डाला। उसके सिर, आंख और कान के पास घाव हो गए। गंभीर अवस्था में उसे स्वजन ने गढ़ रोड स्थित शिवशांति हास्पिटल में भर्ती कराया। बच्ची के मामा शिवम सागर ने मेडिकल थाने में कुत्ते के मालिक पप्पू के खिलाफ तहरीर दी है। पीड़ित स्वजन ने आरोप लगाया गया है कि बच्ची को इसी कुत्ते ने तीसरी बार काटा है।
शिवम सागर ने बताया कि उनकी बहन औरंगशाहपुर डिग्गी में किराये पर रहती है। मकान मालिक पप्पू ने जर्मन शेफर्ड कुत्ता पाल रखा है। बुधवार शाम करीब 4.30 बजे पांच वर्षीय आराध्या खेल रही थी। तभी वहां मकान मालिका का पालतू कुत्ता आया और बच्ची पर हमला चेहरे को नोंच दिया। शिवम सागर के अनुसार, बच्ची को करीब 12 टांके लगे हैं। चिकित्सकों ने दिल्ली में गुरु तेग बहादुर अस्पताल जाकर एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी है। वह गुरुवार को दिल्ली ले जाएंगे। मेडिकल थाना प्रभारी शिव प्रकाश सिंह का कहना है कि मामले में तहरीर आई है। जांच के बाद मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
आखिर जर्मन शेफर्ड पर कौन करेगा कार्रवाई
मेरठ : औरंगशाहपुर डिग्गी गढ़ रोड पर जर्मन शेफर्ड कुत्ते के हमले में घायल पांच साल की बच्ची आराध्या दर्द से कराह रही है। गढ़ रोड स्थित शिवशांति हास्पिटल में भर्ती इस बालिका की हालत गंभीर है। स्वजन ने घटना के बाद मेडिकल थाने में तहरीर भी दी, इसके बाद भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नही किया है। दूसरी ओर, नगर निगम के अफसर इस पूरी घटना से अंजान बने हुए है। इस बालिका को यह कुत्ता दो बार पहले भी काट चुका है, इसके बाद भी नगर निगम की ओर से मौके पर जाकर यह नही देखा गया कि इस कुत्ते का नगर निगम में पंजीकरण है या नहीं। यदि पंजीकरण नही है तो निगम को इस कुत्ते को जब्त कर सकता है।
यह स्थिति तब है जब शासन की ओर से भी कुत्तों के लिए लागू की गई आदर्श कार्यवाही प्रक्रिया (एसओपी) को भी सख्ती से लागू करने के लिए कोई प्रशासनिक पहल नही हुई है। एसओसी अनुसार प्रत्येक पालतु कुत्ते का पंजीकरण जरूरी है। नगर निगम खुद अपने पंजीकरण रजिस्टर को पलट ले तो पता चल जाएगा। पिछले एक साल में 60 ही पंजीकरण हुए है, जबकि पालतू कुत्तों की संख्या 50 हजार से अधिक हैं। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि गुरुवार को यह मामला दिखवाया जाएगा।
ब्रीडिंग सेंटरों का सर्वे नहीं शासन से स्पष्ट निर्देश है कि कुत्तों के ब्रीडिंग सेंटर के लाइसेंस जारी किए जाएं। बिना लाइसेंस चल रहे ब्रीडिंग सेंटर बंद कराए जाएं और खूंखार प्रजाति के कुत्तों का सर्वे हो। नगर निगम ने खूंखार प्रजाति के पिटबुल डोगो अर्जेंटीना और रॉटविलर के रजिस्ट्रेशन पर प्रतिबंध तो लगा दिया लेकिन शहर में बिना लाइसेंस चल रहे ब्रीडिंग सेंटरों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की और न ही सर्वे हुआ।

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