यूपी के इस शहर में बनेगा बिजनेस कॉम्प्लेक्स, 200 व्यापारियों को आवंटित होंगी दुकानें
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत 25 अक्टूबर को सेंट्रल मार्केट 661/6 पर बने कांप्लेक्स के ध्वस्तीकरण के बाद व्यापारियों को राहत देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीएम ने मेरठ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त, एडीएम सिटी और आवास विकास के अधीक्षण अभियंता की समिति गठित कर व्यापारियों और उनके कर्मचारियों

जागरण संवाददाता, मेरठ। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में आवास एवं विकास परिषद की टीम द्वारा 25 अक्टूबर को पुलिस बल के साथ सेंट्रल मार्केट 661/6 पर निर्मित कांप्लेक्स के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद व्यापारियों को राहत देने की प्रक्रिया शुरू हो गई हैं। ध्वस्त किए गए कांप्लेक्स के व्यापारियों और उनके कर्मचारियों की मदद के लिए मुख्यमंत्री के आदेश पर डीएम ने मेरठ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष, नगर आयुक्त, एडीएम सिटी तथा आवास विकास के अधीक्षण अभियंता की समिति गठित की है।
आवास विकास परिषद के उप आवास आयुक्त अनिल कुमार सिंह ने शास्त्रीनगर सेक्टर छह और सात में व्यावसायिक कांप्लेक्स के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा है। दोनों स्थानों पर कांप्लेक्स निर्माण के लिए परिषद के पास भूमि उपलब्ध है। इन कांप्लेक्स में करीब 200 व्यापारियों को दुकानों का आवंटन किया जा सकता है। प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त हुए कांप्लेक्स के 22 व्यापारियों को दुकानें दिए जाने पर विचार किया जा सकता है।
प्रस्ताव में उप आवास आयुक्त क्या बोले?
शासन के साथ-साथ आवास विकास मुख्यालय व डीएम को भेजे प्रस्ताव में उप आवास आयुक्त अनिल कुमार सिंह ने कहा कि शासन के आदेश पर यह प्रस्ताव तैयार किए गए है। कहा है कि व्यापारियों से वार्ता कर उन्हें नए नियमों की जानकारी दी गई है। उनसे भू उपयोग परिवर्तन, शमन तथा नए मानचित्र का आवेदन करने को कहा है। शास्त्रीनगर सेक्टर छह और सात में व्यावसायिक कांप्लेक्स का निर्माण प्रस्तावित है, ताकि भू उपयोग परिवर्तित कर हो रहे निर्माणों की जगह लोगों को मानक अनुरूप दुकानें उपलब्ध करा सकें।
दूसरी ओर, सांसद अरुण गोविल ने 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मिलकर प्रत्यावेदन दिया था, जिसमें भूखंड 661/06 के कांप्लेक्स के ध्वस्तीकरण से प्रभावित व्यापारियों उनके कर्मचारियों के परिवारों के पुन: स्थापन हेतु अल्पकालिक वित्तीय सहायता, रोजगार देने के साथ ही नया व्यवसायिक परिसर बनाने की मांग की थी।
सांसद की मांग पर मुख्यमंत्री ने व्यापारियों की सहायता का आदेश दिया था, जो कमिश्नर के माध्यम से जिला प्रशासन के पास पहुंचा। डीएम ने इस मामले में चार अधिकारियों की समिति गठित की। उन्होंने सभी पक्षों के बात करके समस्या का उचित समाधान करके रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
एक माह बीता, किसी ने नहीं ली पुनर्वास की सुध
शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को एक माह बीत चुका लेकिन अभी तक व्यापारियों के पुनर्वास की प्रक्रिया धरातल पर नहीं पहुंची है। मलबा भी जस का जस पड़ा है। इस बीच दो दुकानदारों ने अपनी दुकान कहीं अन्य शिफ्ट करने की सूचना संबंधी बैनर मलबे पर ही लगा दिए हैं।
आवास एवं विकास परिषद की टीम ने 25 अक्टूबर को सेंट्रल मार्केट 661/6 पर निर्मित कांप्लेक्स के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई थी। दूसरे दिन इमारत का सामने का हिस्सा ढ़हाया गया था। दो दिन मलबे को सड़क से हटाने का काम चला था। कांप्लेक्स में 22 दुकानें थी। सभी व्यापारी सड़क पर आ गए थे। कोई सुनवाई नहीं होती देख व्यापारियों ने 31 अक्टूबर को धरना दिया था, जिसमें उनके स्वजन भी शामिल हुए थे। किशोर वाधवा ने बताया कि एक नवंबर को डीएम, एसएसपी से उनकी वार्ता हुई थी। उन्होंने कहा था नगर आयुक्त दुकानों के लिए आपको दो-तीन स्थान सुझाएंगे। जो स्थान उचित लगे, वहां दुकानें बनवाकर दी जाएंगी।
उनका कहना है एक माह बीत चुका है अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उप आवास आयुक्त ने शास्त्रीनगर सेक्टर छह और सात में व्यावसायिक कांप्लेक्स के निर्माण को प्रस्ताव भेजा है, इसकी जानकारी नही है। ड्राई क्लीनिंग की दुकान करने वाले राजेंद्र बड़जात्या ने बताया कि जब से दुकान टूटी है वह बेरोजगाार हैं। इतनी व्यवस्था नहीं कि किराये पर दूसरी दुकान ले सकें। सोमपाल और किशोर वाधवा की दुकानें किराये पर थीं।
वे पूरी तरह दुकान पर निर्भर थे। सोमपाल ने बताया कि उनके परिवार में शादी है लेकिन आय का जरिया बंद होने से मुश्किलें आ रही हैं। टाम एंड जैरी के रजत गोयल और सरदारजी साड़ी के मनदीप ने सेंट्रल मार्केट में दूसरी जगह अपनी दुकान शिफ्ट की है।
दस्तावेज संकलन का चल रहा कार्य
व्यापारी किशोर वाधवा ने बताया कि सभी 22 व्यापारियों ने अपने रजिस्ट्री दस्तावेज आवास एवं विकास परिषद के संपत्ति कार्यालय में जमा कर दिए हैं। नामांतरण नहीं हुआ है, इसलिए परिषद के अभिलेखों में अभी मूल आवंटी वीर सिंह का ही नाम दर्ज है। वीर सिंह का निधन हो चुका है। व्यापारी रजत अरोड़ा ने बताया कि वीर सिंह के वारिसों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना है। उसी की कार्यवाही चल रही है। बताया कि मलबा उठाने का काम जल्द शुरू होगा।

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