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    इस बार पराली जलाई तो किसानों पर लगेगा इतना जुर्माना, दीपावली नजदीक आते ही सेटेलाइट से निगरानी शुरू

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 03:42 PM (IST)

    दीपावली से पहले पराली प्रबंधन पर सख्ती बढ़ाई गई है। सैटेलाइट से निगरानी शुरू हो गई है और चार स्तरों पर टीमें बनाई गई हैं। पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना कर दिया गया है, जो 30 हजार रुपये तक हो सकता है। किसानों को मल्चिंग और जैविक खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहे।

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    इस बार पराली जलाई तो किसानों पर लगेगा इतना जुर्माना, दीपावली नजदीक आते ही सेटेलाइट से निगरानी शुरू

    विनय विश्वकर्मा, मेरठ। दीपावली में कुछ ही दिन शेष बचे हैं और गन्ने का पेराई सत्र भी शुरू होने वाला है। इससे पहले ही पराली प्रबंधन को लेकर शासन-प्रशासन ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा सेटेलाइट स्तर से निगरानी शुरू हो गई है। पराली प्रबंधन की मानीटरिंंग जिले में चार स्तरों पर होगी। इसके लिए टीमें गठित की गई हैं।

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    इसमें जिला, तहसील, ब्लाक व ग्राम स्तर पर जिम्मेदारी तय की गई है। किसानों पर लगने वाला आर्थिक जुर्माना भी बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। यह पांच हजार से लेकर 30 हजार रुपये प्रति घटना तक लगाने की तैयारी है। पराली धान का वह शेष भाग है, जिसकी जड़ भूमि में होती है। हर साल अक्टूबर में पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं।

    पराली जलाने से जहां वायुमंडल का प्रदूषण होता है वहीं खेत के सूक्ष्म जीव भी नष्ट होते हैं। यह सूक्ष्म जीव मृदा की उपजाऊ क्षमता को वृद्धि करने में अहम योगदान निभाते हैं। पराली प्रबंधन के लिए शासन प्रशासन की ओर से किसानाें को पराली जलाने के बजाय लगातार मल्चिंग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। मल्चिंग करने से खेत की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।

    खेत में मल्चिंग कर दें या डी-कंपोजर से बनाएं जैविक खाद

    पराली को जलाने के बजाय फसल अवशेष प्रबंधन के यंत्र जैसे स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक, बेलर व मल्चर, पैडी स्ट्रा चापर, श्रव मास्टर, रोटरी स्लेशर, रिर्वसेबल एमबी प्लाऊ का प्रयोग कर खेत में ही मल्चिंग कर दें। इसके अलावा डी-कंपोजर की सहायता से कार्बनिक या जैविक खाद बनाकर प्रयोग में ला सकते हैं। 10 लीटर वेस्ट डी-कंपोजर घोल को 200 लीटर प्रति एकड़ की दर से उपयोग करने पर मिट्टी की भौतिक व रसायनिक दशा में सुधार होता है। यह कम समय में फसल अवशेष को अपघटित कर जैविक खाद में परिवर्तित कर देता है।

    इस प्रकार गठित हुई टीमें

    • जिला स्तर पर - एडीएम वित्त
    • तहसील स्तर पर - एसडीएम
    • विकास खंड स्तर पर - बीडीओ
    • ग्राम पंचायत स्तर पर - ग्राम प्रधान

    इतना लगेगा जुर्माना

    • दो एकड़ से कम भूमि - 5 हजार रुपये प्रति घटना
    • दो से पांच एकड़ तक भूमि - 10 हजार रुपये प्रति घटना
    • पांच एकड़ से अधिक -भूमि 30 हजार रुपये प्रति घटना


    पराली जलाने पर इस बार आर्थिक जुर्माने को गत वर्ष की तुलना में दोगुना कर दिया गया है। साथ ही चार स्तरों पर निगरानी व जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है। किसानों को पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जा रहा है। - राजीव कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी