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    यूपी पंचायत चुनाव को लेकर गरमाई गांव की राजनीति, खून-खराबा करने वालों की लिस्ट तैयार

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 09:03 PM (IST)

    पंचायत चुनाव की आहट के साथ गांवों में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। डीआईजी ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीओ को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें हिंसा संभावित गांवों और अपराधियों की सूची बनाने के आदेश दिए गए हैं। इंटरनेट पर विकास कार्यों पर सवाल उठ रहे हैं, और पुरानी रंजिशें भी सामने आ रही हैं। पुलिस विवादित लोगों पर नजर रख रही है।

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    जागरण संवाददाता, मेरठ। पंचायत चुनाव की आहट के साथ ही गांवों में राजनीतिक माहौल गरमा गया। चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई और संभावित उम्मीदवार अपनी तैयारी में जुट गए। इंटरेनट मीडिया पर लोग ग्राम प्रधानों से उनके कार्यकाल में किए विकास कार्यों का ब्यौरा तक मांगने लगे।

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    बदले चुनाव को देखते हुए डीआइजी कलानिधि नैथानी ने रेंज के सभी सर्किल के सीओ को पंचायत चुनाव में शांति व्यवस्था कायम करने के लिए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। प्रत्येक सीओ अपने सर्किल में 30 ऐसे गांव की सूची तैयार करेंगे, जहां पहले चुनावों में खून खराबा हुआ हो। साथ ही खून खराबे में शामिल 30 लोगों की सूची भी तैयार करने के आदेश जारी किए है।

    त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गांव की नई सरकार चुनने के लिए सियासी कड़ियां पिरोई जाने लगी हैं। इंटरनेट मीडिया पर न सिर्फ पांच वर्ष में हुए विकास कार्य के बारे में पूछा जाने लगा है। बल्कि भ्रष्टाचार के बहाने में प्रधान को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। वक्त के साथ ही पंचायत चुनाव के आयाम भी अब बदल रहे हैं।

    इंटरनेट मीडिया पर न सिर्फ संवाद का मंच बन गया है बल्कि, गांव से जुड़ी गतिविधियों को लेकर खुलकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं कई गांव में पूर्व प्रधान और मौजूदा प्रधान की रंजिश भी शुरू हो गई है। खुन्नस में कई मुकदमे में भी दर्ज हो चुके है।

    ऐसे में पुलिस ने पहले ही गांव की रंजिश को शांत करने का निर्णय लिया है। इसलिए रेंज के सर्किल में तैनात सभी सीओ को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। सीओ खुद अपने सर्किल में पड़ने वाले गांव के 30-30 अपराधियों की सूची बनाएंगे। साथ ही 30-30 ऐसे गांव चिन्हित करेंगे, जहां पर पिछले पंचायत चुनाव में खून खराबा हो चुका है।

    इन चुनावों में ग्राम पंचायत सदस्यों के साथ ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य के साथ ही राजनीतिक दलों के करीब माने जाने वाले जिला पंचायत सदस्यों को चुना जाना है। यह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इसलिए भी बहुत अहम है, क्योंकि वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव है। राजनीतिक दलों के एजेंडे में पंचायत चुनाव सबसे ऊपर आ गया है।

    पंचायत चुनाव को लेकर पुलिस तैयारी करने में जुट गई है। सभी सीओ और थाना प्रभारियों को पंचायत चुनाव में शांति व्यवस्था कायम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। पिछले पांच पंचायत चुनाव में विवादित रहे लोगों को रिकार्ड जुटाया जा रहा है। उन पर नजर रखी जाएगी। बड़े अपराध से जुड़े लोगों को जिलाबदर भी किया जाएगा। पहली किश्त में सभी सीओ अपने अपने सर्किल के 30-30 अपराधियों की सूची खुद जाकर तैयार करेंगे। -कलानिधि नैथानी, डीआइजी रेंज