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    Olympic Quota for Annu Rani: गुरुकुल से ओलंपिक तक के सफर में अन्नू रानी के नाम दर्ज हैं कई उपलब्धियां, ऐसे निखारा कॅरियर

    By Prem Dutt BhattEdited By:
    Updated: Tue, 29 Jun 2021 02:30 PM (IST)

    मेरठ जिले में सरधना के निकट करनाल रोड पर बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी तीन बहन व दो भाइयों में सबसे छोटी हैं। सबसे बड़े भाई उपेंद्र कुमार भी 5000 मीटर के धावक थे और विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी ले चुके हैं।

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    साल 2009-10 में अन्नू ने गुरुकुल से ही खेल प्रशिक्षण शुरू किया।

    अमित तिवारी, मेरठ। वर्ल्ड रैंकिंग के आधार पर टोक्यो ओलंपिक में कोटा हासिल करने वाली जैवलिन थ्रोवर मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलिट अन्नू रानी का सफर मेरठ के गुरुकुल प्रभात आश्रम से शुरू हुआ था। साल 2009-10 में अन्नू ने यही से खेल प्रशिक्षण शुरू किया। गुरुकुल प्रभात आश्रम के स्वामी विवेकानंद सरस्वती के मार्गदर्शन व संरक्षण में अन्नू ने शुरुआत में तीन खेल चुने थे। इनमें डिस्कस थ्रो, शॉट पुट और जैवलिन था। खेल में निखरते प्रदर्शन के साथ डिस्कस और शॉटपुट पीछे छूट गया जबकि जैवलिन में अन्नू का प्रदर्शन निखरता गया। आगे चलकर यही खेल अन्नू रानी की पहचान बनी और इसी खेल में आगे बढ़ते हुए उन्होंने उपलब्धियों की सीढ़ियां चढ़कर ओलंपिक तक पहुंची। अन्नू रानी ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली देश की पहली महिला जैवलिन खिलाड़ी भी होने जा रही हैं। ऐसे कई कारनामें हैं जो केवल अनु रानी के नाम ही दर्ज हैं।

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    बड़े भाई को देख खेल के प्रति आकर्षित हुई थी अन्नू

    मेरठ जिले में सरधना के निकट करनाल रोड पर बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू रानी तीन बहन व दो भाइयों में सबसे छोटी हैं। सबसे बड़े भाई उपेंद्र कुमार भी 5,000 मीटर के धावक थे और विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा भी ले चुके हैं। बड़े भाई के साथ ही अन्नू रानी ने भी खेल में रुचि दिखाई और उन्हें के साथ सुबह चार बजे उठकर गांव में ही रास्तों पर दौड़ने जाया करती थी। अन्नू की रुचि बढ़ी तो उपेंद्र कुमार ने उन्हें गुरुकुल प्रभात आश्रम का रास्ता दिखाया। घर से करीब 20 किलोमीटर दूर होने के कारण अन्नू थ्रो का अभ्यास करने के लिए सप्ताह में तीन दिन गुरुकुल प्रभात आश्रम के मैदान में जाया करती थी। परिवार में सबसे छोटी बेटी का खेल के प्रति रुझान देखकर किसान पिता अमरपाल सिंह और माता मुन्नी देवी ने भी प्रोत्साहित किया। गुरुकुल की मदद से आगे चलकर अन्नू रानी को उपकरण भी मिले तो उनका उत्साह और बढ़ता गया। श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज दबथुआ से कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद गांव के ही डिग्री कॉलेज में उन्होंने स्नातक भी किया।

    बड़े भाई को अन्नू से ओलंपिक पदक की आशा

    अनु रानी के बड़े भाई उपेंद्र कुमार का कहना है कि अन्नू ओलंपिक में पदक जरूर लेकर आएंगी। ओलंपिक कोटा प्रदर्शन के आधार पर हासिल न कर पाने पर उपेंद्र कुमार ने कहा कि देश में अन्नू को अच्छी प्रतिस्पर्धा नहीं मिल रही है। जिस स्तर की वह खिलाड़ी है उसमें उसके निकटतम प्रतिद्वंदी बहुत ज्यादा पीछे हैं। स्पर्धा अच्छी मिलने पर ही खिलाड़ियों का खेल निखरता है। उपेंद्र ने बताया कि अन्नू ने अभ्यास के दौरान 65 से 66 मीटर की दूरी भाला फेंक में नापी है, लेकिन प्रतियोगिता में पीछे रह जाती हैं। 15 मार्च को पटियाला में हुई सीनियर फेडरेशन कप में भी अन्नू रानी ने 63.34 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था लेकिन ओलंपिक कोटे से थोड़ा सा पीछे रह गई थी। इसका प्रमुख कारण अच्छी प्रतिस्पर्धा का न होना ही है। ओलंपिक में अच्छे प्रतिस्पर्धा देने वाले खिलाड़ी होंगे तो अन्नू रानी का प्रदर्शन भी निखर कर सामने आएगा।

    अन्नू के नाम उपलब्धियां

    - एशियाई गेम्स 2014 में कांस्य पदक।

    -एशियाई चैंपियनशिप 2015 में कांस्य पदक।

    -एशियाई चैंपियनशिप 2017 में रजत पदक।

    -आठ बार की राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर महिला एथलिट।

    -कामन वेल्थ गेम्स 2014 में किया प्रतिभाग।

    -ऑस्त्रा गोल्डन स्पाइक प्रतियोगिता के कांस्य पदक।

    -जैवलिन थ्रो में 60 मीटर की दूरी पर करने वाली देश की पहली महिला एथलीट।

    -वर्ल्ड एथलेटिक चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली देश की पहली महिला एथलिट। आठवें स्थान पर रही थी।

    -जैवलिन थ्रो में ओलंपिक जाने वाली देश की पहली महिला एथलिट।