NH 58 Meerut: बस कुछ और दिन का इंतजार...नए कलेवर में दिखेगा पूरा हाईवे
मेरठ में हाइवे पर काम होता दिख रहा है। क्षेत्र में दो सालों में तीन फ्लाईओवर और तीन फुटओवर ब्रिज तैयार हो गए हैं। परतापुर तिराहे से दौराला तक सर्विस रोड नाले का निर्माण कार्य चल रहा है। वो समय दूर नहीं जब यहां नई तस्वीर सभी को नजर आएंगी।

मेरठ, जेएनएन। NH 58 Meerut बस कुछ दिन का और इंतजार बाकी है, जल्द ही आपको परतापुर तिराहे से दौराला के दादरी अंडरपास फ्लाईओवर तक हाईवे-58 नए क्लेवर में दिखाई देगा। रंगाई, पुताई के अलावा सर्विस रोड और नाले का निर्माण भी तेजी से जारी है। वहीं मेरठ सीमा में दो अंडरपास फ्लाईओवर, फ्लाईओवर और तीन फुटओवर ब्रिज बनकर तैयार हो चुके हैं। अब किया गया हाईवे-58 पर निर्माण कार्य दो सालों में पूरा हुआ है। जो कार्य बाकी है, उसकी भी एनएचएआइ द्वारा प्रगति रिपोर्ट निर्माण करने वाली कंपनी से हर रोज ले कर दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेजी जा रही है।
यह है तस्वीर
एनएचएआइ के द्वारा परतापुर तिराहे से मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे तक 260 करोड़ रुपये की लागत से कई प्रकार के निर्माण कार्य दिसंबर-2018 में शुरू कराए गए थे। निर्माण करने का टेंडर कृष्णा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया। मेरठ जिले की सीमा में हाईवे-58 पर कंकरखेड़ा के खिर्वा कट पर अंडरपास फ्लाईओवर, पल्लवपुरम के पल्हैड़ा कट पर फ्लाईओवर और दौराला की दादरी कट पर अंडरपास फ्लाईओवर के अलावा सुभारती कालेज के पास, कैलाशी अस्पताल के पास और पल्लवपुरम हाईवे की मेरठ वन कालोनी के सामने एक-एक फुट ओवर ब्रिज बनने थे। तीनों फ्लाईओवर और तीनों फुट ओवर ब्रिज बनकर तैयार हो चुके हैं, जिन पर आवागमन भी शुरू हो गया है। वहीं फिलहाल सिवाया में सर्विस रोड, एटूजेड कालोनी के सामने नाले का निर्माण समेत रंगाई-पुताई का कार्य जारी है, जिसे जल्द पूरा करने का दावा एनएचएआइ के पीडी द्वारा किया जा रहा है।
पल्लवपुरम फेज-वन और फेज-दो के सामने कट होंगे बंद
एनएचएआइ के पीडी डीके चतुर्वेदी ने बताया कि पल्हैड़ा कट पर फ्लाईओवर चालू हो चुका है। जिसके बाद अब फ्लाईओवर के दोनों साइड की सर्विस रोड का निर्माण कार्य एक सप्ताह में पूरा हो जाएगा। पल्लवपुरम फेज-वन और फेज-दो के सामने हाईवे के कट को बंद किया जाएगा, ताकि फ्लाईओवर पर चढऩे और उतरने वाले वाहन से कोई हादसा न होने पाए।
दो बार के लाकडाउन और अन्य दिक्कतों से कार्य में हुई देरी
एनएचएआइ के पीडी का कहना है कि पिछले वर्ष लाकडाउन लगने से कई महीने तक निर्माण कार्य नहीं हो पाया था और लेबर अपने गांव रवाना हो गए थे। लेबर वापस आई तो कोरोना की दूसरी लहर से फिर कर्मचारी और मजदूर बीमार होने पर कार्य धीमी गति से चला, मगर पूरा हो गया। वरना, अब से छह माह पूर्व यह कार्य समाप्त हो जाता।
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