मेरठ छावनी में आनलाइन मानचित्र की शुरुआत, पहला आवेदन स्वीकृत
छावनी परिषद क्षेत्र के निवासियों के लिए बड़ी खुश खबर है। यहां पर कार्यालय में दौड़ लगाने के बजाय मानचित्र का आवेदन आनलाइन किया जा सकता है। ई-छावनी पोर्टल पर यह सुविधा शुरू कर दी गई है। सोमवार को पहला मानचित्र आवेदन स्वीकृत किया गया है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। छावनी परिषद क्षेत्र के निवासियों के लिए बड़ी खुश खबर है। यहां पर कार्यालय में दौड़ लगाने के बजाय मानचित्र का आवेदन आनलाइन किया जा सकता है। ई-छावनी पोर्टल पर यह सुविधा शुरू कर दी गई है। सोमवार को पहला मानचित्र आवेदन स्वीकृत किया गया है। अभी तक मेरठ विकास प्राधिकरण क्षेत्र के लोगों के लिए यह सुविधा शुरू की थी।
एमडीए की वेबसाइट पर आनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल सिस्टम से आनलाइन मानचित्र स्वीकृत करा सकते हैं, इसी तरह से अब छावनी परिषद क्षेत्र के निवासियों को भी इस तरह की आधुनिक सुविधा का लाभ मिलने लगा है। धर्मपुरी सदर निवासी रीना गुप्ता व अमित कुमार गुप्ता ने संयुक्त आवेदक के तहत दो दिन पहले आवेदन किया था। दो दिन में ही उनका मानचित्र स्वीकृत हो गया। उन्होंने इसके लिए अभियंताओं और अधिकारियों का आभार जताया। कहा कि इस तरह की सुविधा से छावनी निवासियों को सहूलियत मिलेगी।
पहले लगते थे महीनों अब हो रहा झटपट
अभी तक छावनी परिषद में मैनुअल यानी आफलाइन तरीके से मानचित्र के लिए आवेदन होता था। जिसमें कभी एक महीने तो कभी उससे भी ज्यादा समय लग जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। प्रथम आवेदक अमित कुमार ने बताया कि उन्हें अपने पुराने मकान को तोड़कर नया मकान बनाने के लिए मानचित्र का आवेदन 10 दिन पहले किया था। दो-तीन दिन वहां बताया गया कि अब मैनुअल तरीके से नहीं हो पाएगा। चार दिन बाद आनलाइन प्रक्रिया शुरू होने वाली है। जब पोर्टल आनलाइन हुआ तो उन्हें जानकारी दी गई। इसके बाद उन्होंने आर्किटेक्ट एसके जैन की मदद से आवेदन किया।
आप भी करें आवेदन, देख सकेंगे प्रगति
प्रथम आवेदक अमित ने बताया कि उन्हें रजिस्ट्री की कापी, मानचित्र की पूरी ड्राइंग, आधार, पैन, नो ड्यूज, आनरशिप के दस्तावेज, नियम का उल्लंघन न करने का शपथ पत्र आदि अपलोड करना होता है। सभी दस्तावेज को हरी झंडी मिलने के बाद शुल्क जमा करना होता है फिर आनलाइन ही स्वीकृत मानचित्र का प्रिंटआउट निकल आता है। आर्किटेक्ट एसके जैन ने बताया कि सिटीजन के लागिन से इसके लिए आवेदन किया जाता है। इसमें एक लाभ यह है कि आवेदक स्वयं कभी भी प्रगति की स्थिति देख सकता है जबकि एमडीए के पोर्टल पर सिर्फ आर्किटेक्ट ही देख सकता है।

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