पश्चिम यूपी में नहीं है हुकुम सिंह के कद का कोई नेता, अब उनके बहाने अंगड़ाई ले रही है गुर्जर राजनीति
Babu Hukum Singh Jayanti पश्चिम यूपी में हुकुम सिंह के कद का कोई नेता नहीं है और हाशिए पर चल रहे गुर्जर नेताओं में से कोई उनकी बराबरी तक पहुंच पाएगा ऐसी भी संभावना कम है। पार्टी के गुर्जर चेहरों ने मंत्रिमंडल में अपनी हकदारी को नई हवा दी है।

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक आबोहवा बदल रही है। पश्चिम उप्र किसान आंदोलन का केंद्र बन गया है, वहीं डैमेज कंट्रोल में जुटी योगी सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रही है। इस बीच, बाबू हुकुम सिंह को याद करने के बहाने गुर्जर राजनीति ने भी अंगड़ाई ली है। पश्चिम यूपी में हुकुम सिंह के कद का कोई नेता नहीं है, और हाशिए पर चल रहे गुर्जर नेताओं में से कोई उनकी बराबरी तक पहुंच पाएगा, ऐसी भी संभावना कम है। पार्टी के गुर्जर चेहरों ने मंत्रिमंडल में अपनी हकदारी को नई हवा दी है। भाजपा में जाटों को ज्यादा तवज्जो मिलने का मलाल गुर्जर नेताओं के चेहरे पर साफ छलकता है। मंत्रिमंडल विस्तार में किसान आंदोलन के बहाने जाट एक बार फिर फ्रंटफुट पर हैं, जबकि आंदोलन से दूर रहे गुर्जर सहयोग के लिए पुरस्कार की अपेक्षा रखते हैं।
...मंत्रिमंडल में भी पिछड़े रहे गुर्जर
भाजपाई रणनीतिकार मानते हैं कि गुर्जर नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, शामली, गाजियाबाद, हापुड़ से लेकर सहारनपुर और अमरोहा समेत पास के दस जिलों में बड़ी संख्या में हैं। उनकी संख्या जाटों के तकरीबन बराबर है, जबकि राजनीतिक प्रतिनिधित्व में मीलों पीछे चल रहे हैं। मेरठ दक्षिण विधायक डा. सोमेंद्र तोमर ने बाबू हुकुम सिंह की पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम किया, जिसका राजनीतिक संदेश भी गया है। 2014 लोकसभा, 2017 विस व 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा के सैलाब में पश्चिम उप्र भी बह गया। लेकिन केंद्र में जाट चेहरे के रूप में डा. संजीव बालियान मंत्री बनाए गए। गुर्जरों को मौका नहीं मिला। वहीं, 2017 में योगी सरकार बनने के बाद मथुरा के डा. लक्ष्मीनारायण और मुरादाबाद के भूपेंद्र सिंह जाट चेहरे के रूप में दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए। रामपुर के बलदेव सिंह औलख और आगरा के चौ. उदयभान सिंह के रूप में दो जाट चेहरों को राज्यमंत्री बनाया, जबकि गुर्जर नेता के रूप में दूसरे विस्तार में बिजनौर के अशोक कटारिया को मंत्रिमंडल में स्थान मिला।
...संगठन में भी किनारे-किनारे
क्षेत्रीय अध्यक्ष के रूप में जाट नेता भूपेंद्र सिंह ने तीन कार्यकाल पूरा किया। बाद में अश्विनी त्यागी ने कमान संभाला, और 2020 में क्षेत्रीय कमान एक बार फिर मोहित बेनीवाल के हाथ गई, जबकि गुर्जरों को महामंत्री और उपाध्यक्ष पर पर भी मौका नहीं मिला। प्रदेश में जाट चेहरे के रूप में चौ. देवेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष बनाया, जबकि राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर को गुर्जर चेहरे के तौर पर स्थान मिला है।
यूपी मंत्रिमंडल विस्तार में जाट-गुर्जर के बीच कयास तेज
डिप्टी सीएम तक रह चुके हैं गुर्जर
मुजफ्फरनगर के चौ. नारायण सिंह प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। सहारनपुर में तीतरो के चौ. यशपाल सिंह बड़े कद के नेता रहे हैं। केंद्रीय मंत्री रहने के साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी करीबी रहे। राजनीति के पंडित बताते हैं कि बागपत के रामचंद्र विकल चौ. चरण सिंह से पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में आ गए थे, लेकिन विकल ने चौधरी साहब का नाम आगे कर दिया। कांग्रेस के नेता स्वर्गीय राजेश पायलट गुर्जरों के बीच बड़े नाम हुए। सहारनपुर से बुलंदशहर के बीच के बेल्ट को ही गुर्जरों की मुख्य जमीन मानी जाती है और यहीं से ज्यादातर दिग्गज निकले। पिछली भाजपा सरकारों में पश्चिम उप्र के बाबू हुकुम सिंह, नवाब सिंह नागर एवं जयपाल सिंह के रूप में तीन चेहरे एक साथ रह चुके हैं। दो साल पहले गुर्जर नेता अवतार सिंह भड़ाना ने लखनऊ में भाजपा के मंच पर पार्टी पर सवाल खड़ा कर दिया था। 2022 विस चुनावों में गुजरों को साधने को खास तवज्जो देनी पड़ेगी।
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