नेताजी! मांगते-मांगते 'सूख' चुका गला पर... मेरठ के लोगों की पुकार- हमारी फरियाद सुनो
दीपांशु ने कहा कि उनके दादा राम सिंह यहां आकर बसे थे। वर्तमान में परिवार की तीसरी पीढ़ी रह रही है। मोहल्ले में शुद्ध पेयजल आपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पेयजल लाइन नहीं डली है। 20 साल पहले घर में लगे हैंडपंप का पानी पीते थे। भूजल स्तर गिरने पर हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया। फिर सबमर्सिबल पंप लगवाना पड़ा।
दिलीप पटेल, मेरठ। शहर में एक वार्ड ऐसा भी है, जहां पेयजल की पाइप लाइन ही नहीं है। यहां के लोग पूरी तरह घरों में लगे सबमर्सिबल पंप के पानी पर आश्रित हैं। यदि घर का पंप खराब हो जाए तो बूंद-बूंद पानी को मोहताज हो जाते हैं। सरकार कोई भी रही हो यहां के लोगों की प्यास बुझाने के इंतजाम किसी ने नहीं किए। ये बात दीगर है कि यहां के मतदाताओं ने हर चुनाव में अपने वोटों से प्रत्याशियों की प्यास बुझाई है। हम बात कर रहे हैं वार्ड आठ लिसाड़ी की। 25,000 आबादी वाले इस वार्ड में फ्रेंड्स कालोनी, आजाद कालोनी, जैनपुर समेत कई मोहल्ले शामिल हैं। लगभग 14,800 मतदाता हैं।
घरों के हैंडपंप बोल गए...अब सबमर्सिबल पंप भी दे रहे गच्चा
वार्ड आठ लिसाड़ी के आंबेडकर चौराहे के समीप रहने वाले दीपांशु ने कहा कि उनके दादा राम सिंह यहां आकर बसे थे। वर्तमान में परिवार की तीसरी पीढ़ी रह रही है। मोहल्ले में शुद्ध पेयजल आपूर्ति की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पेयजल लाइन नहीं डली है। 20 साल पहले घर में लगे हैंडपंप का पानी पीते थे। भूजल स्तर गिरने पर हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया। फिर सबमर्सिबल पंप लगवाना पड़ा।
अब यह भी कब पानी देना बंद कर दें पता नहीं। वह कहते हैं कि उनके पूरे मोहल्ले का यही हाल है। वार्ड के नूरनगर निवासी 64 वर्षीय जिलेराम सिंह कहते हैं कि मजबूरी में घर में लगे सबमर्सिबल पंप का पानी पी रहे हैं। इस पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है। अक्सर पेट खराब कर देता है, लेकिन दूसरा कोई विकल्प नहीं है। घर के पंप का दो बार रिबोर करा चुके हैं।
100 से 155 फीट गहरा हो गया है। इसी मोहल्ले में सरकारी हैंडपंप से पानी भर रहीं मुकेश कुमारी कहती हैं कि नेताओं को वोट से मतलब है उनकी समस्या से नहीं। फ्रेंड्स कालोनी के रमेश ने कहा कि हर चुनाव में प्रत्याशी वादा करते हैं कि इस बार सरकारी जलापूर्ति की व्यवस्था हो जाएगी। लेकिन चुनाव बाद कोई शक्ल भी नहीं दिखाता। यही दर्द वार्ड आठ के जैनपुर, आजाद कालोनी समेत अन्य मोहल्लों का है।
34 साल से मिल रहे कोरे आश्वासन
लिसाड़ी, नूरनगर पहले गांव थे। ये गांव नगर महापालिका क्षेत्र में 1989 में शामिल हुए थे। करीब पांच साल बाद नगर महापालिका से नगर निगम का गठन हो गया था। फिर ये गांव वार्ड आठ का हिस्सा बन गए। करीब 34 साल हो गए हैं, यहां के लोग पेयजल आपूर्ति की सुविधा की मांग कर रहे हैं।
स्थानीय लोग कहते हैं कि चुनाव कोई भी हो उन्हें सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले हैं। किसी भी जनप्रतिनिधि ने पेयजल लाइन बिछाने की पहल नहीं की। 10 साल पहले डूडा ने एक प्रस्ताव पर काम शुरू किया था। जो बाद में ठप हो गया। एक साल पहले नगर निगम के जलकल अनुभाग ने प्रस्ताव बनाया, लेकिन धनराशि के अभाव में काम शुरू नहीं हो सका।
वार्ड आठ लिसाड़ी में पेयजल लाइन नहीं है। पिछले साल वार्ड का सर्वे कराया गया है। लगभग 16 किमी पेयजल लाइन डालने, दो नलकूप व एक पानी की टंकी स्थापित करने की आवश्यकता है। प्रस्ताव के सापेक्ष धनराशि स्वीकृति होने पर काम शुरू किया जाएगा। - सुशील कुमार, सहायक अभियंता, जलकल
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