Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी पर विधि-विधान से करें व्रत, दीर्घायु और मोक्ष की होती है प्राप्ति
Nirjala Ekadashi 2022 इस बार निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की सबसे प्रिय और 24 एकादशी का फल देने वाली निर्जला एकादशी शुक्रवार और शनिवार दो दिन तक रहेगी। व्रत से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Nirjala Ekadashi 2022 निर्जला एकादशी, सभी एकादशी में विशेष महत्व रखती है। साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशियों में यह सबसे कठिन एकादशी मानी जाती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। निर्जला एकादशी में भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा करने का विधान है।
मोक्ष की प्राप्ति
पंचमुखी हनुमान मंदिर के पंडित विवेक शर्मा कहते हैं कि निर्जला एकादशी को बिना जल पिए व्रत रख जाता है। इस व्रत को विधि विधान से करने वाले को दीर्घायु व मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए दान से अश्वमेघ यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। निर्जला एकादशी के दिन प्रात: जल्दी उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए।
इस मंत्र का जप
निर्जला एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता। पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा लाभदायी है। पूजा में पीले फूल व पीली मिठाई जरूरी शामिल होनी चाहिए। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप पुण्य देने वाला है।
दो दिन रखेंगे जाएंगे व्रत
भगवान विष्णु की सबसे प्रिय और 24 एकादशी का फल देने वाली निर्जला एकादशी शुक्रवार और शनिवार दो दिन तक रहेगी। स्मार्त मत का पालन करने वाले 10 जून को एकादशी का व्रत और 11 जून को वैष्णव का व्रत करेंगे। इस अवसर पर त्रिस्पर्शा एकादशी व्रत का भी संयोग बन रहा है। इसमें एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक तीन तिथियां होती हैं।
दुर्लभ संयोग इस प्रकार रहेगा
ज्योतिषियों के अनुसार ऐसे दुर्लभ संयोग कई वर्षों में बनते हैं। एकादशी 10 जून को सुबह 7.25 बजे से 11 जून को सुबह 5.45 बजे तक रहेगी। पहले दिन स्मार्त के अनुसार और दूसरे दिन वैष्णववाद के अनुसार व्रत रखा जाएगा। एकादशी शनिवार 11 जून को सुबह 5.45 बजे तक रहेगी। इसके बाद शाम 4.24 बजे द्वादशी और फिर त्रयोदशी तिथि होगी। एकादशी के दिन सूर्योदय से सूर्योदय तक तीन तिथियों का संयोग त्रिस्पर्शा एकादशी व्रत का संयोग बनता है।
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