मेरठ: 22 वर्षों से बंद पड़े गर्म पानी के प्राकृतिक स्रोत को मिली संजीवनी
मेरठ ऋषिकेश व बद्रीनाथ धाम जैसे औषधीय गुण रखने वाले गर्म पानी के स्रोत को 22 वर्ष बाद संजीवनी मिल गई। शुक्रवार को मुख्य अतिथि मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने नारियल तोड़कर गर्म पानी स्रोत का उदघाटन किया।

मेरठ, जागरण संवाददाता। ऋषिकेश व बद्रीनाथ धाम जैसे औषधीय गुण रखने वाले गर्म पानी के स्रोत को 22 वर्ष बाद संजीवनी मिल गई। शुक्रवार को मुख्य अतिथि मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने नारियल तोड़कर गर्म पानी स्रोत का उदघाटन किया। पिछले 22 सालों से जर्जर पड़े गर्म पानी स्रोत को आइआइएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहन गुप्ता ने जीर्णोद्धार कराते हुए तैयार कराया। ट्यूबवैल से गर्म पानी की धार निकलते ही लोगों ने हर्ष के साथ तालियां बजाई। गंगानगर एफ-ब्लाक में 22 वर्ष पुराना ट्यूबवैल है। जहां पर प्राकृतिक रूप से गर्म पानी निकलता था। यहां के स्थानीय निवासी बताते हैं कि 22 वर्ष पूर्व निकलने वाले पानी का तापतान लगभग 50 डिग्री था। जिसे लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। बताया जाता है कि इस पानी में ऋषिकेश व बद्रीनाथ धाम की भांति औषधीय गुणों की क्षमता है। प्राकृतिक रूप से निकलने वाले इस गर्म पानी से पेट व त्वचा के रोग ठीक होते थे। इसी संभावना को देखते हुए इसे 22 साल बाद चालू किया गया। इस अवसर पर आइआइएमटी समूह के प्रबंध निदेशक डा. मयंक अग्रवाल, स्थानीय पार्षद गुलबीर सिंह समेत क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे।

कृषि केंद्रीय मंत्री ने किया था उदघाटन
1998 में अटल सरकार के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री ने एफ-ब्लाक गंगानगर में इस स्थान पर पानी के बाेरिंग का उदघाटन किया था। बोरिंग से प्राकृतिक रूप में गर्म पानी निकला। यह अजूबा आसपास के इलाके में आग की तरह फैलता चला गया। दूर-दराज के लोग टैंकर लेकर पहुंचने लगे और काफी मात्रा में भरकर ले जाने लगे। जब भीड़ अधिक बढ़ गई और अव्यवस्था फैलने लगी तो स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा को देखते हुए इसे बंद करा दिया था।
778 मीटर पर किया गया था बोरिंग
एफ-ब्लाक गंगानगर के स्थानीय निवासी बताते हैं कि 1996 में विश्व बैंक की सहायता से भूमि जल सर्वेक्षण बरेली जोन के नेतृत्व में पेयजल उपलब्धता के लिए गंगानगर में चार स्थानों पर बोरिंग किया गया था। इसमें एक स्थान पर 778 मीटर की गहराई पर बोरिंग किया गया। जब यहां से पानी निकला तो लोग हैरान रह गए। यहां से निकलने वाले पानी का तापमान लगभग 50 डिग्री था। यह पानी पीने से पेट के रोग और स्नान करने से त्वचा के असाध्य रोग ठीक होने लगे। यह गर्म पानी औषधीय गुणों से भरपूर था। तभी से इसे दोबारा शुरू करने की मांग उठाई जाने लगी।
गर्म पानी के नाम से प्रसिद्ध हो गई सड़क
गर्म पानी के स्रोत को इतनी प्रसिद्धि मिली कि एफ-ब्लाक में जिस सड़क पर यह बोरिंग स्थित है। उस सड़क की पहचान गर्म पानी रोड के नाम से होने लगी। 22 साल से बंद पड़े गर्म पानी के स्रोत को चालू करने के लिए सांसद राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल व आइआइएमटी के कुलाधिपति योगेश मोहन गुप्ता ने वैश्य समाज के नेतृत्व में कई बार पर्यटन विभाग व प्रशासन से मांग की थी। लेकिन इसका बीड़ा आइआइएमटी ने उठाया और स्वयं के सहयोग से ही इसका जीर्णोद्धार कराते हुए चालू करा दिया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।